Comments - नव गीत ////आबाद होंगे कब जीवन मरुस्थल ! - Open Books Online2024-03-29T12:13:12Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A569382&xn_auth=noआशुतोष जी
आपका आभारी हूँ itag:openbooks.ning.com,2014-08-27:5170231:Comment:5702592014-08-27T16:11:05.762Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आशुतोष जी</p>
<p>आपका आभारी हूँ i</p>
<p>आशुतोष जी</p>
<p>आपका आभारी हूँ i</p> आदरणीय गोपाल सर ...बहुत ही सा…tag:openbooks.ning.com,2014-08-27:5170231:Comment:5703342014-08-27T09:26:13.281ZDr Ashutosh Mishrahttps://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय गोपाल सर ...बहुत ही सार्थक सन्देश देती चिंतन से ओतप्रोत शानदार रचना हेतु ढेरों बधाई सादर </p>
<p>आदरणीय गोपाल सर ...बहुत ही सार्थक सन्देश देती चिंतन से ओतप्रोत शानदार रचना हेतु ढेरों बधाई सादर </p> आदरणीय विजय जी
आपका सतत आभार…tag:openbooks.ning.com,2014-08-26:5170231:Comment:5701342014-08-26T12:43:23.520Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आदरणीय विजय जी</p>
<p>आपका सतत आभारी हूँ i</p>
<p>आदरणीय विजय जी</p>
<p>आपका सतत आभारी हूँ i</p> निश्चित ही जीवन संजीवन देने व…tag:openbooks.ning.com,2014-08-26:5170231:Comment:5700602014-08-26T12:33:36.153Zविजय मिश्रhttps://openbooks.ning.com/profile/37jicf27kggmy
निश्चित ही जीवन संजीवन देने वाली और निरंतर क्रियाशीलता हेतु ऊर्जावान करने वाली सशक्त रचना |बधाई आ० गोपालजी |
निश्चित ही जीवन संजीवन देने वाली और निरंतर क्रियाशीलता हेतु ऊर्जावान करने वाली सशक्त रचना |बधाई आ० गोपालजी | प्रिय मित्र
आपक स्नेह सर आँखो…tag:openbooks.ning.com,2014-08-26:5170231:Comment:5700522014-08-26T11:25:45.901Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>प्रिय मित्र</p>
<p>आपक स्नेह सर आँखों पर i सादर i</p>
<p>प्रिय मित्र</p>
<p>आपक स्नेह सर आँखों पर i सादर i</p> महनीया
आपका प्रोत्साहन मिला i…tag:openbooks.ning.com,2014-08-26:5170231:Comment:5700512014-08-26T11:24:59.843Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>महनीया</p>
<p>आपका प्रोत्साहन मिला i सादर i</p>
<p>महनीया</p>
<p>आपका प्रोत्साहन मिला i सादर i</p> पवन कुमार जी आपका आभार itag:openbooks.ning.com,2014-08-26:5170231:Comment:5700502014-08-26T11:23:49.284Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>पवन कुमार जी <br/>आपका आभार i</p>
<p>पवन कुमार जी <br/>आपका आभार i</p> आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , लाज…tag:openbooks.ning.com,2014-08-25:5170231:Comment:5698632014-08-25T15:14:27.541Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , लाजवाब गीत रचना की है , हल देती हुई अंतिम पंक्तियों के लिए विशेष बधाइयाँ |</p>
<p>प्रातः की बेला ने</p>
<p>मुस्क्याते फूलो से</p>
<p>सरिता के कूलों से</p>
<p>सन्देश भेजा यूँ</p>
<p>लहराकर कलकल</p>
<p>रुकना ही मरना है</p>
<p>चलता जा अविरल</p>
<p>आबाद होंगे तब जीवन-मरुस्थल ! खूब , बहुत सुन्दर |</p>
<p>आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , लाजवाब गीत रचना की है , हल देती हुई अंतिम पंक्तियों के लिए विशेष बधाइयाँ |</p>
<p>प्रातः की बेला ने</p>
<p>मुस्क्याते फूलो से</p>
<p>सरिता के कूलों से</p>
<p>सन्देश भेजा यूँ</p>
<p>लहराकर कलकल</p>
<p>रुकना ही मरना है</p>
<p>चलता जा अविरल</p>
<p>आबाद होंगे तब जीवन-मरुस्थल ! खूब , बहुत सुन्दर |</p> बहुत सुन्दर अप्रतिम प्रस्तुति…tag:openbooks.ning.com,2014-08-25:5170231:Comment:5697862014-08-25T14:49:24.879Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>बहुत सुन्दर अप्रतिम प्रस्तुति ...ढेरों बधाईयाँ सादर </p>
<p>बहुत सुन्दर अप्रतिम प्रस्तुति ...ढेरों बधाईयाँ सादर </p> बहुत सुन्दर ....सादर बधाईtag:openbooks.ning.com,2014-08-25:5170231:Comment:5697702014-08-25T12:10:37.373ZPawan Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/PawanKumar
<p>बहुत सुन्दर ....<br/>सादर बधाई</p>
<p>बहुत सुन्दर ....<br/>सादर बधाई</p>