Comments - गर्दिश में पैमाना है - Open Books Online2024-03-28T20:54:11Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A815056&xn_auth=noआदरणीय सतविन्द्र भैया गजल को…tag:openbooks.ning.com,2016-11-24:5170231:Comment:8155952016-11-24T06:22:59.018Zनाथ सोनांचलीhttps://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
आदरणीय सतविन्द्र भैया गजल को मान देने के लिए आभार आपका
आदरणीय सतविन्द्र भैया गजल को मान देने के लिए आभार आपका आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी,उम्दा…tag:openbooks.ning.com,2016-11-24:5170231:Comment:8155902016-11-24T04:35:32.236Zसतविन्द्र कुमार राणाhttps://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी,उम्दा गजल कहने के लिए दिल से मुबारकबाद!
आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी,उम्दा गजल कहने के लिए दिल से मुबारकबाद! आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी और आ…tag:openbooks.ning.com,2016-11-23:5170231:Comment:8156382016-11-23T08:46:31.221Zनाथ सोनांचलीhttps://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी और आदरणीय समर कबीर साहब आप द्वय को प्रणाम, गजल को मान देने के लिए ह्रदय से आभार। आदरणीय गिरिराज जी की बातों को गौर कर्र्के परिवर्तन किया है हमने।
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी और आदरणीय समर कबीर साहब आप द्वय को प्रणाम, गजल को मान देने के लिए ह्रदय से आभार। आदरणीय गिरिराज जी की बातों को गौर कर्र्के परिवर्तन किया है हमने। आदरणीय सुरेन्द्र जी बढ़िया ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2016-11-22:5170231:Comment:8155342016-11-22T18:31:36.155Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय सुरेन्द्र जी बढ़िया ग़ज़ल कही है. बधाई. गुनीजनों के मार्गदर्शन पर ध्यान दीजियेगा. सादर </p>
<p>आदरणीय सुरेन्द्र जी बढ़िया ग़ज़ल कही है. बधाई. गुनीजनों के मार्गदर्शन पर ध्यान दीजियेगा. सादर </p> जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आद…tag:openbooks.ning.com,2016-11-22:5170231:Comment:8154602016-11-22T16:13:56.517ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । जनाब गिरिराज भाई के मश्विरे पर ध्यान दीजियेगा ।<br />
मतले के सानी मिसरे में "साक़ी" शब्द पुल्लिंग है, देखियेगा ।
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । जनाब गिरिराज भाई के मश्विरे पर ध्यान दीजियेगा ।<br />
मतले के सानी मिसरे में "साक़ी" शब्द पुल्लिंग है, देखियेगा । आदरणीय गिरिराज जी सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2016-11-22:5170231:Comment:8152892016-11-22T12:07:45.969Zनाथ सोनांचलीhttps://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
आदरणीय गिरिराज जी सादर अभिवादन, गजल को समय देने और प्रोत्साहित करने हेतु आभार। अवश्य ध्यान दूंगा आपकी बातो पर
आदरणीय गिरिराज जी सादर अभिवादन, गजल को समय देने और प्रोत्साहित करने हेतु आभार। अवश्य ध्यान दूंगा आपकी बातो पर आदरणीय सुरेन्द्र भाई , बहरे म…tag:openbooks.ning.com,2016-11-22:5170231:Comment:8151902016-11-22T07:19:45.380Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय सुरेन्द्र भाई , बहरे मीर पर बहुत अच्छी गज़ल कही है आपने , हार्दिक बधाइयाँ । लयात्मकता के हिसाब से इस मिसरे को - <br></br>जश्न मनाते अब लोग यहाँ, बंद कपाटो के पीछे -- ऐसा कर लें -- जश्न मनाते लोग यहाँ <strong>अब</strong> , बंद कपाटो के पीछे</p>
<p>वैसे ही -- देते <strong>अब</strong> खबर पडोसी की -- को -- देते खबर पडोसी की <strong>अब</strong></p>
<p><strong>त्योहार पड़े फीके अब तो --- को -- फीके अब <strong>त्योहार पड़े</strong> तो <br></br>ऐसा कर के लय देखियेगा , सही लगे तो परिवर्तन…</strong></p>
<p>आदरणीय सुरेन्द्र भाई , बहरे मीर पर बहुत अच्छी गज़ल कही है आपने , हार्दिक बधाइयाँ । लयात्मकता के हिसाब से इस मिसरे को - <br/>जश्न मनाते अब लोग यहाँ, बंद कपाटो के पीछे -- ऐसा कर लें -- जश्न मनाते लोग यहाँ <strong>अब</strong> , बंद कपाटो के पीछे</p>
<p>वैसे ही -- देते <strong>अब</strong> खबर पडोसी की -- को -- देते खबर पडोसी की <strong>अब</strong></p>
<p><strong>त्योहार पड़े फीके अब तो --- को -- फीके अब <strong>त्योहार पड़े</strong> तो <br/>ऐसा कर के लय देखियेगा , सही लगे तो परिवर्तन कीजियेगा <br/></strong></p>
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