Comments - ग़ज़ल - जो बच्चों में अभी बच्चा हुआ है ( गिरिराज भंडारी ) - Open Books Online2024-03-29T13:02:15Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A770088&xn_auth=noआदरणीय श्री सुनील भाई , गज़ल प…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7729392016-06-02T16:24:54.629Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय श्री सुनील भाई , गज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।</p>
<p>आदरणीय श्री सुनील भाई , गज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।</p> बहुत ख़ूब.. उम्दा ग़ज़ल.. संज…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7727622016-06-02T15:56:08.538Zshree suneelhttps://openbooks.ning.com/profile/shreesuneel
बहुत ख़ूब.. उम्दा ग़ज़ल.. संजीदा अशआर.. हार्दिक बधाई आपको इस उम्दा ग़ज़ल के लिए आदरणीय गिरिराज सर जी. सादर
बहुत ख़ूब.. उम्दा ग़ज़ल.. संजीदा अशआर.. हार्दिक बधाई आपको इस उम्दा ग़ज़ल के लिए आदरणीय गिरिराज सर जी. सादर आदरणीय सुशील भाई , हौसला अफज़ा…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7726612016-06-02T14:48:37.800Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय सुशील भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।</p>
<p>आदरणीय सुशील भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।</p> नहीं समझा सकोगे धर्म अब तुम स…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7727542016-06-02T13:18:13.993ZSushil Sarnahttps://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>नहीं समझा सकोगे धर्म अब तुम <br/>सभी का अब ख़ुदा पैसा हुआ है</p>
<p>वाह आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब बहुत ही दिलकश अशआर कहे हैं आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार करें सर।</p>
<p>नहीं समझा सकोगे धर्म अब तुम <br/>सभी का अब ख़ुदा पैसा हुआ है</p>
<p>वाह आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब बहुत ही दिलकश अशआर कहे हैं आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार करें सर।</p> आदरणीया कल्पना जी , हौसला अफज़…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7727512016-06-02T12:50:41.654Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीया कल्पना जी , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।</p>
<p>आदरणीया कल्पना जी , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।</p> आदरनीया कांता जी , गज़ल की सरा…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7727502016-06-02T12:49:30.419Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरनीया कांता जी , गज़ल की सराहना कर उत्साहवर्धन करने के लिये आपका हृदय से आभार ।</p>
<p>आदरनीया कांता जी , गज़ल की सराहना कर उत्साहवर्धन करने के लिये आपका हृदय से आभार ।</p> ग़लत कहते हैं जो कहते हैं तुमस…tag:openbooks.ning.com,2016-06-02:5170231:Comment:7728382016-06-02T11:52:39.753ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>ग़लत कहते हैं जो कहते हैं तुमसे</p>
<p>यक़ीं मरकर भी क्या ज़िन्दा हुआ है ?</p>
<p> </p>
<p>ठहर जा गर्दिशे अय्याम दर पर</p>
<p>ये मंज़र दर्द का देखा हुआ है</p>
<p> </p>
<p>फटेगा एक दिन बादल के जैसे</p>
<p>जो आँसू आपने रोका हुआ है</p>
<p> </p>
<p>बुढ़ापा फिर न याद आ जाये उसको</p>
<p>जो बच्चों में अभी बच्चा हुआ है</p>
<p> </p>
<p>न जाने कौन धोखे बाज निकले</p>
<p>सभी को है यक़ीं , धोखा हुआ है</p>
<p></p>
<p>बहुत खूब आदरणीय | बहुत बहुत बधाई सर |</p>
<p>ग़लत कहते हैं जो कहते हैं तुमसे</p>
<p>यक़ीं मरकर भी क्या ज़िन्दा हुआ है ?</p>
<p> </p>
<p>ठहर जा गर्दिशे अय्याम दर पर</p>
<p>ये मंज़र दर्द का देखा हुआ है</p>
<p> </p>
<p>फटेगा एक दिन बादल के जैसे</p>
<p>जो आँसू आपने रोका हुआ है</p>
<p> </p>
<p>बुढ़ापा फिर न याद आ जाये उसको</p>
<p>जो बच्चों में अभी बच्चा हुआ है</p>
<p> </p>
<p>न जाने कौन धोखे बाज निकले</p>
<p>सभी को है यक़ीं , धोखा हुआ है</p>
<p></p>
<p>बहुत खूब आदरणीय | बहुत बहुत बधाई सर |</p> ग़लत कहते हैं जो कहते हैं तुमस…tag:openbooks.ning.com,2016-06-01:5170231:Comment:7724582016-06-01T16:13:06.193Zkanta royhttps://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
ग़लत कहते हैं जो कहते हैं तुमसे<br />
यक़ीं मरकर भी क्या ज़िन्दा हुआ है ?---- वाह ! जिंदगी के कठोर हालातों से निकल कर आये है आपके सभी अशआर गजल के आदरणीय गिरीराज जी । पढ़कर सोचने पर मजबूर हुई , क्या वाकई में हालात ऐसे हो गये है ! हमेशा की तरह शानदार गजल कही है आपने । बहुत बहुत बधाई आपको ।
ग़लत कहते हैं जो कहते हैं तुमसे<br />
यक़ीं मरकर भी क्या ज़िन्दा हुआ है ?---- वाह ! जिंदगी के कठोर हालातों से निकल कर आये है आपके सभी अशआर गजल के आदरणीय गिरीराज जी । पढ़कर सोचने पर मजबूर हुई , क्या वाकई में हालात ऐसे हो गये है ! हमेशा की तरह शानदार गजल कही है आपने । बहुत बहुत बधाई आपको । आदरणीय बैजनाथ भाई , हौसला अफज़…tag:openbooks.ning.com,2016-05-31:5170231:Comment:7716112016-05-31T03:21:37.150Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय बैजनाथ भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।</p>
<p>आदरणीय बैजनाथ भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।</p> आदरणीय गिरिराज भंडारी साहेब.…tag:openbooks.ning.com,2016-05-30:5170231:Comment:7712612016-05-30T16:49:47.890ZDR. BAIJNATH SHARMA'MINTU'https://openbooks.ning.com/profile/BAIJNATHSHARMAMINTU
<p>आदरणीय गिरिराज भंडारी साहेब................वाह वाह .............बहुत खूब ...............नमन आपको </p>
<p>आदरणीय गिरिराज भंडारी साहेब................वाह वाह .............बहुत खूब ...............नमन आपको </p>