Comments - जी तोड़ काम - Open Books Online2024-03-29T12:43:58Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A684631&xn_auth=noआदरणीय गोपाल कृष्ण श्रीवास्तव…tag:openbooks.ning.com,2015-08-02:5170231:Comment:6846852015-08-02T14:07:48.429Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय गोपाल कृष्ण श्रीवास्तव सर, बड़े सधे शब्दों में व्यंग्य हुआ है. बहुत सुन्दर काव्यभियक्ति हुई है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई </p>
<p>आदरणीय गोपाल कृष्ण श्रीवास्तव सर, बड़े सधे शब्दों में व्यंग्य हुआ है. बहुत सुन्दर काव्यभियक्ति हुई है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई </p>