Comments - ग़ज़ल -- कहानियों में हक़ीक़त नहीं हुआ करती - Open Books Online2024-03-29T14:08:17Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A611679&xn_auth=noज़बान दे के पलटना तुम्हें मुबा…tag:openbooks.ning.com,2015-02-03:5170231:Comment:6138312015-02-03T04:09:01.535Zkhursheed khairadihttps://openbooks.ning.com/profile/khursheedkhairadi
<p><span>ज़बान दे के पलटना तुम्हें मुबारक हो</span><br/><span>मैं ख़ुश हूँ, मुझसे तिज़ारत नहीं हुआ करती</span><br/><br/><span>मैं कैसे झूठ को सच और सच को झूठ कहूँ</span><br/><span>कि एक दिन में ये आदत नहीं हुआ करती</span></p>
<p>आदरणीय दिनेश जी उम्दा और मयारी ग़ज़ल हुई है ,शेर दर शेर दाद कबूल फरमावें |मक्ते की शेरियत लासानी है, मतले ने सभी अशहार को अच्छी रवानी दे है |सादर अभिनन्दन |</p>
<p><span>ज़बान दे के पलटना तुम्हें मुबारक हो</span><br/><span>मैं ख़ुश हूँ, मुझसे तिज़ारत नहीं हुआ करती</span><br/><br/><span>मैं कैसे झूठ को सच और सच को झूठ कहूँ</span><br/><span>कि एक दिन में ये आदत नहीं हुआ करती</span></p>
<p>आदरणीय दिनेश जी उम्दा और मयारी ग़ज़ल हुई है ,शेर दर शेर दाद कबूल फरमावें |मक्ते की शेरियत लासानी है, मतले ने सभी अशहार को अच्छी रवानी दे है |सादर अभिनन्दन |</p> कभी अनाड़ी था वो आज नामी शायर…tag:openbooks.ning.com,2015-02-01:5170231:Comment:6134552015-02-01T06:42:47.570Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>कभी अनाड़ी था वो आज नामी शायर है<br/> कभी फ़ुज़ूल मशक़्क़त नहीं हुआ करती --------- बहुत सही बात कही आदरणीय दिनेश भाई , गज़ल के लिये ढेरों दाद ।</p>
<p>कभी अनाड़ी था वो आज नामी शायर है<br/> कभी फ़ुज़ूल मशक़्क़त नहीं हुआ करती --------- बहुत सही बात कही आदरणीय दिनेश भाई , गज़ल के लिये ढेरों दाद ।</p> ज़ोरदार ग़ज़ल आदरणीय हार्दिक बधा…tag:openbooks.ning.com,2015-02-01:5170231:Comment:6133532015-02-01T04:46:40.244Zram shiromani pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
ज़ोरदार ग़ज़ल आदरणीय हार्दिक बधाई आपको।।सादर
ज़ोरदार ग़ज़ल आदरणीय हार्दिक बधाई आपको।।सादर कहानियों में हक़ीक़त नहीं हुआ क…tag:openbooks.ning.com,2015-02-01:5170231:Comment:6134272015-02-01T04:11:39.847Zशिज्जु "शकूर"https://openbooks.ning.com/profile/ShijjuS
<p><em>कहानियों में हक़ीक़त नहीं हुआ करती</em><br></br><em>बिना फरेब सियासत नहीं हुआ करती- </em> बहुत खूब ये मतला मौजूदा राजनीतिक विचाराधारा पर चोट करता हुआ दिखता है</p>
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<p><em>ज़बान दे के पलटना तुम्हें मुबारक हो</em><br></br><em>मैं ख़ुश हूँ, मुझसे तिज़ारत नहीं हुआ करती-</em> बेहतरीन वाह</p>
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<p><em>मैं कैसे झूठ को सच और सच को झूठ कहूँ</em><br></br><em>कि एक दिन में ये आदत नहीं हुआ करती-</em> लाजवाब</p>
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<p><em>जो चंद पैसों में ईमान बेच देते हैं</em><br></br><em>उन्हें किसी से रिफ़ाक़त नहीं…</em></p>
<p><em>कहानियों में हक़ीक़त नहीं हुआ करती</em><br/><em>बिना फरेब सियासत नहीं हुआ करती- </em> बहुत खूब ये मतला मौजूदा राजनीतिक विचाराधारा पर चोट करता हुआ दिखता है</p>
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<p><em>ज़बान दे के पलटना तुम्हें मुबारक हो</em><br/><em>मैं ख़ुश हूँ, मुझसे तिज़ारत नहीं हुआ करती-</em> बेहतरीन वाह</p>
<p></p>
<p><em>मैं कैसे झूठ को सच और सच को झूठ कहूँ</em><br/><em>कि एक दिन में ये आदत नहीं हुआ करती-</em> लाजवाब</p>
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<p><em>जो चंद पैसों में ईमान बेच देते हैं</em><br/><em>उन्हें किसी से रिफ़ाक़त नहीं हुआ करती</em> - बहुत खूब कड़वा किन्तु सच</p>
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<p><em>कभी अनाड़ी था वो आज नामी शायर है</em><br/><em>कभी फ़ुज़ूल मशक़्क़त नहीं हुआ करती</em> - वाह वाह वाह वाह वाकई ग़ज़लगोई आसान नहीं</p>
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<p><em>'दिनेश' तू भी ज़माने का ढंग अपना ले</em><br/><em>शरीफ़ लोगों की इज़्ज़त नहीं हुआ करती-</em> क्या खूब कहा है आदरणीय दिनेश जी आपने</p>
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<p>हर शेर ने मुतास्सिर किया है दिली दाद कुबूल फरमायें</p> दिनेश' तू भी ज़माने का ढंग अपन…tag:openbooks.ning.com,2015-01-30:5170231:Comment:6128152015-01-30T17:22:32.915Zsomesh kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/someshkuar
<p><span>दिनेश' तू भी ज़माने का ढंग अपना ले</span><br/><span>शरीफ़ लोगों की इज़्ज़त नहीं हुआ करती|</span></p>
<p>क्या कटू सत्य है इस गज़ल में ,हार्दिक बधाई |</p>
<p><span>दिनेश' तू भी ज़माने का ढंग अपना ले</span><br/><span>शरीफ़ लोगों की इज़्ज़त नहीं हुआ करती|</span></p>
<p>क्या कटू सत्य है इस गज़ल में ,हार्दिक बधाई |</p> वाह वाहtag:openbooks.ning.com,2015-01-29:5170231:Comment:6119672015-01-29T14:22:09.569Zumesh katarahttps://openbooks.ning.com/profile/umeshkatara437
<p>वाह वाह</p>
<p>वाह वाह</p> मंच के आदरणीय साथियों का मुझ…tag:openbooks.ning.com,2015-01-29:5170231:Comment:6122262015-01-29T13:12:46.024Zदिनेश कुमारhttps://openbooks.ning.com/profile/0bbsmwu5qzvln
मंच के आदरणीय साथियों का मुझ नाचीज़ की हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। भाई मिथिलेश जी, आखिरी से पहला शे'र आप के लिये ही था। आदरणीय बागी सर जी वजन अपडेट करता हूँ।
मंच के आदरणीय साथियों का मुझ नाचीज़ की हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। भाई मिथिलेश जी, आखिरी से पहला शे'र आप के लिये ही था। आदरणीय बागी सर जी वजन अपडेट करता हूँ। आदरणीय दिनेश जी खूबसूरत ग़ज़ल .…tag:openbooks.ning.com,2015-01-29:5170231:Comment:6120552015-01-29T12:28:56.351ZHari Prakash Dubeyhttps://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p>आदरणीय दिनेश जी खूबसूरत ग़ज़ल .....</p>
<p>मैं कैसे झूठ को सच और सच को झूठ कहूँ</p>
<p>कि एक दिन में ये आदत नहीं हुआ करती...वाह... हार्दिक बधाई , सादर !</p>
<p>आदरणीय दिनेश जी खूबसूरत ग़ज़ल .....</p>
<p>मैं कैसे झूठ को सच और सच को झूठ कहूँ</p>
<p>कि एक दिन में ये आदत नहीं हुआ करती...वाह... हार्दिक बधाई , सादर !</p> Behad khoobsurat gazal...Dil…tag:openbooks.ning.com,2015-01-29:5170231:Comment:6120512015-01-29T12:21:55.482ZVIRENDER VEER MEHTAhttps://openbooks.ning.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p>Behad khoobsurat gazal...Dil ko chho gayi Bhai Dinesh Kumarji.</p>
<p>Behad khoobsurat gazal...Dil ko chho gayi Bhai Dinesh Kumarji.</p> आदरणीय दिनेश जी खूबसूरत गज़ल क…tag:openbooks.ning.com,2015-01-29:5170231:Comment:6121562015-01-29T10:24:20.392Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>आदरणीय दिनेश जी खूबसूरत गज़ल के लिए मुबारकबाद .....</p>
<p>आदरणीय दिनेश जी खूबसूरत गज़ल के लिए मुबारकबाद .....</p>