Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T09:23:39Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A547492&xn_auth=noअपनी औक़ात कहीं भूल न जाऊँ ‘सा…tag:openbooks.ning.com,2014-06-16:5170231:Comment:5492682014-06-16T16:39:58.637ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>अपनी औक़ात कहीं भूल न जाऊँ ‘साहिल’</p>
<p>इसलिए महल में मिट्टी का घड़ा रखता हूँ................बहुत खूबसूरत ख़याल </p>
<p></p>
<p>हार्दिक बधाई </p>
<p>अपनी औक़ात कहीं भूल न जाऊँ ‘साहिल’</p>
<p>इसलिए महल में मिट्टी का घड़ा रखता हूँ................बहुत खूबसूरत ख़याल </p>
<p></p>
<p>हार्दिक बधाई </p> .वाह! बहुत सुंदर. गजल आदरणीय…tag:openbooks.ning.com,2014-06-16:5170231:Comment:5495712014-06-16T12:19:47.285Zgumnaam pithoragarhihttps://openbooks.ning.com/profile/gumnaampithoragarhi
<p> .वाह! बहुत सुंदर. गजल आदरणीय शुशील जी,</p>
<p> .वाह! बहुत सुंदर. गजल आदरणीय शुशील जी,</p> बढ़िया .. क्या बात है दिली दा…tag:openbooks.ning.com,2014-06-15:5170231:Comment:5489042014-06-15T10:36:09.151ZMAHIMA SHREEhttps://openbooks.ning.com/profile/MAHIMASHREE
<p>बढ़िया .. क्या बात है दिली दाद प्रेषित है सादर</p>
<p>बढ़िया .. क्या बात है दिली दाद प्रेषित है सादर</p> दिल में उम्मीद तो होटों पे दु…tag:openbooks.ning.com,2014-06-14:5170231:Comment:5486132014-06-14T05:07:32.861Zजितेन्द्र पस्टारियाhttps://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>दिल में उम्मीद तो होटों पे दुआ रखता हूँ</p>
<p>तुम चले आना मैं दरवाज़ा खुला रखता हूँ.............वाह! बहुत सुंदर. बहुत कुछ कह देता हुआ मतला</p>
<p> </p>
<p>ये तेरा हुस्न अगर जलता शरारा है तो क्या </p>
<p>मैं भी जज़्बात की जोशीली हवा रखता हूँ.................क्या बात कही है .</p>
<p> </p>
<p>बेहतरीन गजल आदरणीय शुशील जी, दिली बधाई स्वीकारिये</p>
<p>दिल में उम्मीद तो होटों पे दुआ रखता हूँ</p>
<p>तुम चले आना मैं दरवाज़ा खुला रखता हूँ.............वाह! बहुत सुंदर. बहुत कुछ कह देता हुआ मतला</p>
<p> </p>
<p>ये तेरा हुस्न अगर जलता शरारा है तो क्या </p>
<p>मैं भी जज़्बात की जोशीली हवा रखता हूँ.................क्या बात कही है .</p>
<p> </p>
<p>बेहतरीन गजल आदरणीय शुशील जी, दिली बधाई स्वीकारिये</p> शानदार गज़ल हेतु बधाई स्वीकारे…tag:openbooks.ning.com,2014-06-12:5170231:Comment:5477692014-06-12T18:25:28.267ZMeena Pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>शानदार गज़ल हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीय </p>
<p>शानदार गज़ल हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीय </p> सुंदर गजल हेतु बधाई आपको आ0 स…tag:openbooks.ning.com,2014-06-12:5170231:Comment:5476532014-06-12T14:10:11.714Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>सुंदर गजल हेतु बधाई आपको आ0 सुशील जी । </p>
<p>सुंदर गजल हेतु बधाई आपको आ0 सुशील जी । </p> shandaaar ghazal सुशील जी बधाईtag:openbooks.ning.com,2014-06-12:5170231:Comment:5476492014-06-12T13:58:54.902Zumesh katarahttps://openbooks.ning.com/profile/umeshkatara437
<p>shandaaar ghazal सुशील जी बधाई</p>
<p>shandaaar ghazal सुशील जी बधाई</p> अपनी औक़ात कहीं भूल न जाऊँ ‘सा…tag:openbooks.ning.com,2014-06-12:5170231:Comment:5475882014-06-12T13:03:09.714Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>अपनी औक़ात कहीं भूल न जाऊँ ‘साहिल’</p>
<p>इसलिए महल में मिट्टी का घड़ा रखता हूँ ----- लाजवाब ! बहुत बधाइयाँ , सुन्दर ग़ज़ल कही भाई सुशील जी ॥</p>
<p>अपनी औक़ात कहीं भूल न जाऊँ ‘साहिल’</p>
<p>इसलिए महल में मिट्टी का घड़ा रखता हूँ ----- लाजवाब ! बहुत बधाइयाँ , सुन्दर ग़ज़ल कही भाई सुशील जी ॥</p>