Comments - पागल या बदनसीब (लघुकथा) / शेख़ शहज़ाद उस्मानी - Open Books Online2024-03-29T05:42:56Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A797616&xn_auth=noआपके अनुमोदन से मेरा यह प्रया…tag:openbooks.ning.com,2016-09-04:5170231:Comment:7979562016-09-04T14:34:54.918ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
आपके अनुमोदन से मेरा यह प्रयास सफल हुआ। मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया कान्ता राय जी।
आपके अनुमोदन से मेरा यह प्रयास सफल हुआ। मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया कान्ता राय जी। आपको यह प्रस्तुति पसंद आई, बह…tag:openbooks.ning.com,2016-09-04:5170231:Comment:7978512016-09-04T14:33:12.150ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
आपको यह प्रस्तुति पसंद आई, बहुत प्रसन्नता हुई। मेरी रचना पर पहली बार टिप्पणी कर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया अलका चांगा जी।
आपको यह प्रस्तुति पसंद आई, बहुत प्रसन्नता हुई। मेरी रचना पर पहली बार टिप्पणी कर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया अलका चांगा जी। बहुत बढ़िया कथ्य उभरकर आया है…tag:openbooks.ning.com,2016-09-04:5170231:Comment:7980202016-09-04T09:34:54.080Zkanta royhttps://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
बहुत बढ़िया कथ्य उभरकर आया है आपकी लघुकथा में आदरणीय शहजाद जी।बधाई प्रेषित है।
बहुत बढ़िया कथ्य उभरकर आया है आपकी लघुकथा में आदरणीय शहजाद जी।बधाई प्रेषित है। शानदार लघुकथा ,बहुत खूब आदरणीयtag:openbooks.ning.com,2016-09-03:5170231:Comment:7977522016-09-03T12:34:58.630Zअलका 'कृष्णांशी'https://openbooks.ning.com/profile/AlkaChanga
<p><span>शानदार <span>लघुकथा ,<span>बहुत खूब आदरणीय</span><span><br/></span></span></span></p>
<p><span>शानदार <span>लघुकथा ,<span>बहुत खूब आदरणीय</span><span><br/></span></span></span></p> सदैव हार्दिक स्वागत है आपकी म…tag:openbooks.ning.com,2016-09-03:5170231:Comment:7977022016-09-03T11:35:34.172ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
सदैव हार्दिक स्वागत है आपकी मार्गदर्शक टिप्पणियों का मोहतरम जनाब गिरिराज भंडारी साहब व जनाब समर कबीर साहब। अपने विचारों से अवगत कराने व स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
सदैव हार्दिक स्वागत है आपकी मार्गदर्शक टिप्पणियों का मोहतरम जनाब गिरिराज भंडारी साहब व जनाब समर कबीर साहब। अपने विचारों से अवगत कराने व स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया। छात्रायें काफी आगे निकल चुकीं…tag:openbooks.ning.com,2016-09-02:5170231:Comment:7975602016-09-02T11:26:19.329Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>छात्रायें काफी आगे निकल चुकीं थीं और कार भी -- सच है भाई जी अब तो और काफी आगे निकलचुकी होंगी , मुँह बान्धे हुये , आतंकवादियों जैसे । लेकिन ये भी सच है कि वो मानते नहीं किसी की , ऐसों को समय ही सिखायेगा ।</p>
<p>आपकी कथा अच्छी लगी , आदरनीय , इसी बहाने मैभी अपने विचार रख दिया । आपको हार्दिक बधाई ।</p>
<p>छात्रायें काफी आगे निकल चुकीं थीं और कार भी -- सच है भाई जी अब तो और काफी आगे निकलचुकी होंगी , मुँह बान्धे हुये , आतंकवादियों जैसे । लेकिन ये भी सच है कि वो मानते नहीं किसी की , ऐसों को समय ही सिखायेगा ।</p>
<p>आपकी कथा अच्छी लगी , आदरनीय , इसी बहाने मैभी अपने विचार रख दिया । आपको हार्दिक बधाई ।</p> जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब…tag:openbooks.ning.com,2016-09-02:5170231:Comment:7973762016-09-02T10:12:36.333ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,बहुत अच्छा सबक़ दे रही है आपकी लघुकथा,इस शानदार प्रतुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,बहुत अच्छा सबक़ दे रही है आपकी लघुकथा,इस शानदार प्रतुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।