Comments - पाँच दोहे : आज के मन-भाव // --सौरभ - Open Books Online2024-03-28T10:50:31Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A506009&xn_auth=noइस प्रस्तुति को मान देे के लि…tag:openbooks.ning.com,2014-04-28:5170231:Comment:5357242014-04-28T17:35:39.515ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>इस प्रस्तुति को मान देे के लिए सुधीजनों को हार्दिक धन्यवाद</p>
<p>सादर</p>
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<p>इस प्रस्तुति को मान देे के लिए सुधीजनों को हार्दिक धन्यवाद</p>
<p>सादर</p>
<p></p> हृदय धड़कता आज भी, टेरे भाव मह…tag:openbooks.ning.com,2014-03-31:5170231:Comment:5267462014-03-31T11:52:51.404ZVISHAAL CHARCHCHIThttps://openbooks.ning.com/profile/VISHAALCHARCHCHIT
<p><span>हृदय धड़कता आज भी, टेरे भाव महीन </span><br/><span>पर संप्रेषण हो गया, ’यू नो.. आई मीन..’</span><br/><br/>अरे गजब सर......ये हिन्दी - अंग्रेजी का दोहे में प्रयोग....... कमाल का हुआ........ नाऊ ये दिल मांगे मोर :)</p>
<p><span>हृदय धड़कता आज भी, टेरे भाव महीन </span><br/><span>पर संप्रेषण हो गया, ’यू नो.. आई मीन..’</span><br/><br/>अरे गजब सर......ये हिन्दी - अंग्रेजी का दोहे में प्रयोग....... कमाल का हुआ........ नाऊ ये दिल मांगे मोर :)</p> वाह क्या कहने आदरणीय सौरभ जी…tag:openbooks.ning.com,2014-02-08:5170231:Comment:5091332014-02-08T06:49:06.567Zram shiromani pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p>वाह क्या कहने आदरणीय सौरभ जी ,बहुत ही सुन्दर दोहे और वो भी नए स्टाइल में। …………आज कुछ तूफानी करते है????। । हार्दिक बधाई आपको </p>
<p>वाह क्या कहने आदरणीय सौरभ जी ,बहुत ही सुन्दर दोहे और वो भी नए स्टाइल में। …………आज कुछ तूफानी करते है????। । हार्दिक बधाई आपको </p> जी आदरणीय मैं यही कहना चाह रह…tag:openbooks.ning.com,2014-02-04:5170231:Comment:5074982014-02-04T02:05:46.780Zबृजेश नीरजhttps://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>जी आदरणीय मैं यही कहना चाह रहा था!</p>
<p>जी आदरणीय मैं यही कहना चाह रहा था!</p> आपकी बातों से पूर्णतः सहमत हू…tag:openbooks.ning.com,2014-02-03:5170231:Comment:5074932014-02-03T22:51:06.560ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपकी बातों से पूर्णतः सहमत हूँ भाई बृजेशजी. आपने मेरे इशारे को बखूबी पकड़ा भी है.</p>
<p>वैसे देशज भाषा तो नहीं देशज शब्द कहना था.</p>
<p>भाईजी, देशज शब्दों में कोई कमी या बुराई नहीं है. विचित्र तो तब लगता है जब लोग दोहा लिखने के क्रम में क्रियापद को अनावश्यक रूप से आंचलिक करने लगते हैं. या संस्कृत-प्राकृत-अवहट्ट के शब्दों के व्यामोह में पड़ उनकी प्रासंगिकता को तूल देने लगते हैं. मैं समझता हूँ, आपका भी यही कहना है.</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>आपकी बातों से पूर्णतः सहमत हूँ भाई बृजेशजी. आपने मेरे इशारे को बखूबी पकड़ा भी है.</p>
<p>वैसे देशज भाषा तो नहीं देशज शब्द कहना था.</p>
<p>भाईजी, देशज शब्दों में कोई कमी या बुराई नहीं है. विचित्र तो तब लगता है जब लोग दोहा लिखने के क्रम में क्रियापद को अनावश्यक रूप से आंचलिक करने लगते हैं. या संस्कृत-प्राकृत-अवहट्ट के शब्दों के व्यामोह में पड़ उनकी प्रासंगिकता को तूल देने लगते हैं. मैं समझता हूँ, आपका भी यही कहना है.</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> बहुत बहुत धन्यवाद, भाई जीतेन्…tag:openbooks.ning.com,2014-02-03:5170231:Comment:5076852014-02-03T22:50:10.353ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>बहुत बहुत धन्यवाद, भाई जीतेन्द्रजी.</p>
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<p>बहुत बहुत धन्यवाद, भाई जीतेन्द्रजी.</p>
<p></p> आपकी आत्मीयता के प्रति नत हूँ…tag:openbooks.ning.com,2014-02-03:5170231:Comment:5074922014-02-03T22:49:23.644ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपकी आत्मीयता के प्रति नत हूँ आदरणीय लक्ष्मणधामीजी..</p>
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<p>आपकी आत्मीयता के प्रति नत हूँ आदरणीय लक्ष्मणधामीजी..</p>
<p></p> आदरणीया वन्दनाजी, आपने अभिनव…tag:openbooks.ning.com,2014-02-03:5170231:Comment:5078142014-02-03T22:48:20.813ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया वन्दनाजी, आपने अभिनव आयाम की अनुभूति की. </p>
<p>हार्दिक धन्यवाद इन दोहों की सार्थकता को रेखांकित करने के लिए ..</p>
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<p>आदरणीया वन्दनाजी, आपने अभिनव आयाम की अनुभूति की. </p>
<p>हार्दिक धन्यवाद इन दोहों की सार्थकता को रेखांकित करने के लिए ..</p>
<p></p> सादर धन्यवाद आदरणीय गिरिराजभा…tag:openbooks.ning.com,2014-02-03:5170231:Comment:5078132014-02-03T22:46:53.955ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>सादर धन्यवाद आदरणीय गिरिराजभाईजी.. .</p>
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<p>सादर धन्यवाद आदरणीय गिरिराजभाईजी.. .</p>
<p></p> उत्साहवर्द्धन केलिए सादर धन्य…tag:openbooks.ning.com,2014-02-03:5170231:Comment:5076842014-02-03T22:46:18.755ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>उत्साहवर्द्धन केलिए सादर धन्यवाद आदरणीय लड़ीवालाजी..</p>
<p>सादर</p>
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<p>उत्साहवर्द्धन केलिए सादर धन्यवाद आदरणीय लड़ीवालाजी..</p>
<p>सादर</p>
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