Comments - पहचान का संकट - Open Books Online2024-03-29T06:07:45Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A627242&xn_auth=noबहुत खूब, आदरणीय अनवर सोहैल भ…tag:openbooks.ning.com,2015-03-15:5170231:Comment:6307522015-03-15T17:35:36.394ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>बहुत खूब, आदरणीय अनवर सोहैल भाई !</p>
<p></p>
<p>बहुत खूब, आदरणीय अनवर सोहैल भाई !</p>
<p></p> शुक्रगुज़ार हूँ आप सभी का...सा…tag:openbooks.ning.com,2015-03-11:5170231:Comment:6294622015-03-11T14:20:14.320Zanwar suhailhttps://openbooks.ning.com/profile/anwarsuhail
<p>शुक्रगुज़ार हूँ आप सभी का...सादर </p>
<p>शुक्रगुज़ार हूँ आप सभी का...सादर </p> आजकल सही पहचान बताने पर यही…tag:openbooks.ning.com,2015-03-09:5170231:Comment:6288592015-03-09T17:31:37.694Zmaharshi tripathihttps://openbooks.ning.com/profile/maharshitripathi815
<p> आजकल सही पहचान बताने पर यही होता है ,,,,, कविता पर आपको बधाई आ.अनवर शुशील जी |</p>
<p> आजकल सही पहचान बताने पर यही होता है ,,,,, कविता पर आपको बधाई आ.अनवर शुशील जी |</p> युग बदल गए!लोग नही बदले!सार्थ…tag:openbooks.ning.com,2015-03-09:5170231:Comment:6286742015-03-09T13:34:47.972ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttps://openbooks.ning.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p><span>युग बदल गए!लोग नही बदले!सार्थक प्रस्तुति ,अभिनन्दन आदरणीय!!<br/></span></p>
<p><span>युग बदल गए!लोग नही बदले!सार्थक प्रस्तुति ,अभिनन्दन आदरणीय!!<br/></span></p> आदरणीय अनवर सुहेल जी, नाम और…tag:openbooks.ning.com,2015-03-08:5170231:Comment:6279252015-03-08T06:44:25.768ZHari Prakash Dubeyhttps://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p><span><span>आदरणीय </span>अनवर सुहेल जी, नाम और फिर उपनाम , समस्या सदियों से जीवित है ,बहुत सार्थक प्रस्तुति ,बधाई सर !</span></p>
<p><span><span>आदरणीय </span>अनवर सुहेल जी, नाम और फिर उपनाम , समस्या सदियों से जीवित है ,बहुत सार्थक प्रस्तुति ,बधाई सर !</span></p> बहुत उम्दा, सर. मन को झकझोर द…tag:openbooks.ning.com,2015-03-08:5170231:Comment:6279212015-03-08T06:13:10.138Zजितेन्द्र पस्टारियाhttps://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>बहुत उम्दा, सर. मन को झकझोर देती रचना. बधाई आदरणीय ,अनवर साहब.</p>
<p>बहुत उम्दा, सर. मन को झकझोर देती रचना. बधाई आदरणीय ,अनवर साहब.</p> मित्र अनवर सुहेल जी
बहुत सुन…tag:openbooks.ning.com,2015-03-07:5170231:Comment:6276632015-03-07T15:41:56.219Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>मित्र अनवर सुहेल जी</p>
<p>बहुत सुन्दर भावपूर्ण कथन i</p>
<p>मित्र अनवर सुहेल जी</p>
<p>बहुत सुन्दर भावपूर्ण कथन i</p> वर्तमान समाज का छिद्रान्वेषण.…tag:openbooks.ning.com,2015-03-07:5170231:Comment:6276092015-03-07T08:49:51.676Zभुवन निस्तेजhttps://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
वर्तमान समाज का छिद्रान्वेषण...!
वर्तमान समाज का छिद्रान्वेषण...! इससे बेहतर था क्या सच बोलना ऐ…tag:openbooks.ning.com,2015-03-07:5170231:Comment:6272832015-03-07T04:27:27.713Zsomesh kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/someshkuar
<p>इससे बेहतर था क्या सच बोलना <br/>ऐसे कब तक छुपाई जायेगी <br/>अपनी पहचान...</p>
<p>सही बात की आप ने ,नाम और उसके बाद का उपनाम है जिसमें इन्सान की पहचान गायब है |</p>
<p>इससे बेहतर था क्या सच बोलना <br/>ऐसे कब तक छुपाई जायेगी <br/>अपनी पहचान...</p>
<p>सही बात की आप ने ,नाम और उसके बाद का उपनाम है जिसमें इन्सान की पहचान गायब है |</p>