Comments - वागीश्वरी सवैया और कलाधर छंद - Open Books Online2024-03-28T13:57:59Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A810090&xn_auth=noआदरणीय सौरभ सर मेरे इस छोटे स…tag:openbooks.ning.com,2016-10-27:5170231:Comment:8105922016-10-27T06:34:22.767Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'https://openbooks.ning.com/profile/Basudeo
आदरणीय सौरभ सर मेरे इस छोटे से प्रयास पर आपने इतना समय दिया और पग पग पर मेरा मार्ग दर्शन कर रहे हैं में तो धन्य हुवा। आती है उर्दू जबाँ सीखते सीखते की तर्ज़ पर भाषा की ये बारीकियां तो आप रामबली जी और तमाम obo के साथियों की सोहबत से धीरे धीरे जरूर समझ में आएगी। आदरणीय वरद हस्त यूँ ही बनाये रखें।
आदरणीय सौरभ सर मेरे इस छोटे से प्रयास पर आपने इतना समय दिया और पग पग पर मेरा मार्ग दर्शन कर रहे हैं में तो धन्य हुवा। आती है उर्दू जबाँ सीखते सीखते की तर्ज़ पर भाषा की ये बारीकियां तो आप रामबली जी और तमाम obo के साथियों की सोहबत से धीरे धीरे जरूर समझ में आएगी। आदरणीय वरद हस्त यूँ ही बनाये रखें। आदरणीय रामबली जी आपकी समीक्षा…tag:openbooks.ning.com,2016-10-27:5170231:Comment:8104472016-10-27T06:27:41.247Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'https://openbooks.ning.com/profile/Basudeo
आदरणीय रामबली जी आपकी समीक्षा से अभिभूत हूँ। मनों में लिखते समय मेरे मन में भी दिलों का विचार आया था पर मैंने दोनों में कोई फर्क नहीं समझते हुए संस्कृत आधारित शब्द को चुन लिया। आपका आशीर्वाद सदैव यूँ ही बना रहे कि इतनी बारीकियों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है।<br />
<br />
कलाधर में 'कीजिए' शायद आपको खटका होगा। इसका यदि कोई विकल्प सुझा सकें तो आभारी रहूंगा। इसके अलावा भी तुकांतता में कोई चुक है तो कृपया उचित मार्गदर्शन करें। वैसे घनाक्षरी में तो इस तरह की तुकों का धड़ल्ले से प्रयोग होता है।
आदरणीय रामबली जी आपकी समीक्षा से अभिभूत हूँ। मनों में लिखते समय मेरे मन में भी दिलों का विचार आया था पर मैंने दोनों में कोई फर्क नहीं समझते हुए संस्कृत आधारित शब्द को चुन लिया। आपका आशीर्वाद सदैव यूँ ही बना रहे कि इतनी बारीकियों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है।<br />
<br />
कलाधर में 'कीजिए' शायद आपको खटका होगा। इसका यदि कोई विकल्प सुझा सकें तो आभारी रहूंगा। इसके अलावा भी तुकांतता में कोई चुक है तो कृपया उचित मार्गदर्शन करें। वैसे घनाक्षरी में तो इस तरह की तुकों का धड़ल्ले से प्रयोग होता है। मनों का प्रयोग असहज करता हुआ…tag:openbooks.ning.com,2016-10-26:5170231:Comment:8106302016-10-26T17:21:39.635ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>मनों का प्रयोग असहज करता हुआ प्रयोग है. आप सही कह रहे हैं, भाई रामबली जी. मैं कहना चाह रहा था.लेकिन टाइप करने के समय इस विन्दु को अंकित करना भूल गया. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>मनों का प्रयोग असहज करता हुआ प्रयोग है. आप सही कह रहे हैं, भाई रामबली जी. मैं कहना चाह रहा था.लेकिन टाइप करने के समय इस विन्दु को अंकित करना भूल गया. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> वाह आद0 वासुदेव भाई जी पहले त…tag:openbooks.ning.com,2016-10-26:5170231:Comment:8104282016-10-26T12:44:40.787Zरामबली गुप्ताhttps://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
वाह आद0 वासुदेव भाई जी पहले तो आप दोनों छंदों के लिए हृदय से बधाई लीजिये। वागीश्वरी, महाभुजंगप्रयात, कलाधर आदि छंद लिखना यदि कठिन नही तो उतना सहज भी नही अतः इन छंदों पर आपके प्रयास को देखकर बहुत ही प्रसन्नता हुई है। शिल्प की बात करें तो कलाधर छंद में तुकांतता के बारे में आद0 सौरभ सर की टिप्पणी से सहमत हूँ। वागीश्वरी में तुकांतता और शिल्प सब ठीक है बस थोड़ा 'मनों' शब्द के प्रयोग पर आशंकित हूँ इस सन्दर्भ में आद0 सौरभ सर का मार्गदर्शन चाहूँगा। वैसे मनों के स्थान पर दिलों का भी प्रयोग किया जा सकता…
वाह आद0 वासुदेव भाई जी पहले तो आप दोनों छंदों के लिए हृदय से बधाई लीजिये। वागीश्वरी, महाभुजंगप्रयात, कलाधर आदि छंद लिखना यदि कठिन नही तो उतना सहज भी नही अतः इन छंदों पर आपके प्रयास को देखकर बहुत ही प्रसन्नता हुई है। शिल्प की बात करें तो कलाधर छंद में तुकांतता के बारे में आद0 सौरभ सर की टिप्पणी से सहमत हूँ। वागीश्वरी में तुकांतता और शिल्प सब ठीक है बस थोड़ा 'मनों' शब्द के प्रयोग पर आशंकित हूँ इस सन्दर्भ में आद0 सौरभ सर का मार्गदर्शन चाहूँगा। वैसे मनों के स्थान पर दिलों का भी प्रयोग किया जा सकता है।पुनः बधाई। सादर आदरणीय समर कबीरजी आपने रचना क…tag:openbooks.ning.com,2016-10-26:5170231:Comment:8104232016-10-26T10:31:04.824Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'https://openbooks.ning.com/profile/Basudeo
आदरणीय समर कबीरजी आपने रचना की सराहना की मैं धन्य हो गया। बहुत आभार।
आदरणीय समर कबीरजी आपने रचना की सराहना की मैं धन्य हो गया। बहुत आभार। आदरणीय सौरभ जी आप की प्रेरणा…tag:openbooks.ning.com,2016-10-26:5170231:Comment:8106212016-10-26T10:29:17.358Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'https://openbooks.ning.com/profile/Basudeo
आदरणीय सौरभ जी आप की प्रेरणा से ही आज कलाधर छंद में दो और पंक्तियाँ जोड़ पाया। आप जैसे गुणीजनों के मध्य बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। आपका बहुत बहुत आभार।
आदरणीय सौरभ जी आप की प्रेरणा से ही आज कलाधर छंद में दो और पंक्तियाँ जोड़ पाया। आप जैसे गुणीजनों के मध्य बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। आपका बहुत बहुत आभार। आदरणीय बासुदेव अग्रवाल नमन जी…tag:openbooks.ning.com,2016-10-26:5170231:Comment:8104222016-10-26T10:00:16.599ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय बासुदेव अग्रवाल नमन जी, मेरे कहे का मान रखने के लिए हार्दिक धन्यवाद. </p>
<p></p>
<p>यह अवश्य है कि, सवैया छन्द की तुकान्तता जितनी सधी हुई है कलाधर छन्द की तुकान्तता पर वैसा अभ्यास नहीं हो पाया है. सतत अभ्यासकर्म करते रहें. </p>
<p>हार्दिक शुभेच्छाएँ</p>
<p> </p>
<p>आदरणीय बासुदेव अग्रवाल नमन जी, मेरे कहे का मान रखने के लिए हार्दिक धन्यवाद. </p>
<p></p>
<p>यह अवश्य है कि, सवैया छन्द की तुकान्तता जितनी सधी हुई है कलाधर छन्द की तुकान्तता पर वैसा अभ्यास नहीं हो पाया है. सतत अभ्यासकर्म करते रहें. </p>
<p>हार्दिक शुभेच्छाएँ</p>
<p> </p> जनाब वासुदेव अग्रवाल ',नमन'जी…tag:openbooks.ning.com,2016-10-26:5170231:Comment:8105292016-10-26T09:52:59.060ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब वासुदेव अग्रवाल ',नमन'जी आदाब,अभी मुझे इस छन्द के विधान को समझने में समय लगेगा,बहरहाल आपको जनाब सौरभ पाण्डेय जी मार्गदर्शन दे ही चुके हैं,मेरी तरफ़ से इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें । </p>
<p></p>
<p>जनाब वासुदेव अग्रवाल ',नमन'जी आदाब,अभी मुझे इस छन्द के विधान को समझने में समय लगेगा,बहरहाल आपको जनाब सौरभ पाण्डेय जी मार्गदर्शन दे ही चुके हैं,मेरी तरफ़ से इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें । </p>
<p></p> सवैया को चार पंक्तियों में लि…tag:openbooks.ning.com,2016-10-25:5170231:Comment:8101022016-10-25T17:47:33.353ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>सवैया को चार पंक्तियों में लिखें और कलाधर छन्द चार पंक्तियों का छन्द है. अतः दो पंक्तियाँ और चाहिए अन्यथा आपकी प्रस्तुति अधूरी है. </p>
<p></p>
<p>सवैया को चार पंक्तियों में लिखें और कलाधर छन्द चार पंक्तियों का छन्द है. अतः दो पंक्तियाँ और चाहिए अन्यथा आपकी प्रस्तुति अधूरी है. </p>
<p></p>