Comments - तरही ग़ज़ल- आयेंगे कब अच्छे दिन तू ही बता ! - Open Books Online2024-03-29T07:13:37Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A551096&xn_auth=noकोशिशों को भी आपका स्नेह मिलत…tag:openbooks.ning.com,2014-07-07:5170231:Comment:5564382014-07-07T08:47:52.834ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>कोशिशों को भी आपका स्नेह मिलता है तो अच्छा लगता है ..आपके आशीष पा कर ग़ज़ल धन्य हुई आदरणीय , सादर प्रणाम !! स्नेह एवं मार्गदर्शन की अपेक्षा सदा रहती है आपसे !!</p>
<p>कोशिशों को भी आपका स्नेह मिलता है तो अच्छा लगता है ..आपके आशीष पा कर ग़ज़ल धन्य हुई आदरणीय , सादर प्रणाम !! स्नेह एवं मार्गदर्शन की अपेक्षा सदा रहती है आपसे !!</p> इस सार्थक ग़ज़ल के लिए भरपूर दा…tag:openbooks.ning.com,2014-07-06:5170231:Comment:5563492014-07-06T20:06:32.814ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>इस सार्थक ग़ज़ल के लिए भरपूर दाद और ढेर सारी बधाइयाँ .. ..</p>
<p>इस तरह पर कहा जाना अच्छा लगा.</p>
<p>शुभेच्छाएँ</p>
<p>इस सार्थक ग़ज़ल के लिए भरपूर दाद और ढेर सारी बधाइयाँ .. ..</p>
<p>इस तरह पर कहा जाना अच्छा लगा.</p>
<p>शुभेच्छाएँ</p> आदरणीया Dr.Prachi Singh साहिब…tag:openbooks.ning.com,2014-06-30:5170231:Comment:5543792014-06-30T14:37:56.638ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
आदरणीया Dr.Prachi Singh साहिबा आभार- अभिवादन !!
आदरणीया Dr.Prachi Singh साहिबा आभार- अभिवादन !! हर शेर बहुत सामयिक और सार्थक…tag:openbooks.ning.com,2014-06-30:5170231:Comment:5542962014-06-30T14:05:56.338ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>हर शेर बहुत सामयिक और सार्थक हुआ है </p>
<p></p>
<p>बहुत बहुत बधाई आ० अभिनव अरुण जी </p>
<p>हर शेर बहुत सामयिक और सार्थक हुआ है </p>
<p></p>
<p>बहुत बहुत बधाई आ० अभिनव अरुण जी </p> आदरणीय श्री Ram Awadh VIshwak…tag:openbooks.ning.com,2014-06-26:5170231:Comment:5522492014-06-26T03:28:04.953ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>आदरणीय श्री Ram Awadh VIshwakarma जी बहुत शुक्रिया आभार आपका !1</p>
<p>आदरणीय श्री Ram Awadh VIshwakarma जी बहुत शुक्रिया आभार आपका !1</p> एक रत्ती कम न ज़्यादा चाहिए |म…tag:openbooks.ning.com,2014-06-24:5170231:Comment:5518822014-06-24T07:20:24.192ZRam Awadh VIshwakarmahttps://openbooks.ning.com/profile/RamAwadhVIshwakarma
<p><span>एक रत्ती कम न ज़्यादा चाहिए |</span><br/><span>मांगते हैं हक़ हमारा चाहिए |</span><br/><br/><br/><span>कौन कहता है कि राजा चाहिए |</span><br/><span>इस सियासत को पियादा चाहिए |</span><br/><br/><br/><span>आयेंगे कब अच्छे दिन तू ही बता ,</span><br/><span>कब तलक रखना भरोसा चाहिए |</span></p>
<p><span>शानदार मतला एवं सम्पूर्ण अच्छी गजल के लिये बधाई</span></p>
<p><span> </span></p>
<p><span>एक रत्ती कम न ज़्यादा चाहिए |</span><br/><span>मांगते हैं हक़ हमारा चाहिए |</span><br/><br/><br/><span>कौन कहता है कि राजा चाहिए |</span><br/><span>इस सियासत को पियादा चाहिए |</span><br/><br/><br/><span>आयेंगे कब अच्छे दिन तू ही बता ,</span><br/><span>कब तलक रखना भरोसा चाहिए |</span></p>
<p><span>शानदार मतला एवं सम्पूर्ण अच्छी गजल के लिये बधाई</span></p>
<p><span> </span></p> आदरणीय श्री शिज्जू जी शुक्रिय…tag:openbooks.ning.com,2014-06-23:5170231:Comment:5518372014-06-23T13:55:24.129ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>आदरणीय श्री शिज्जू जी शुक्रिया आपने ग़ज़ल सराहा ग़ज़ल धन्य हुई !!</p>
<p>आदरणीय श्री शिज्जू जी शुक्रिया आपने ग़ज़ल सराहा ग़ज़ल धन्य हुई !!</p> सादर अभिवादन आदरणीय श्री गिरि…tag:openbooks.ning.com,2014-06-23:5170231:Comment:5518362014-06-23T13:54:35.021ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>सादर अभिवादन आदरणीय श्री गिरिराज जी , आभार स्नेह मिलता रहे !!</p>
<p>सादर अभिवादन आदरणीय श्री गिरिराज जी , आभार स्नेह मिलता रहे !!</p> आदरणीय श्री लक्षमण धामी जी सह…tag:openbooks.ning.com,2014-06-23:5170231:Comment:5519192014-06-23T13:54:00.366ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>आदरणीय श्री लक्षमण धामी जी सही कहा ध्यान रखा जायेगा ..आभार !!</p>
<p>आदरणीय श्री लक्षमण धामी जी सही कहा ध्यान रखा जायेगा ..आभार !!</p> आदरणीय श्री विजय जी आभार आपकी…tag:openbooks.ning.com,2014-06-23:5170231:Comment:5517432014-06-23T13:53:16.127ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>आदरणीय श्री विजय जी आभार आपकी टिप्पणी मुझे जिम्मदारी का एहसास कराने के लिए पर्याप्त है ..उम्मीद है परिमार्जन परिश्रम से राह निकलेगी !!</p>
<p>आदरणीय श्री विजय जी आभार आपकी टिप्पणी मुझे जिम्मदारी का एहसास कराने के लिए पर्याप्त है ..उम्मीद है परिमार्जन परिश्रम से राह निकलेगी !!</p>