Comments - पूजेंगे उन्हें हम फिर - Open Books Online2024-03-28T12:38:36Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A700393&xn_auth=noक्या बात है !! आ. बड़े भाई गो…tag:openbooks.ning.com,2015-09-28:5170231:Comment:7021302015-09-28T02:42:37.528Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>क्या बात है !! आ. बड़े भाई गोपाल जी , नेताओं की जनम पत्री खूब बांची है , आपने । सत्य वचन !! आपको हार्दिक बधाइयाँ ।</p>
<p>क्या बात है !! आ. बड़े भाई गोपाल जी , नेताओं की जनम पत्री खूब बांची है , आपने । सत्य वचन !! आपको हार्दिक बधाइयाँ ।</p> गाँव को तो याद है वह दिन, भूल…tag:openbooks.ning.com,2015-09-24:5170231:Comment:7008612015-09-24T07:38:57.330Zkanta royhttps://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
गाँव को तो याद है वह दिन, भूल जाते हो मगर तुम<br />
देश की संसद बड़ी है, डूब जाते हो वही तुम...... बेहद सधे हुए लहजे में तीखी बातों की धार उतर सी जाती है पढते - पढते सहसा । बहुत खूब अभिव्यक्ति हुई है कटाक्ष लिये । बधाई स्वीकार करें आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ।
गाँव को तो याद है वह दिन, भूल जाते हो मगर तुम<br />
देश की संसद बड़ी है, डूब जाते हो वही तुम...... बेहद सधे हुए लहजे में तीखी बातों की धार उतर सी जाती है पढते - पढते सहसा । बहुत खूब अभिव्यक्ति हुई है कटाक्ष लिये । बधाई स्वीकार करें आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी । बढ़िया प्रस्तुति हुई है आदरणीय…tag:openbooks.ning.com,2015-09-24:5170231:Comment:7009322015-09-24T06:53:30.951Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>बढ़िया प्रस्तुति हुई है आदरणीय गोपाल सर.</p>
<p></p>
<p>पांच साल में एक दिन होती है पहचान I</p>
<p>भक्त कही जाते नहीं आते है भगवान् II</p>
<p>जय हो !.............................................................. जय हो............</p>
<p></p>
<p>इस प्रस्तुति पर बधाई आपको, सादर </p>
<p>बढ़िया प्रस्तुति हुई है आदरणीय गोपाल सर.</p>
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<p>पांच साल में एक दिन होती है पहचान I</p>
<p>भक्त कही जाते नहीं आते है भगवान् II</p>
<p>जय हो !.............................................................. जय हो............</p>
<p></p>
<p>इस प्रस्तुति पर बधाई आपको, सादर </p> बहुत सुन्दर और मार्मिक प्रस्…tag:openbooks.ning.com,2015-09-23:5170231:Comment:7004922015-09-23T05:23:31.092ZShyam Narain Vermahttps://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<table border="0" cellspacing="0" width="516">
<tbody><tr><td height="20" class="xl65" align="left" width="516"><p>बहुत सुन्दर और मार्मिक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई ।</p>
<p> सादर ,</p>
</td>
</tr>
</tbody>
</table>
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<tbody><tr><td height="20" class="xl65" align="left" width="516"><p>बहुत सुन्दर और मार्मिक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई ।</p>
<p> सादर ,</p>
</td>
</tr>
</tbody>
</table>