Comments - संत्रास (लघुकथा) : रवि प्रभाकर - Open Books Online2024-03-28T23:08:16Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A679213&xn_auth=noधोका खाये हुए इंसान कितना कडव…tag:openbooks.ning.com,2016-10-05:5170231:Comment:8058652016-10-05T12:20:54.621ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>धोका खाये हुए इंसान कितना कडवा बोल देता है | बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय सर इस लाजवाब कथा के लिए |</p>
<p>धोका खाये हुए इंसान कितना कडवा बोल देता है | बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय सर इस लाजवाब कथा के लिए |</p> रचना पर आपके हस्ताक्षर पा रच…tag:openbooks.ning.com,2015-07-25:5170231:Comment:6807872015-07-25T09:07:06.918ZRavi Prabhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>रचना पर आपके हस्ताक्षर पा रचना कार्य सफल हुआ आदरणीय डॉ. प्राची सिंह जी । सादर आभार</p>
<p>रचना पर आपके हस्ताक्षर पा रचना कार्य सफल हुआ आदरणीय डॉ. प्राची सिंह जी । सादर आभार</p> रचना पर पधारने व अपने अनमोल व…tag:openbooks.ning.com,2015-07-25:5170231:Comment:6808632015-07-25T09:06:06.445ZRavi Prabhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>रचना पर पधारने व अपने अनमोल विचार देने हेतु आदरणीय महर्षि त्रिपाठी, आदरणीय जवाहर सिंह व आदरणीय सीमा सिंह जी आपको ह्दय तल से आभार ।</p>
<p>रचना पर पधारने व अपने अनमोल विचार देने हेतु आदरणीय महर्षि त्रिपाठी, आदरणीय जवाहर सिंह व आदरणीय सीमा सिंह जी आपको ह्दय तल से आभार ।</p> आदरणीय राजेश कुमारी जी रचना क…tag:openbooks.ning.com,2015-07-25:5170231:Comment:6810172015-07-25T09:04:29.589ZRavi Prabhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>आदरणीय राजेश कुमारी जी रचना के मर्म को समझने व समीक्षा हेतु आपका हार्दिक आभार</p>
<p>आदरणीय राजेश कुमारी जी रचना के मर्म को समझने व समीक्षा हेतु आपका हार्दिक आभार</p> आदरणीय कांता रॉय जी कथा को अप…tag:openbooks.ning.com,2015-07-25:5170231:Comment:6807852015-07-25T09:03:22.430ZRavi Prabhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>आदरणीय कांता रॉय जी कथा को अपना बहुमूल्य समय देने व इसकी इतनी बारीकबानी से समीक्षा देने हेतु आपका सादर आभार ।</p>
<p>आदरणीय कांता रॉय जी कथा को अपना बहुमूल्य समय देने व इसकी इतनी बारीकबानी से समीक्षा देने हेतु आपका सादर आभार ।</p> आदरणीय कांता रॉय जी कथा को अप…tag:openbooks.ning.com,2015-07-25:5170231:Comment:6808622015-07-25T09:02:41.229ZRavi Prabhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>आदरणीय कांता रॉय जी कथा को अपना बहुमूल्य समय देने व इसकी इतनी बारीकबानी से समीक्षा देने हेतु आपका सादर आभार ।</p>
<p>आदरणीय कांता रॉय जी कथा को अपना बहुमूल्य समय देने व इसकी इतनी बारीकबानी से समीक्षा देने हेतु आपका सादर आभार ।</p> आदरणीय वीर मेहता जी व आदरणीय…tag:openbooks.ning.com,2015-07-25:5170231:Comment:6809232015-07-25T09:00:33.467ZRavi Prabhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>आदरणीय वीर मेहता जी व आदरणीय शशि बांसल जी आप तुल्य प्रतिभाशाली कथाकारों की साकारात्मक प्रतिक्रिया रूपी आशीर्वाद सदैव उर्जावान करता है। सादर आभार</p>
<p>आदरणीय वीर मेहता जी व आदरणीय शशि बांसल जी आप तुल्य प्रतिभाशाली कथाकारों की साकारात्मक प्रतिक्रिया रूपी आशीर्वाद सदैव उर्जावान करता है। सादर आभार</p> रचना पर आपकी उपस्थिती सदैव ग…tag:openbooks.ning.com,2015-07-25:5170231:Comment:6808612015-07-25T08:58:21.270ZRavi Prabhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>रचना पर आपकी उपस्थिती सदैव गौरवांन्ित करती है आदरणीय सौरभ पांडे भाई जी । आपकी प्रेरणा ने सदैव अच्छा लिखना को प्रेरित किया है भाई जी । आपके स्नेह व ओबीओ के मंच का सदैव ऋणी रहूंगा । सादर</p>
<p>रचना पर आपकी उपस्थिती सदैव गौरवांन्ित करती है आदरणीय सौरभ पांडे भाई जी । आपकी प्रेरणा ने सदैव अच्छा लिखना को प्रेरित किया है भाई जी । आपके स्नेह व ओबीओ के मंच का सदैव ऋणी रहूंगा । सादर</p> रचना को अपना कीमती समय देने ह…tag:openbooks.ning.com,2015-07-25:5170231:Comment:6808602015-07-25T08:55:47.678ZRavi Prabhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>रचना को अपना कीमती समय देने हेतु आदरणीय विनय कुमार सिंह जी, आदरणीय ओमप्रगास क्षत्रिय जी व आदरणीय तेजवीर सिंह जी का हार्दिक आभार ।</p>
<p>रचना को अपना कीमती समय देने हेतु आदरणीय विनय कुमार सिंह जी, आदरणीय ओमप्रगास क्षत्रिय जी व आदरणीय तेजवीर सिंह जी का हार्दिक आभार ।</p> लघुकथा पर आपकी उपस्िथती व सा…tag:openbooks.ning.com,2015-07-25:5170231:Comment:6807822015-07-25T08:53:44.400ZRavi Prabhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>लघुकथा पर आपकी उपस्िथती व साकारात्मक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब ।</p>
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<p>लघुकथा पर आपकी उपस्िथती व साकारात्मक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब ।</p>
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