Comments - चूस हाथों के अंगूठे नन्हा बचपन सो गया - Open Books Online2024-03-29T11:28:59Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A570199&xn_auth=noआदरणीय हरिवल्लभ जी रचना पर आप…tag:openbooks.ning.com,2014-09-04:5170231:Comment:5727632014-09-04T08:52:28.638ZDr Ashutosh Mishrahttps://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय हरिवल्लभ जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए दिल से धन्यवाद saadar</p>
<p>आदरणीय हरिवल्लभ जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए दिल से धन्यवाद saadar</p> बहुत सुन्दर भावपूर्ण गज़ल ..
"…tag:openbooks.ning.com,2014-09-02:5170231:Comment:5723692014-09-02T11:53:05.252Zharivallabh sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/harivallabhsharma
<p>बहुत सुन्दर भावपूर्ण गज़ल ..</p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">"माँ रही मशगूल जश्नों में यूं सारी रात ही</span><span> </span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">चूस हाथों के अंगूठे नन्हा बचपन सो गया"....बहुत प्रभावी...वाह.</span></p>
<p></p>
<p>बहुत सुन्दर भावपूर्ण गज़ल ..</p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">"माँ रही मशगूल जश्नों में यूं सारी रात ही</span><span> </span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">चूस हाथों के अंगूठे नन्हा बचपन सो गया"....बहुत प्रभावी...वाह.</span></p>
<p></p> आदरणीय राकेएश जी , भुवन जी ,…tag:openbooks.ning.com,2014-09-02:5170231:Comment:5724652014-09-02T03:54:26.773ZDr Ashutosh Mishrahttps://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय राकेएश जी , भुवन जी , आदरणीया महिमा जी आप के इन स्नेहिल शब्दों के लिए दिल से धन्यवाद सादर </p>
<p>आदरणीय राकेएश जी , भुवन जी , आदरणीया महिमा जी आप के इन स्नेहिल शब्दों के लिए दिल से धन्यवाद सादर </p> आदरनीय गोपाल सर ..आपका स्नहे…tag:openbooks.ning.com,2014-09-02:5170231:Comment:5723532014-09-02T03:53:21.518ZDr Ashutosh Mishrahttps://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरनीय गोपाल सर ..आपका स्नहे और मार्गदर्शन हम जैसे सीखने वालों के लिए प्रेरणा मंत्र का काम करता है ये स्नेह यूं ही मिलता रहे कामना के साथ सादर </p>
<p>आदरनीय गोपाल सर ..आपका स्नहे और मार्गदर्शन हम जैसे सीखने वालों के लिए प्रेरणा मंत्र का काम करता है ये स्नेह यूं ही मिलता रहे कामना के साथ सादर </p> आदरणीय जीतेन्द्र जी रचना पर आ…tag:openbooks.ning.com,2014-09-02:5170231:Comment:5722992014-09-02T03:52:07.744ZDr Ashutosh Mishrahttps://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय जीतेन्द्र जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर </p>
<p>आदरणीय जीतेन्द्र जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर </p> आदरणीय संतलाल सर ..बस ऐसे ही…tag:openbooks.ning.com,2014-09-02:5170231:Comment:5722982014-09-02T03:51:34.279ZDr Ashutosh Mishrahttps://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय संतलाल सर ..बस ऐसे ही आप सभी विद्वतजनो का मार्गदर्शन मिलता रहे ऐसी कामना के साथ सादर </p>
<p>आदरणीय संतलाल सर ..बस ऐसे ही आप सभी विद्वतजनो का मार्गदर्शन मिलता रहे ऐसी कामना के साथ सादर </p> आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्र जी,
अ…tag:openbooks.ning.com,2014-09-01:5170231:Comment:5725092014-09-01T11:36:28.674ZSantlal Karunhttps://openbooks.ning.com/profile/SantlalKarun
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्र जी,</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">अच्छी ग़ज़ल और ख़ास तौर से इस शेर की नवीनता आकृष्ट करती है--</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">"माँ रही मशगूल जश्नों में यूं सारी रात ही</span><span> </span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">चूस हाथों के अंगूठे नन्हा बचपन सो गया"</span></p>
<p><span>.. हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! </span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्र जी,</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">अच्छी ग़ज़ल और ख़ास तौर से इस शेर की नवीनता आकृष्ट करती है--</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">"माँ रही मशगूल जश्नों में यूं सारी रात ही</span><span> </span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">चूस हाथों के अंगूठे नन्हा बचपन सो गया"</span></p>
<p><span>.. हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! </span></p> बेहतरीन गजल प्रस्तुति आदरणीय…tag:openbooks.ning.com,2014-08-31:5170231:Comment:5718402014-08-31T06:30:52.635Zजितेन्द्र पस्टारियाhttps://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>बेहतरीन गजल प्रस्तुति आदरणीय डा.आशुतोष जी. बहुत-२ बधाई आपको</p>
<p>बेहतरीन गजल प्रस्तुति आदरणीय डा.आशुतोष जी. बहुत-२ बधाई आपको</p> आशुतोष जी
बहुत अच्छी गजल कही…tag:openbooks.ning.com,2014-08-29:5170231:Comment:5704052014-08-29T06:41:47.976Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आशुतोष जी</p>
<p>बहुत अच्छी गजल कही आपने i</p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">माँ रही मशगूल जश्नों में यूं सारी रात ही</span><span> </span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">चूस हाथों के अंगूठे नन्हा बचपन सो गया</span><span> </span></p>
<p>आशुतोष जी</p>
<p>बहुत अच्छी गजल कही आपने i</p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">माँ रही मशगूल जश्नों में यूं सारी रात ही</span><span> </span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">चूस हाथों के अंगूठे नन्हा बचपन सो गया</span><span> </span></p> आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी,इ…tag:openbooks.ning.com,2014-08-28:5170231:Comment:5704662014-08-28T17:40:00.552ZDr. Rakesh Joshihttps://openbooks.ning.com/profile/DrRakeshJoshi
<p>आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी,<br/>इस शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई.<br/>सादर,<br/>डॉ. राकेश जोशी</p>
<p>आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी,<br/>इस शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई.<br/>सादर,<br/>डॉ. राकेश जोशी</p>