Comments - तरही गज़ल - Open Books Online2024-03-29T11:05:32Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A685161&xn_auth=noसंशोधन के बाद आयोजन की ग़ज़लें…tag:openbooks.ning.com,2015-08-04:5170231:Comment:6857152015-08-04T18:29:21.618ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>संशोधन के बाद आयोजन की ग़ज़लें संकलन वाले पोस्ट पर ही प्रतिक्रिया के रूप में रखी जाती है. और संचालक महोदय से निवेदन किया जाता है कि सुधरे रूप को मूल (चिह्नित) ग़ज़ल से प्रतिस्थापित कर दिया जाय.</p>
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<p>संशोधन के बाद आयोजन की ग़ज़लें संकलन वाले पोस्ट पर ही प्रतिक्रिया के रूप में रखी जाती है. और संचालक महोदय से निवेदन किया जाता है कि सुधरे रूप को मूल (चिह्नित) ग़ज़ल से प्रतिस्थापित कर दिया जाय.</p>
<p></p> आदरणीय सौरभ जी, जब भी मेर…tag:openbooks.ning.com,2015-08-04:5170231:Comment:6857082015-08-04T17:59:26.925Zमोहन बेगोवालhttps://openbooks.ning.com/profile/DrMohanlal
<p> <span>आदरणीय सौरभ जी, जब भी मेरे से कही गज़ल चिन्हित के साथ होती तो मुझे ये पता नहीं चलता था कि इस को <span>संशोधित कर इस्लाह के लिए कहाँ रखूं , इस बार मैने ब्लॉग में पोस्ट की तो साथ संशोधित भी लिख दिया , </span><span><br/></span></span></p>
<p> <span>आदरणीय सौरभ जी, जब भी मेरे से कही गज़ल चिन्हित के साथ होती तो मुझे ये पता नहीं चलता था कि इस को <span>संशोधित कर इस्लाह के लिए कहाँ रखूं , इस बार मैने ब्लॉग में पोस्ट की तो साथ संशोधित भी लिख दिया , </span><span><br/></span></span></p> आदरणीय, इस प्रस्तुति का उन्वा…tag:openbooks.ning.com,2015-08-04:5170231:Comment:6854012015-08-04T17:23:24.384ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय, इस प्रस्तुति का उन्वान आपने ’संशोधित तरही’ ग़ज़ल क्यों रखा है ? </p>
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<p>आदरणीय, इस प्रस्तुति का उन्वान आपने ’संशोधित तरही’ ग़ज़ल क्यों रखा है ? </p>
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