Comments - ग़ज़ल - पहले वो कभी आज तक ऐसे मिला नहीं - Open Books Online2024-03-29T02:18:16Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A535939&xn_auth=noकिस्से तो सभी दर्द के सुनते र…tag:openbooks.ning.com,2014-05-22:5170231:Comment:5429952014-05-22T17:03:33.031ZSatyanarayan Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p><span xml:lang="HI" lang="HI">किस्से तो सभी दर्द के सुनते रहे मगर</span></p>
<p><span xml:lang="HI" lang="HI">जो बाँट सके गम को वो मुझको मिला नहीं .... बहुत खूब </span></p>
<p></p>
<p>हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया. </p>
<p><span xml:lang="HI" lang="HI">किस्से तो सभी दर्द के सुनते रहे मगर</span></p>
<p><span xml:lang="HI" lang="HI">जो बाँट सके गम को वो मुझको मिला नहीं .... बहुत खूब </span></p>
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<p>हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया. </p> आदरणीय सौरभ सर...लगातार चिल्ल…tag:openbooks.ning.com,2014-05-22:5170231:Comment:5430752014-05-22T15:16:46.101Zsanju shabditahttps://openbooks.ning.com/profile/sanjusingh
<p>आदरणीय सौरभ सर...लगातार चिल्ला चिल्लाकर बोलने से मुझे लगा कि थोड़े दिन चुप रहना चाहिए ..उसी का नतीजा है कि चुप चुप सी ग़ज़ल प्रस्तुत हुई . चूंकि ग़ज़ल चुप-चुप सी है सो काफ़िया विस्तार की मुझे अधिक छूट नहीं मिल सकी . मैंने कोशिस की थी पर मुझे ग़ज़ल के मूड के हिसाब से भर्ती के शेर लगे ,अतः मैंने यही निर्णय लिया की ग़ज़ल के मूड के हिसाब से ही काफिया लिया जाय ।इसे आप मेरी असमर्थता भी समझ सकते हैं ..आपकी सदाशयता एवं मार्गदर्शन हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद ॥सादर</p>
<p>आदरणीय सौरभ सर...लगातार चिल्ला चिल्लाकर बोलने से मुझे लगा कि थोड़े दिन चुप रहना चाहिए ..उसी का नतीजा है कि चुप चुप सी ग़ज़ल प्रस्तुत हुई . चूंकि ग़ज़ल चुप-चुप सी है सो काफ़िया विस्तार की मुझे अधिक छूट नहीं मिल सकी . मैंने कोशिस की थी पर मुझे ग़ज़ल के मूड के हिसाब से भर्ती के शेर लगे ,अतः मैंने यही निर्णय लिया की ग़ज़ल के मूड के हिसाब से ही काफिया लिया जाय ।इसे आप मेरी असमर्थता भी समझ सकते हैं ..आपकी सदाशयता एवं मार्गदर्शन हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद ॥सादर</p> आदरणीय Amod Kumar Srivastava…tag:openbooks.ning.com,2014-05-22:5170231:Comment:5431442014-05-22T15:02:34.041Zsanju shabditahttps://openbooks.ning.com/profile/sanjusingh
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/AmodKumarSrivastava" class="fn url">Amod Kumar Srivastava</a> जी आपका हार्दिक आभार</p>
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<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/AmodKumarSrivastava" class="fn url">Amod Kumar Srivastava</a> जी आपका हार्दिक आभार</p>
<p></p> कठिन बह्र तो लिया है आपने, नि…tag:openbooks.ning.com,2014-05-14:5170231:Comment:5414302014-05-14T11:17:06.572ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>कठिन बह्र तो लिया है आपने, निभाया भी है. लेकिन काफ़िया को और फैलाव देना था. शेर भी आपकी ग़ज़ल के लिहाज से कुछ चुप-चुप से लगे. <br/>बहरहाल अभ्यास क्रम में हमसब बहुत कुछ कहते हैं. <br/>इस सतत रचनाधर्मिता के लिए हार्दिक बधाई<br/><br/></p>
<p>कठिन बह्र तो लिया है आपने, निभाया भी है. लेकिन काफ़िया को और फैलाव देना था. शेर भी आपकी ग़ज़ल के लिहाज से कुछ चुप-चुप से लगे. <br/>बहरहाल अभ्यास क्रम में हमसब बहुत कुछ कहते हैं. <br/>इस सतत रचनाधर्मिता के लिए हार्दिक बधाई<br/><br/></p> अच्छी रचना बधाई स्वीकार करें…tag:openbooks.ning.com,2014-05-02:5170231:Comment:5368362014-05-02T13:56:39.538ZAmod Kumar Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmodKumarSrivastava
<p>अच्छी रचना बधाई स्वीकार करें .... </p>
<p>अच्छी रचना बधाई स्वीकार करें .... </p> बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया कु…tag:openbooks.ning.com,2014-05-02:5170231:Comment:5366792014-05-02T12:47:37.920Zsanju shabditahttps://openbooks.ning.com/profile/sanjusingh
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया कुन्ती जी</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया कुन्ती जी</p> धन्यवाद आदरणीय जीतेन्द्र जीtag:openbooks.ning.com,2014-05-02:5170231:Comment:5366782014-05-02T12:46:43.311Zsanju shabditahttps://openbooks.ning.com/profile/sanjusingh
<p>धन्यवाद आदरणीय जीतेन्द्र जी</p>
<p>धन्यवाद आदरणीय जीतेन्द्र जी</p> बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय उमे…tag:openbooks.ning.com,2014-05-02:5170231:Comment:5368352014-05-02T12:46:08.764Zsanju shabditahttps://openbooks.ning.com/profile/sanjusingh
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय उमेश जी</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय उमेश जी</p> आदरणीय आशुतोष जी आपका हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2014-05-02:5170231:Comment:5366772014-05-02T12:45:39.671Zsanju shabditahttps://openbooks.ning.com/profile/sanjusingh
<p>आदरणीय आशुतोष जी आपका हार्दिक आभार</p>
<p>आदरणीय आशुतोष जी आपका हार्दिक आभार</p> किस्से तो सभी दर्द के सुनते र…tag:openbooks.ning.com,2014-05-01:5170231:Comment:5362932014-05-01T21:48:39.075Zcoontee mukerjihttps://openbooks.ning.com/profile/coonteemukerji
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">किस्से तो सभी दर्द के सुनते रहे मगर</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">जो बाँट सके गम को वो मुझको मिला नहीं....बहुत सुंदर.उम्मीदों के सहारे दुनिया टिकी है. हार्दिक बधाई.<br/></span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">किस्से तो सभी दर्द के सुनते रहे मगर</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">जो बाँट सके गम को वो मुझको मिला नहीं....बहुत सुंदर.उम्मीदों के सहारे दुनिया टिकी है. हार्दिक बधाई.<br/></span></p>