Comments - लघुकथा - अनाथ - Open Books Online2024-03-29T11:03:58Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A707914&xn_auth=noइस मंच के सभी साथियों का दिल…tag:openbooks.ning.com,2015-10-23:5170231:Comment:7086222015-10-23T04:54:22.044ZOmprakash Kshatriyahttps://openbooks.ning.com/profile/OmprakashKshatriya
<p>इस मंच के सभी साथियों का दिल से आभार. यह मंच सीखनेसिखाने का एक अच्छा प्लेटफोर्म है. यह आ कर दिल को एक सकून मिलाता है. लगता है कि हम भी कुछ लिख रहे हैं. इस तरह के स्वस्थ परम्परा को मेरा अभिनन्दन .</p>
<p>इस मंच के सभी साथियों का दिल से आभार. यह मंच सीखनेसिखाने का एक अच्छा प्लेटफोर्म है. यह आ कर दिल को एक सकून मिलाता है. लगता है कि हम भी कुछ लिख रहे हैं. इस तरह के स्वस्थ परम्परा को मेरा अभिनन्दन .</p> आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आप…tag:openbooks.ning.com,2015-10-23:5170231:Comment:7084602015-10-23T04:52:01.074ZOmprakash Kshatriyahttps://openbooks.ning.com/profile/OmprakashKshatriya
<p>आदरणीय <a rel="nofollow" href="http://openbooksonline.com/profile/mw" class="fn url">मिथिलेश वामनकर</a><span> </span> जी आप की दाद मिल गई , समझो मेरी मेहनत सफल हो गई. आप की इस आत्मीयता के लिए दिल से आभार . वैसे आ बागी जी की बात का संज्ञान पहले ही ले चूका हूँ. अंतिम पंक्तियाँ हटा दी है. इस से लघुकथा और निखर गई है.</p>
<p>आ कांता रॉय जी व आ Er Ganesh जी बागी जी का पुन शुक्रिया. आप ने मेरी लघुकथा में निखर लाने के लिए सुझाव दिया.</p>
<p>आदरणीय <a rel="nofollow" href="http://openbooksonline.com/profile/mw" class="fn url">मिथिलेश वामनकर</a><span> </span> जी आप की दाद मिल गई , समझो मेरी मेहनत सफल हो गई. आप की इस आत्मीयता के लिए दिल से आभार . वैसे आ बागी जी की बात का संज्ञान पहले ही ले चूका हूँ. अंतिम पंक्तियाँ हटा दी है. इस से लघुकथा और निखर गई है.</p>
<p>आ कांता रॉय जी व आ Er Ganesh जी बागी जी का पुन शुक्रिया. आप ने मेरी लघुकथा में निखर लाने के लिए सुझाव दिया.</p> वाह वाह वाह
आदरणीय ओमप्रकाश…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7083272015-10-22T18:28:25.033Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>वाह वाह वाह </p>
<p>आदरणीय ओमप्रकाश जी शानदार लघुकथा हुई है. आपको बहुत बहुत बधाई </p>
<p>आदरणीय बागी सर की बात पर जरुर गौर कीजियेगा. सादर </p>
<p>वाह वाह वाह </p>
<p>आदरणीय ओमप्रकाश जी शानदार लघुकथा हुई है. आपको बहुत बहुत बधाई </p>
<p>आदरणीय बागी सर की बात पर जरुर गौर कीजियेगा. सादर </p> आदरणीया प्रतिभा पांडे जी आप न…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7080922015-10-22T07:50:49.859ZOmprakash Kshatriyahttps://openbooks.ning.com/profile/OmprakashKshatriya
आदरणीया प्रतिभा पांडे जी आप ने लघुकथा को समय दे कर मेरा मान बढ़ाया । आभार आप का ।
आदरणीया प्रतिभा पांडे जी आप ने लघुकथा को समय दे कर मेरा मान बढ़ाया । आभार आप का । आ कांता जी संशोधन करने करने क…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7082472015-10-22T07:49:14.348ZOmprakash Kshatriyahttps://openbooks.ning.com/profile/OmprakashKshatriya
आ कांता जी संशोधन करने करने की कोशिश कर रहा हूँ । ताकि अंतिम पंक्तियाँ हटाई जा सके । सादर ।
आ कांता जी संशोधन करने करने की कोशिश कर रहा हूँ । ताकि अंतिम पंक्तियाँ हटाई जा सके । सादर । बहुत सार्थक लघु कथा ,कसे हुए…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7079722015-10-22T04:38:46.311Zpratibha pandehttps://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>बहुत सार्थक लघु कथा ,कसे हुए शिल्प के साथ बधाई आपको इस रचना पर आदरणीय </p>
<p>बहुत सार्थक लघु कथा ,कसे हुए शिल्प के साथ बधाई आपको इस रचना पर आदरणीय </p> आदरणीय बागी जी की मार्गदर्शन…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7082442015-10-22T04:20:16.504Zkanta royhttps://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
आदरणीय बागी जी की मार्गदर्शन सटीक और सार्थक है आदरणीय ओमप्रकाश जी । उनका मार्गदर्शन हम सबके लिए लाभकारी है । आप संशोधन करें । कथा के हित में यह सही रहेगा । सादर
आदरणीय बागी जी की मार्गदर्शन सटीक और सार्थक है आदरणीय ओमप्रकाश जी । उनका मार्गदर्शन हम सबके लिए लाभकारी है । आप संशोधन करें । कथा के हित में यह सही रहेगा । सादर यदि आप की अनुमति हो तो मैंसंश…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7080812015-10-22T04:04:34.207ZOmprakash Kshatriyahttps://openbooks.ning.com/profile/OmprakashKshatriya
यदि आप की अनुमति हो तो मैंसंशोधन कर दूँ । कृपया स्वीकृति से अवगत करवाए आदरणीय सुधिजनों । सादर ।
यदि आप की अनुमति हो तो मैंसंशोधन कर दूँ । कृपया स्वीकृति से अवगत करवाए आदरणीय सुधिजनों । सादर । आ इंजीनियर गणेश जी बागी जी आप…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7079712015-10-22T04:01:40.597ZOmprakash Kshatriyahttps://openbooks.ning.com/profile/OmprakashKshatriya
आ इंजीनियर गणेश जी बागी जी आप की समीक्षात्मक टिप्पणी पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया । आप का कहना सही है, लघुकथा की अंतिम पंक्तियाँ गैर जरुरी है । यदि मैं संशोधन करता हूँ तो यह लघुकथा वापस अप्रूव होने जाएगी । इस डर से संशोधन नही कर पा रहा हूँ । सादर ।
आ इंजीनियर गणेश जी बागी जी आप की समीक्षात्मक टिप्पणी पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया । आप का कहना सही है, लघुकथा की अंतिम पंक्तियाँ गैर जरुरी है । यदि मैं संशोधन करता हूँ तो यह लघुकथा वापस अप्रूव होने जाएगी । इस डर से संशोधन नही कर पा रहा हूँ । सादर । // “ आप इन्हें जानते हैं ?” त…tag:openbooks.ning.com,2015-10-22:5170231:Comment:7082362015-10-22T03:17:15.737ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>//<span> “ आप इन्हें जानते हैं ?” तो प्रबंधक ने कहा, “ जी मैं <strong>इन्हें</strong> अच्छी तरह <strong>से</strong> जानता हूँ. <strong>ये</strong> पिछले ३५ साल से <strong>इस</strong> अनाथालय को दान दे रहे हैं . <strong>दूसरी</strong> बात यह है कि ३५ साल पहले जिस बालक को <strong>ये</strong> इसी अनाथालय से गोद <strong>लेकर</strong> गए थे, वहीँ उन्हें यहाँ छोड़ गया.” </span></p>
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<p><span>---बस यही इस लघुकथा को समाप्त हो जाना चाहिए था, आगे की पक्ति निरर्थक है, अच्छी लघुकथा हुई बहुत बहुत…</span></p>
<p>//<span> “ आप इन्हें जानते हैं ?” तो प्रबंधक ने कहा, “ जी मैं <strong>इन्हें</strong> अच्छी तरह <strong>से</strong> जानता हूँ. <strong>ये</strong> पिछले ३५ साल से <strong>इस</strong> अनाथालय को दान दे रहे हैं . <strong>दूसरी</strong> बात यह है कि ३५ साल पहले जिस बालक को <strong>ये</strong> इसी अनाथालय से गोद <strong>लेकर</strong> गए थे, वहीँ उन्हें यहाँ छोड़ गया.” </span></p>
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<p><span>---बस यही इस लघुकथा को समाप्त हो जाना चाहिए था, आगे की पक्ति निरर्थक है, अच्छी लघुकथा हुई बहुत बहुत बधाई आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय जी.</span></p>