Comments - आइडिया (लघु कथा ) - Open Books Online2024-03-29T13:26:07Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A571849&xn_auth=noआ० विजय निकोर जी ,लघुकथा के द…tag:openbooks.ning.com,2014-09-04:5170231:Comment:5728582014-09-04T12:17:12.157Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० विजय निकोर जी ,लघुकथा के दर्द को महसूस कर अनुमोदन करने के लिए दिल से आभार आपका. </p>
<p>आ० विजय निकोर जी ,लघुकथा के दर्द को महसूस कर अनुमोदन करने के लिए दिल से आभार आपका. </p> मैं अपने जीवन में अपनी पूज्य…tag:openbooks.ning.com,2014-09-04:5170231:Comment:5729482014-09-04T10:37:53.962Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
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<p>मैं अपने जीवन में अपनी पूज्य माँ के प्रति किसी संबंधी का हृदयविदारक दुर्व्यवहार देख चुका हूँ, अत: आपकी लघुकथा पढ़ कर आँखे नम हो गईं।</p>
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<p>इतनी प्रभावशाली कथा के लिए आपको हार्दिक बधाई, आदरणीया राजेश जी।</p>
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<p>मैं अपने जीवन में अपनी पूज्य माँ के प्रति किसी संबंधी का हृदयविदारक दुर्व्यवहार देख चुका हूँ, अत: आपकी लघुकथा पढ़ कर आँखे नम हो गईं।</p>
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<p>इतनी प्रभावशाली कथा के लिए आपको हार्दिक बधाई, आदरणीया राजेश जी।</p> प्रिय वंदना जी ,इसमें कोई हैर…tag:openbooks.ning.com,2014-09-04:5170231:Comment:5726722014-09-04T04:41:34.516Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>प्रिय वंदना जी ,इसमें कोई हैरत नहीं की आप जैसी संवेदन शील रचना कार को लघु कथा ने प्रभावित किया ,हम लेखक लोगों की कलम अपने आस पास या खुद अपने अनुभव से जन्मी संवेदनाओं की स्याही पीकर ही तो चलती है,दिल से शुक्रिया आपका. मेरा लिखना सार्थक हुआ | </p>
<p>प्रिय वंदना जी ,इसमें कोई हैरत नहीं की आप जैसी संवेदन शील रचना कार को लघु कथा ने प्रभावित किया ,हम लेखक लोगों की कलम अपने आस पास या खुद अपने अनुभव से जन्मी संवेदनाओं की स्याही पीकर ही तो चलती है,दिल से शुक्रिया आपका. मेरा लिखना सार्थक हुआ | </p> आ० सौरभ जी,लघु कथा पर आपका अन…tag:openbooks.ning.com,2014-09-04:5170231:Comment:5727452014-09-04T04:36:42.670Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० सौरभ जी,लघु कथा पर आपका अनुमोदन पाकर उत्साहित हूँ हार्दिक आभार आपका | </p>
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<p>आ० सौरभ जी,लघु कथा पर आपका अनुमोदन पाकर उत्साहित हूँ हार्दिक आभार आपका | </p>
<p></p> ....बस इससे अधिक सजा मैं आपको…tag:openbooks.ning.com,2014-09-04:5170231:Comment:5726682014-09-04T01:36:38.115Zvandanahttps://openbooks.ning.com/profile/vandana956
<p><span>....बस इससे अधिक सजा मैं आपको नहीं दे सकता आपका बेटा हूँ न!!!</span></p>
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<p>झकझोरती लघुकथा आदरणीया राजेश दी </p>
<p><span>....बस इससे अधिक सजा मैं आपको नहीं दे सकता आपका बेटा हूँ न!!!</span></p>
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<p>झकझोरती लघुकथा आदरणीया राजेश दी </p> कथा का कथ्य अपने आप में विचित…tag:openbooks.ning.com,2014-09-03:5170231:Comment:5728122014-09-03T22:48:44.757ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>कथा का कथ्य अपने आप में विचित्र तो नहीं विशिष्ट अवश्य है.</p>
<p>’जैसा करो, वैसा भरो’ को शब्दबद्ध करने का हुआ प्रयास, आदरणीया राजेशकुमारीजी, एक अलग ही दुनिया में ले जाती है. </p>
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<p>कथा का कथ्य अपने आप में विचित्र तो नहीं विशिष्ट अवश्य है.</p>
<p>’जैसा करो, वैसा भरो’ को शब्दबद्ध करने का हुआ प्रयास, आदरणीया राजेशकुमारीजी, एक अलग ही दुनिया में ले जाती है. </p>
<p></p> आ० श्याम नारायण जी ,आपको लघु…tag:openbooks.ning.com,2014-09-02:5170231:Comment:5723022014-09-02T06:13:18.080Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० श्याम नारायण जी ,आपको लघु कथा पसंद आई हार्दिक आभार आपका. </p>
<p>आ० श्याम नारायण जी ,आपको लघु कथा पसंद आई हार्दिक आभार आपका. </p>
सुंदर लघु कथा के लिए बधाई
tag:openbooks.ning.com,2014-09-02:5170231:Comment:5723582014-09-02T05:48:07.957ZShyam Narain Vermahttps://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<table cellspacing="0" border="0">
<colgroup width="408"></colgroup><tbody><tr><td height="19" align="left" valign="bottom"><font color="#000000">सुंदर लघु कथा के लिए बधाई </font></td>
</tr>
</tbody>
</table>
<table cellspacing="0" border="0">
<colgroup width="408"></colgroup><tbody><tr><td height="19" align="left" valign="bottom"><font color="#000000">सुंदर लघु कथा के लिए बधाई </font></td>
</tr>
</tbody>
</table> विनय कुमार जी,आपने सही कहा ,ज…tag:openbooks.ning.com,2014-09-02:5170231:Comment:5725442014-09-02T04:23:42.843Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>विनय कुमार जी,आपने सही कहा ,जैसा करोगे वैसा ही भरोगे ..कई बार बच्चे भी सीख दे जाते हैं ...कहानी के अनुमोदन के लिए दिल से आभार. </p>
<p>विनय कुमार जी,आपने सही कहा ,जैसा करोगे वैसा ही भरोगे ..कई बार बच्चे भी सीख दे जाते हैं ...कहानी के अनुमोदन के लिए दिल से आभार. </p> बहुत बढ़िया लघुकथा , बोया पेड़…tag:openbooks.ning.com,2014-09-01:5170231:Comment:5722822014-09-01T18:16:15.745Zविनय कुमारhttps://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बढ़िया लघुकथा , बोया पेड़ बाबुल का , आम कहाँ से खाय | बधाई राजेश कुमारी जी ..</p>
<p>बहुत बढ़िया लघुकथा , बोया पेड़ बाबुल का , आम कहाँ से खाय | बधाई राजेश कुमारी जी ..</p>