Comments - जीवन तो है एक नदी - Open Books Online2024-03-29T01:15:44Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A601186&xn_auth=noआदरणीय "जितेन्द्र पस्टारिया स…tag:openbooks.ning.com,2015-01-02:5170231:Comment:6019702015-01-02T14:28:01.504ZHari Prakash Dubeyhttps://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p>आदरणीय "जितेन्द्र पस्टारिया सर" उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका हार्दिक आभार ! सादर </p>
<p>आदरणीय "जितेन्द्र पस्टारिया सर" उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका हार्दिक आभार ! सादर </p> कहीं सत्य एक झंझट,
कही झूठ है…tag:openbooks.ning.com,2015-01-02:5170231:Comment:6021162015-01-02T14:16:09.895Zजितेन्द्र पस्टारियाhttps://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>कहीं सत्य एक झंझट,</p>
<p>कही झूठ है सुलझा !</p>
<p>कहीं किसी ने जाल बिछाया</p>
<p>खुद ही आकर उलझा !..........बहुत सुंदर. सत्य को बहुत हद तक परिभाषित करती पंक्ति. बधाई आदरणीय हरिप्रकाश जी</p>
<p>कहीं सत्य एक झंझट,</p>
<p>कही झूठ है सुलझा !</p>
<p>कहीं किसी ने जाल बिछाया</p>
<p>खुद ही आकर उलझा !..........बहुत सुंदर. सत्य को बहुत हद तक परिभाषित करती पंक्ति. बधाई आदरणीय हरिप्रकाश जी</p> मन प्रसंन्न हो गया , उत्साहव…tag:openbooks.ning.com,2015-01-02:5170231:Comment:6018982015-01-02T13:22:19.916ZHari Prakash Dubeyhttps://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p> मन प्रसंन्न हो गया , उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार सोमेश भाई !</p>
<p> मन प्रसंन्न हो गया , उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार सोमेश भाई !</p> जीवन एक नदी है ,है इसको अविरल…tag:openbooks.ning.com,2015-01-01:5170231:Comment:6016702015-01-01T18:26:48.509Zsomesh kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/someshkuar
<p>जीवन एक नदी है ,है इसको अविरल बहना </p>
<p>सागर अंतिम लक्ष्य वहाँ तक ऊँच-नीच सहना </p>
<p>तेरी नई-नई कविताओं पर भाई इतना ही कहना </p>
<p>बहना-बहना सदा नए भाव में ऐसे ही बहना |</p>
<p>जीवन एक नदी है ,है इसको अविरल बहना </p>
<p>सागर अंतिम लक्ष्य वहाँ तक ऊँच-नीच सहना </p>
<p>तेरी नई-नई कविताओं पर भाई इतना ही कहना </p>
<p>बहना-बहना सदा नए भाव में ऐसे ही बहना |</p> रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रत…tag:openbooks.ning.com,2015-01-01:5170231:Comment:6017472015-01-01T16:23:48.574ZHari Prakash Dubeyhttps://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p>रचना पर आपकी <span>उत्साहवर्धक </span>प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद आदरणीय गिरिराज सर ! सादर </p>
<p>रचना पर आपकी <span>उत्साहवर्धक </span>प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद आदरणीय गिरिराज सर ! सादर </p> आदरणीय हरि प्रकाश भाई , बढिया…tag:openbooks.ning.com,2015-01-01:5170231:Comment:6017422015-01-01T15:57:54.394Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय हरि प्रकाश भाई , बढिया गीत रचना हुई है , आपको दिली बधाइयाँ । </p>
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<p>आदरणीय हरि प्रकाश भाई , बढिया गीत रचना हुई है , आपको दिली बधाइयाँ । </p>
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<p></p> रचना की सराहना एवम् आपकी उत्स…tag:openbooks.ning.com,2015-01-01:5170231:Comment:6015942015-01-01T15:05:22.079ZHari Prakash Dubeyhttps://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p>रचना की सराहना एवम् आपकी उत्साहवर्धक पर्तिक्रिया पर बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी, सादर।</p>
<p>रचना की सराहना एवम् आपकी उत्साहवर्धक पर्तिक्रिया पर बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी, सादर।</p> आदरणीय डॉo गोपाल नारायण सर ,र…tag:openbooks.ning.com,2015-01-01:5170231:Comment:6015922015-01-01T15:01:15.985ZHari Prakash Dubeyhttps://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p>आदरणीय डॉo गोपाल नारायण सर ,रचना पर आपकी उपस्तिथी ही उत्साहवर्धक है ,आभार सादर।</p>
<p>आदरणीय डॉo गोपाल नारायण सर ,रचना पर आपकी उपस्तिथी ही उत्साहवर्धक है ,आभार सादर।</p> कहीं सत्य एक झंझट,
कही झूठ है…tag:openbooks.ning.com,2015-01-01:5170231:Comment:6015442015-01-01T08:47:48.698Zkhursheed khairadihttps://openbooks.ning.com/profile/khursheedkhairadi
<p>कहीं सत्य एक झंझट,</p>
<p>कही झूठ है सुलझा !</p>
<p>कहीं किसी ने जाल बिछाया</p>
<p>खुद ही आकर उलझा !</p>
<p>आदरणीय हरि प्रकाश सर काफ़ी चिंतन तथा दर्शन से परिपूर्ण रचना है |सभी बंध सुन्दर है |नववर्ष की ढेरों शुभकामनाओं सहित -सादर अभिनन्दन |</p>
<p>कहीं सत्य एक झंझट,</p>
<p>कही झूठ है सुलझा !</p>
<p>कहीं किसी ने जाल बिछाया</p>
<p>खुद ही आकर उलझा !</p>
<p>आदरणीय हरि प्रकाश सर काफ़ी चिंतन तथा दर्शन से परिपूर्ण रचना है |सभी बंध सुन्दर है |नववर्ष की ढेरों शुभकामनाओं सहित -सादर अभिनन्दन |</p> sundar bhavpoorn kavitatag:openbooks.ning.com,2015-01-01:5170231:Comment:6014722015-01-01T07:38:24.756Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>sundar bhavpoorn kavita</p>
<p>sundar bhavpoorn kavita</p>