Comments - इन्हें रोकना मैं बहुत चाहता हूँ........ - Open Books Online2024-03-29T10:56:09Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A731868&xn_auth=noआदरनीय फूल सिंह सर सादर आभारtag:openbooks.ning.com,2016-02-05:5170231:Comment:7381982016-02-05T14:17:56.352ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"https://openbooks.ning.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
आदरनीय फूल सिंह सर सादर आभार
आदरनीय फूल सिंह सर सादर आभार बहुत ही सुन्दर रचना , आप बहुत…tag:openbooks.ning.com,2016-01-15:5170231:Comment:7323282016-01-15T04:43:42.521ZPHOOL SINGHhttps://openbooks.ning.com/profile/PHOOLSINGH
<p>बहुत ही सुन्दर रचना , आप बहुत बहुत बधाई</p>
<p>बहुत ही सुन्दर रचना , आप बहुत बहुत बधाई</p> आदरणीय समर कबीर सर सादर धन्यव…tag:openbooks.ning.com,2016-01-13:5170231:Comment:7316912016-01-13T17:05:08.387ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"https://openbooks.ning.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
आदरणीय समर कबीर सर सादर धन्यवाद
आदरणीय समर कबीर सर सादर धन्यवाद जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी आदा…tag:openbooks.ning.com,2016-01-13:5170231:Comment:7318982016-01-13T12:31:05.418ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी आदाब,वाह बहुत ख़ूब,इस शानदार रचना के लिये ढेरों बधाई स्वीकार करें |
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी आदाब,वाह बहुत ख़ूब,इस शानदार रचना के लिये ढेरों बधाई स्वीकार करें | आदरणीय शैख़ शहज़ाद सर तारीफ के…tag:openbooks.ning.com,2016-01-13:5170231:Comment:7318872016-01-13T09:21:50.871ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"https://openbooks.ning.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
आदरणीय शैख़ शहज़ाद सर तारीफ के लिए शुक्रिया।<br />
<br />
सुझाव शिरोधार्य है, प्रयास करने का वादा भी
आदरणीय शैख़ शहज़ाद सर तारीफ के लिए शुक्रिया।<br />
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सुझाव शिरोधार्य है, प्रयास करने का वादा भी "हम सुधरेंगे, जग/युग सुधरेगा"…tag:openbooks.ning.com,2016-01-13:5170231:Comment:7319612016-01-13T08:57:46.600ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
"हम सुधरेंगे, जग/युग सुधरेगा"... जन जागरण का दायित्व निभाती रचना के लिए तहे दिल बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा 'वात्सयायन' जी। यदि आप इसे सार छंद या छन्न पकैया सार छंद में भी पेश कर सकें, तो और मज़ा आयेगा!
"हम सुधरेंगे, जग/युग सुधरेगा"... जन जागरण का दायित्व निभाती रचना के लिए तहे दिल बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा 'वात्सयायन' जी। यदि आप इसे सार छंद या छन्न पकैया सार छंद में भी पेश कर सकें, तो और मज़ा आयेगा! आदरणीय विजय सर सादर प्रणाम्।…tag:openbooks.ning.com,2016-01-13:5170231:Comment:7319572016-01-13T07:41:18.402ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"https://openbooks.ning.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
आदरणीय विजय सर सादर प्रणाम्।<br />
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रचनाकर्म को प्रोत्साहित करने के लिए हृदय तल से आभार
आदरणीय विजय सर सादर प्रणाम्।<br />
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रचनाकर्म को प्रोत्साहित करने के लिए हृदय तल से आभार सुन्दर एवं सही , सुन्दर अभिव्…tag:openbooks.ning.com,2016-01-13:5170231:Comment:7316752016-01-13T05:12:49.604ZDr. Vijai Shankerhttps://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
सुन्दर एवं सही , सुन्दर अभिव्यक्ति , आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा जी ,<br />
हम उनके आँसू रोकना चाहते हैं ,<br />
करते कुछ नहीं , कर कुछ नहीं पाते , बस ,<br />
कभी - कभी दो चार आँसू खुद बहा देते हैं।<br />
बधाई।
सुन्दर एवं सही , सुन्दर अभिव्यक्ति , आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा जी ,<br />
हम उनके आँसू रोकना चाहते हैं ,<br />
करते कुछ नहीं , कर कुछ नहीं पाते , बस ,<br />
कभी - कभी दो चार आँसू खुद बहा देते हैं।<br />
बधाई।