Comments - गज़ल... बागों बुलाती है सुबह (कल्पना रामानी) - Open Books Online2024-03-29T09:05:49Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A505844&xn_auth=noसुंदर टिप्पणी द्वारा मनोबल बढ़…tag:openbooks.ning.com,2014-02-05:5170231:Comment:5081942014-02-05T16:57:26.731Zकल्पना रामानीhttps://openbooks.ning.com/profile/0qbqxqnenfmpi
<p>सुंदर टिप्पणी द्वारा मनोबल बढ़ाने के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी</p>
<p>सुंदर टिप्पणी द्वारा मनोबल बढ़ाने के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी</p> शरद की चकित भोर, मुलायम हरिया…tag:openbooks.ning.com,2014-02-03:5170231:Comment:5077162014-02-03T23:13:05.715ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>शरद की चकित भोर, मुलायम हरियाई घास पर बिखरी ओस और उस पर चुपचाप दूर तक चलना याद आ गया... शुभ-शुभ</p>
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<p>शरद की चकित भोर, मुलायम हरियाई घास पर बिखरी ओस और उस पर चुपचाप दूर तक चलना याद आ गया... शुभ-शुभ</p>
<p></p> आदरणीय लक्ष्मण जी, आ॰ जितेंद्…tag:openbooks.ning.com,2014-02-02:5170231:Comment:5069372014-02-02T16:01:28.183Zकल्पना रामानीhttps://openbooks.ning.com/profile/0qbqxqnenfmpi
<p>आदरणीय लक्ष्मण जी, आ॰ जितेंद्र जी, आ॰ मनोज जी, गजल की सराहना के लिए आप सबका हार्दिक धन्यवाद</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण जी, आ॰ जितेंद्र जी, आ॰ मनोज जी, गजल की सराहना के लिए आप सबका हार्दिक धन्यवाद</p> कालिमा को काटकर, आह्वान करती…tag:openbooks.ning.com,2014-02-02:5170231:Comment:5068592014-02-02T13:14:25.093Zमनोज कुमार सिंह 'मयंक'https://openbooks.ning.com/profile/2pfvid8pxd2o7
<p>कालिमा को काटकर, आह्वान करती सूर्य का,</p>
<p>बाद बढ़कर, कर्म-पथ पर, दिन बिताती है सुबह।.....बहुत ही बेहतरीन...</p>
<p>कालिमा को काटकर, आह्वान करती सूर्य का,</p>
<p>बाद बढ़कर, कर्म-पथ पर, दिन बिताती है सुबह।.....बहुत ही बेहतरीन...</p> बेहद सुंदर ताजगी भरी गजल, हार…tag:openbooks.ning.com,2014-02-02:5170231:Comment:5065452014-02-02T03:20:19.826Zजितेन्द्र पस्टारियाhttps://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>बेहद सुंदर ताजगी भरी गजल, हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना जी</p>
<p>बेहद सुंदर ताजगी भरी गजल, हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना जी</p> आदरणीय कल्पना जी , सुन्दर हिन…tag:openbooks.ning.com,2014-02-02:5170231:Comment:5064582014-02-02T01:54:34.776Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीय कल्पना जी , सुन्दर हिन्दी ग़ज़ल के लिये बधाइ.</p>
<p>आदरणीय कल्पना जी , सुन्दर हिन्दी ग़ज़ल के लिये बधाइ.</p> आदरणीय आशुतोष जी, आपके प्रशंस…tag:openbooks.ning.com,2014-02-01:5170231:Comment:5063822014-02-01T17:12:44.800Zकल्पना रामानीhttps://openbooks.ning.com/profile/0qbqxqnenfmpi
<p>आदरणीय आशुतोष जी, आपके प्रशंसात्मक शब्दों से मन और ऊर्जावान हो उठा है। आपका हृदय से आभार। सादर</p>
<p>आदरणीय आशुतोष जी, आपके प्रशंसात्मक शब्दों से मन और ऊर्जावान हो उठा है। आपका हृदय से आभार। सादर</p> आ॰ वंदना जी, प्रोत्साहित करने…tag:openbooks.ning.com,2014-02-01:5170231:Comment:5065302014-02-01T17:11:23.998Zकल्पना रामानीhttps://openbooks.ning.com/profile/0qbqxqnenfmpi
<p>आ॰ वंदना जी, प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद</p>
<p>आ॰ वंदना जी, प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद</p> आदरणीया कल्पना जी ..हिंदी के…tag:openbooks.ning.com,2014-02-01:5170231:Comment:5063052014-02-01T15:42:25.382ZDr Ashutosh Mishrahttps://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीया कल्पना जी ..हिंदी के चुने हुए बेहतरीन शब्दों से सुसज्जित ग़ज़ल ओपन बुक्स ओं लाइन के बृहत् आकाश पर मनभावन सहर की तरह है ..भोर के परिदृश्य का बेहतरीन चित्रण करती इस रचना के लिए तहे दिल बधाई //सादर</p>
<p>आदरणीया कल्पना जी ..हिंदी के चुने हुए बेहतरीन शब्दों से सुसज्जित ग़ज़ल ओपन बुक्स ओं लाइन के बृहत् आकाश पर मनभावन सहर की तरह है ..भोर के परिदृश्य का बेहतरीन चित्रण करती इस रचना के लिए तहे दिल बधाई //सादर</p> रात पर जय प्राप्त कर जब जाग ज…tag:openbooks.ning.com,2014-02-01:5170231:Comment:5065152014-02-01T15:36:10.782Zvandanahttps://openbooks.ning.com/profile/vandana956
<p>रात पर जय प्राप्त कर जब जाग जाती है सुबह।</p>
<p>किस तरह हारा अँधेरा, कह सुनाती है सुबह।</p>
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<p>बहुत खुशनुमा सुबह आदरणीया कल्पना मैम</p>
<p>रात पर जय प्राप्त कर जब जाग जाती है सुबह।</p>
<p>किस तरह हारा अँधेरा, कह सुनाती है सुबह।</p>
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<p>बहुत खुशनुमा सुबह आदरणीया कल्पना मैम</p>