Comments - षड्यंत्र (लघु कथा ) - Open Books Online2024-03-28T09:50:47Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A775651&xn_auth=noआदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , बह…tag:openbooks.ning.com,2016-06-15:5170231:Comment:7758002016-06-15T04:38:17.846Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , बहुत सही बात आपने कथा मे उठाई है , सच मे यही हो रहा आजकल । हार्दिक बधाई आपको !</p>
<p>आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , बहुत सही बात आपने कथा मे उठाई है , सच मे यही हो रहा आजकल । हार्दिक बधाई आपको !</p> क्या बात है,वाहह्ह्ह. .शानदार…tag:openbooks.ning.com,2016-06-13:5170231:Comment:7755052016-06-13T07:38:45.048ZRahilahttps://openbooks.ning.com/profile/Rahila
क्या बात है,वाहह्ह्ह. .शानदार रचना आदरणीय सर जी!जितने भी नेताओं ने आजतक सफाई दी है बिलकुल इसी अंदाज मे दी है । बहुत, बहुत बधाई आपको । सादर
क्या बात है,वाहह्ह्ह. .शानदार रचना आदरणीय सर जी!जितने भी नेताओं ने आजतक सफाई दी है बिलकुल इसी अंदाज मे दी है । बहुत, बहुत बधाई आपको । सादर आदरणीय गोपाल जी एक अच्छी लघु…tag:openbooks.ning.com,2016-06-13:5170231:Comment:7755962016-06-13T04:04:40.652ZRajendra kumar dubeyhttps://openbooks.ning.com/profile/Rajendrakumardubey
आदरणीय गोपाल जी एक अच्छी लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।
आदरणीय गोपाल जी एक अच्छी लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई। आदरणीय गोपाल भाई जी,षड्यंत्र…tag:openbooks.ning.com,2016-06-13:5170231:Comment:7757162016-06-13T02:43:03.827ZNEERAJ KHAREhttps://openbooks.ning.com/profile/NEERAJKHARE
आदरणीय गोपाल भाई जी,षड्यंत्र पे षड्यंत्र करते इस नेता की तो जांच होनी चाहिए। मगर करेगा कौन। ये प्रश्न आज भी विद्दमान है। सुपर से ऊपर है आपकी लघु कथा।
आदरणीय गोपाल भाई जी,षड्यंत्र पे षड्यंत्र करते इस नेता की तो जांच होनी चाहिए। मगर करेगा कौन। ये प्रश्न आज भी विद्दमान है। सुपर से ऊपर है आपकी लघु कथा। सही मायने में शीर्षक को परिभा…tag:openbooks.ning.com,2016-06-12:5170231:Comment:7756572016-06-12T14:41:47.914ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
सही मायने में शीर्षक को परिभाषित करती हुई समसामयिक परिदृश्य को शाब्दिक करती बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी। बीच में ऐसा लगा कि अतिरिक्त विवरण है किन्तु उत्तरार्ध सार्थक सटीक रहा।
सही मायने में शीर्षक को परिभाषित करती हुई समसामयिक परिदृश्य को शाब्दिक करती बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी। बीच में ऐसा लगा कि अतिरिक्त विवरण है किन्तु उत्तरार्ध सार्थक सटीक रहा।