Comments - जब खुशी हो पास आये ग़म पड़े दिल तोड़ जाये | - Open Books Online2024-03-28T11:00:41Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A656376&xn_auth=noआदरणीय , उत्साह वर्धन…tag:openbooks.ning.com,2015-05-28:5170231:Comment:6593732015-05-28T06:07:50.476ZShyam Narain Vermahttps://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<table border="0" cellspacing="0" width="482">
<tbody><tr><td height="20" class="xl64" align="left" width="482"><p></p>
<p>आदरणीय , उत्साह वर्धन के लिये आपक आभार ।</p>
<p></p>
<table border="0" cellspacing="0" width="482">
<tbody><tr><td height="20" align="left" width="482">सादर </td>
</tr>
</tbody>
</table>
<p></p>
</td>
</tr>
</tbody>
</table>
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<tbody><tr><td height="20" class="xl64" align="left" width="482"><p></p>
<p>आदरणीय , उत्साह वर्धन के लिये आपक आभार ।</p>
<p></p>
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<tbody><tr><td height="20" align="left" width="482">सादर </td>
</tr>
</tbody>
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</td>
</tr>
</tbody>
</table> बहर में हुआ प्रयास आशान्वित क…tag:openbooks.ning.com,2015-05-27:5170231:Comment:6590952015-05-27T15:42:02.664ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>बहर में हुआ प्रयास आशान्वित करता है, आदरणीय श्याम नारायण जी.. शुभेच्छाएँ</p>
<p></p>
<p>बहर में हुआ प्रयास आशान्वित करता है, आदरणीय श्याम नारायण जी.. शुभेच्छाएँ</p>
<p></p> आदरणीय समर कबीर जी , सही राय…tag:openbooks.ning.com,2015-05-22:5170231:Comment:6574282015-05-22T05:38:58.090ZShyam Narain Vermahttps://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<p>आदरणीय समर कबीर जी , सही राय देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार |<br/>घर बार भी कैसे चले जब मुंह जग मोड़ जाये |<br/>कैसा रहेगा |<br/>सादर</p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी , सही राय देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार |<br/>घर बार भी कैसे चले जब मुंह जग मोड़ जाये |<br/>कैसा रहेगा |<br/>सादर</p> आदरणीय समर कबीर जी , आदरणीया…tag:openbooks.ning.com,2015-05-22:5170231:Comment:6573202015-05-22T05:20:53.911ZShyam Narain Vermahttps://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<p>आदरणीय समर कबीर जी , आदरणीया डा. प्राची सिंह जी , आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , आदरणीय केवल प्रसाद जी , आदरणीय सुनील जी , आदरणीय मदन मोहन सक्सेना जी रचना भाव पसंद करने के लिए आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद |<br/>सादर</p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी , आदरणीया डा. प्राची सिंह जी , आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , आदरणीय केवल प्रसाद जी , आदरणीय सुनील जी , आदरणीय मदन मोहन सक्सेना जी रचना भाव पसंद करने के लिए आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद |<br/>सादर</p> दो जनो के मेल से चलती रहीं है…tag:openbooks.ning.com,2015-05-21:5170231:Comment:6567912015-05-21T09:57:12.313ZMadan Mohan saxenahttps://openbooks.ning.com/profile/MadanMohansaxena
<p>दो जनो के मेल से चलती रहीं है जिंदगी यों ,<br/> सिलसिला शादी बना जो इस जहाँ को जोड़ जाये |</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल</p>
<p>दो जनो के मेल से चलती रहीं है जिंदगी यों ,<br/> सिलसिला शादी बना जो इस जहाँ को जोड़ जाये |</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल</p> आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी,…tag:openbooks.ning.com,2015-05-20:5170231:Comment:6567732015-05-20T21:03:01.306Zshree suneelhttps://openbooks.ning.com/profile/shreesuneel
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई. बधाई आपको. अन्य टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं. सादर
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई. बधाई आपको. अन्य टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं. सादर आ0 श्याम नारायण भाई जी, गज़ल…tag:openbooks.ning.com,2015-05-20:5170231:Comment:6569432015-05-20T17:15:46.024Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'https://openbooks.ning.com/profile/kewalprasad
<p>आ0 श्याम नारायण भाई जी, गज़ल विधा पर आपकी पहली रचना पढ रहा हूं. बहुत सुंदर. दाद कुबूल करें. सादर</p>
<p>आ0 श्याम नारायण भाई जी, गज़ल विधा पर आपकी पहली रचना पढ रहा हूं. बहुत सुंदर. दाद कुबूल करें. सादर</p> आदरणीय श्याम नरेन् वर्मा जी ब…tag:openbooks.ning.com,2015-05-20:5170231:Comment:6568582015-05-20T15:13:57.864Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय श्याम नरेन् वर्मा जी बह्र में ग़ज़ल का सुन्दर प्रयास हुआ है दाद कुबूल फरमाएं. आदरणीय समर जी से सहमती व्यक्त करते हुए मिसरों से बह्र के दबाव को थोड़ा कम करने का निवेदन है </p>
<p>आदरणीय श्याम नरेन् वर्मा जी बह्र में ग़ज़ल का सुन्दर प्रयास हुआ है दाद कुबूल फरमाएं. आदरणीय समर जी से सहमती व्यक्त करते हुए मिसरों से बह्र के दबाव को थोड़ा कम करने का निवेदन है </p> ग़ज़ल कहने का सुन्दर प्रयास हुआ…tag:openbooks.ning.com,2015-05-20:5170231:Comment:6568302015-05-20T05:18:53.237ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
ग़ज़ल कहने का सुन्दर प्रयास हुआ है आ० श्याम नारायण वर्मा जी<br />
शुभकामनाएं स्वीकार करें
ग़ज़ल कहने का सुन्दर प्रयास हुआ है आ० श्याम नारायण वर्मा जी<br />
शुभकामनाएं स्वीकार करें जनाब श्याम नारायण वर्मा जी ,आ…tag:openbooks.ning.com,2015-05-20:5170231:Comment:6566762015-05-20T05:06:03.524ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब श्याम नारायण वर्मा जी ,आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई ,दाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।<br />
<br />
इस मिसरे की तरफ़ आपका<br />
ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा,इस मिसरे में लय टूट रही है :-<br />
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"घर कहीं कैसे चले जब चेहरा ही मोड़ जाये"
जनाब श्याम नारायण वर्मा जी ,आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई ,दाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।<br />
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इस मिसरे की तरफ़ आपका<br />
ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा,इस मिसरे में लय टूट रही है :-<br />
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"घर कहीं कैसे चले जब चेहरा ही मोड़ जाये"