Comments - जीवन वृत्त - Open Books Online2024-03-29T15:41:58Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A603325&xn_auth=noआदरणीय दादा शरदिंदु जी
आपका क…tag:openbooks.ning.com,2015-02-12:5170231:Comment:6162782015-02-12T14:04:55.993Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आदरणीय दादा शरदिंदु जी</p>
<p>आपका कहना -इतनी आसानी से पूर्णत्व प्राप्त नहीं होगा' बिलकुल सत्य है i उतना ही शाश्वत यह भी है कि इन ज्क्लंत प्रश्नों के उत्तर अधर में हैं i सबके अपने अलग अलग कयास है i सादर i</p>
<p>आदरणीय दादा शरदिंदु जी</p>
<p>आपका कहना -इतनी आसानी से पूर्णत्व प्राप्त नहीं होगा' बिलकुल सत्य है i उतना ही शाश्वत यह भी है कि इन ज्क्लंत प्रश्नों के उत्तर अधर में हैं i सबके अपने अलग अलग कयास है i सादर i</p> शाश्वत सत्य को लेकर लिखी गयी…tag:openbooks.ning.com,2015-02-03:5170231:Comment:6141302015-02-03T12:26:12.681Zsharadindu mukerjihttps://openbooks.ning.com/profile/sharadindumukerji
शाश्वत सत्य को लेकर लिखी गयी ऐसी सात्विक रचना के बारे में कुछ भी कह पाना सहज नहीं. आपके वृत्त की परिधि को बहुत से मासूम रचनाकारों की अबोध अंगुलियाँ थामे हुई हैं....इतनी आसानी से "पूर्णत्व" प्राप्ति नहीं होगी आदरणीय. अशेष शुभकामनाएँ.
शाश्वत सत्य को लेकर लिखी गयी ऐसी सात्विक रचना के बारे में कुछ भी कह पाना सहज नहीं. आपके वृत्त की परिधि को बहुत से मासूम रचनाकारों की अबोध अंगुलियाँ थामे हुई हैं....इतनी आसानी से "पूर्णत्व" प्राप्ति नहीं होगी आदरणीय. अशेष शुभकामनाएँ. आ० खुर्शीद जी
आपकी सुष्ठु प…tag:openbooks.ning.com,2015-01-09:5170231:Comment:6037842015-01-09T06:57:26.507Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० खुर्शीद जी</p>
<p>आपकी सुष्ठु प्रतिक्रिया से मन प्रसन्न हो गया i सादर i</p>
<p>आ० खुर्शीद जी</p>
<p>आपकी सुष्ठु प्रतिक्रिया से मन प्रसन्न हो गया i सादर i</p> आपका बहुत-बहुत आभार ii आ 0 ग…tag:openbooks.ning.com,2015-01-09:5170231:Comment:6038582015-01-09T06:54:33.294Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आपका बहुत-बहुत आभार ii आ 0 गुमनाम जी</p>
<p>आपका बहुत-बहुत आभार ii आ 0 गुमनाम जी</p> सोमेश जी
आपका बहुत-बहुत आभार itag:openbooks.ning.com,2015-01-09:5170231:Comment:6037812015-01-09T06:51:54.555Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>सोमेश जी</p>
<p>आपका बहुत-बहुत आभार i</p>
<p>सोमेश जी</p>
<p>आपका बहुत-बहुत आभार i</p> आदरणीय अनुज भंडारी जी
आपकी अ…tag:openbooks.ning.com,2015-01-09:5170231:Comment:6038572015-01-09T06:50:19.977Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आदरणीय अनुज भंडारी जी</p>
<p>आपकी अर्थ पूर्ण टिप्पणी से मन प्रसन्न हो गया i</p>
<p>आदरणीय अनुज भंडारी जी</p>
<p>आपकी अर्थ पूर्ण टिप्पणी से मन प्रसन्न हो गया i</p> आ० सरना जी
आपकी आत्मीय टिप्पण…tag:openbooks.ning.com,2015-01-09:5170231:Comment:6037802015-01-09T06:47:03.812Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० सरना जी</p>
<p>आपकी आत्मीय टिप्पणी से अभिभूत हुआ i सादर i</p>
<p>आ० सरना जी</p>
<p>आपकी आत्मीय टिप्पणी से अभिभूत हुआ i सादर i</p> आ० हरिवल्लभ जी
आपकी टीप ने अ…tag:openbooks.ning.com,2015-01-09:5170231:Comment:6036812015-01-09T06:44:05.420Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० हरिवल्लभ जी</p>
<p>आपकी टीप ने अभिभूत कर दिया i सादर i</p>
<p>आ० हरिवल्लभ जी</p>
<p>आपकी टीप ने अभिभूत कर दिया i सादर i</p> विजय सर !
आपका बहुत-बहुत आभार…tag:openbooks.ning.com,2015-01-09:5170231:Comment:6039302015-01-09T06:40:39.522Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>विजय सर !</p>
<p>आपका बहुत-बहुत आभार i</p>
<p></p>
<p>विजय सर !</p>
<p>आपका बहुत-बहुत आभार i</p>
<p></p> आ० माहेश्वरी जी
आपका बहुत-बहु…tag:openbooks.ning.com,2015-01-09:5170231:Comment:6038562015-01-09T06:38:36.551Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० माहेश्वरी जी</p>
<p>आपका बहुत-बहुत आभार i</p>
<p>आ० माहेश्वरी जी</p>
<p>आपका बहुत-बहुत आभार i</p>