Comments - ग़ज़ल - मुझे बेजान सा पुतला बनाना चाहता है - Open Books Online2024-03-29T07:27:51Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A498263&xn_auth=noकुतर डाले मेरे जब हौंसलों के…tag:openbooks.ning.com,2014-07-10:5170231:Comment:5576352014-07-10T10:59:53.871ZMadan Mohan saxenahttps://openbooks.ning.com/profile/MadanMohansaxena
<p>कुतर डाले मेरे जब हौंसलों के पंख उसने<br/> बुलंदी आसमां की अब दिखाना चाहता है</p>
<p>अच्छी गज़ल के लिए बधाई।</p>
<p>कुतर डाले मेरे जब हौंसलों के पंख उसने<br/> बुलंदी आसमां की अब दिखाना चाहता है</p>
<p>अच्छी गज़ल के लिए बधाई।</p> मेरे जज्बात सब उसको खिलौने जा…tag:openbooks.ning.com,2014-01-24:5170231:Comment:5031512014-01-24T01:53:55.705Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">मेरे जज्बात सब उसको खिलौने जान पड़ते</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">जिन्हें वो खुद की चाभी से चलाना चाहता है</span></p>
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<p><span lang="HI" xml:lang="HI">कुतर डाले मेरे जब हौंसलों के पंख उसने</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">बुलंदी आसमां की अब दिखाना चाहता है</span></p>
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<p><span lang="HI" xml:lang="HI">अच्छी गज़ल के लिए बधाई।</span></p>
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<p><span lang="HI" xml:lang="HI">सादर,…</span></p>
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<p><span lang="HI" xml:lang="HI">मेरे जज्बात सब उसको खिलौने जान पड़ते</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">जिन्हें वो खुद की चाभी से चलाना चाहता है</span></p>
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<p><span lang="HI" xml:lang="HI">कुतर डाले मेरे जब हौंसलों के पंख उसने</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">बुलंदी आसमां की अब दिखाना चाहता है</span></p>
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<p><span lang="HI" xml:lang="HI">अच्छी गज़ल के लिए बधाई।</span></p>
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<p><span lang="HI" xml:lang="HI">सादर,</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">विजय निकोर</span></p>
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<p></p> मुझे बेजान सा पुतला बनाना चाह…tag:openbooks.ning.com,2014-01-19:5170231:Comment:5018812014-01-19T21:47:34.767Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">मुझे बेजान सा पुतला बनाना चाहता है</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">किसी शोकेस में रखकर सजाना चाहता है</span></p>
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<p><span lang="HI" xml:lang="HI">मेरे जज्बात सब उसको खिलौने जान पड़ते</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">जिन्हें वो खुद की चाभी से चलाना चाहता है<br></br><br></br>बहुत खूब ... अच्छे अशार हुए हैं ...ढेरो दाद <br></br><br></br><strong>पचाना, मुर्दा</strong> जैसे शब्द को ग़ज़ल में प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि कहीं वो शेर को तगज्जुल से बाहर न…</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">मुझे बेजान सा पुतला बनाना चाहता है</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">किसी शोकेस में रखकर सजाना चाहता है</span></p>
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<p><span lang="HI" xml:lang="HI">मेरे जज्बात सब उसको खिलौने जान पड़ते</span></p>
<p><span lang="HI" xml:lang="HI">जिन्हें वो खुद की चाभी से चलाना चाहता है<br/><br/>बहुत खूब ... अच्छे अशार हुए हैं ...ढेरो दाद <br/><br/><strong>पचाना, मुर्दा</strong> जैसे शब्द को ग़ज़ल में प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि कहीं वो शेर को तगज्जुल से बाहर न ले कर चला जाए <br/></span></p> आदरणीय सौरभ सर आपकी टिप्पणिया…tag:openbooks.ning.com,2014-01-15:5170231:Comment:4999622014-01-15T14:39:27.661Zsanju shabditahttps://openbooks.ning.com/profile/sanjusingh
<p>आदरणीय सौरभ सर आपकी टिप्पणियाँ मुझे सदैव से ही एक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती रही हैं, जिसके लिए मैं आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करती हूँ . प्रस्तुत ग़ज़ल पर आपने इतना बड़ा भरोसा जताया, मैं अभिभूत हूँ . लिखती तो मैं पहले भी थी पर इस मंच ने मुझे एक दिशा प्रदान की जिसके लिए मैं इस मंच की भी सदा आभारी रहूंगी. </p>
<p>आदरणीय सौरभ सर आपकी टिप्पणियाँ मुझे सदैव से ही एक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती रही हैं, जिसके लिए मैं आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करती हूँ . प्रस्तुत ग़ज़ल पर आपने इतना बड़ा भरोसा जताया, मैं अभिभूत हूँ . लिखती तो मैं पहले भी थी पर इस मंच ने मुझे एक दिशा प्रदान की जिसके लिए मैं इस मंच की भी सदा आभारी रहूंगी. </p> आदरणीया राम शिरोमणि जी आपका ब…tag:openbooks.ning.com,2014-01-15:5170231:Comment:5001412014-01-15T14:20:58.062Zsanju shabditahttps://openbooks.ning.com/profile/sanjusingh
<p>आदरणीया राम शिरोमणि जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया</p>
<p>आदरणीया राम शिरोमणि जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया</p> आदरणीया सारिका जी ग़ज़ल आपको पस…tag:openbooks.ning.com,2014-01-15:5170231:Comment:5000562014-01-15T14:19:35.172Zsanju shabditahttps://openbooks.ning.com/profile/sanjusingh
<p>आदरणीया सारिका जी ग़ज़ल आपको पसंद आई आपकी आभारी हूँ</p>
<p>आदरणीया सारिका जी ग़ज़ल आपको पसंद आई आपकी आभारी हूँ</p> आदरणीय जीतेन्द्र जी आपका बहुत…tag:openbooks.ning.com,2014-01-15:5170231:Comment:5001402014-01-15T14:18:53.411Zsanju shabditahttps://openbooks.ning.com/profile/sanjusingh
<p>आदरणीय जीतेन्द्र जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया</p>
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<p>आदरणीय जीतेन्द्र जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया</p>
<p></p> आदरणीय अनुराग जी आपका हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2014-01-15:5170231:Comment:5001392014-01-15T14:18:20.745Zsanju shabditahttps://openbooks.ning.com/profile/sanjusingh
<p>आदरणीय अनुराग जी आपका हार्दिक आभार</p>
<p>आदरणीय अनुराग जी आपका हार्दिक आभार</p> आदरणीया महिमा जी मेरी आवाज आ…tag:openbooks.ning.com,2014-01-15:5170231:Comment:5000552014-01-15T14:17:52.296Zsanju shabditahttps://openbooks.ning.com/profile/sanjusingh
<p> आदरणीया महिमा जी मेरी आवाज आप तक पंहुची लिखना सार्थक हुआ,ग़ज़ल अनुमोदन हेतु आपका हार्दिक आभार </p>
<p> आदरणीया महिमा जी मेरी आवाज आप तक पंहुची लिखना सार्थक हुआ,ग़ज़ल अनुमोदन हेतु आपका हार्दिक आभार </p> ये आपसे एक ऐसी ग़ज़ल हुई है जो…tag:openbooks.ning.com,2014-01-14:5170231:Comment:4998452014-01-14T19:12:54.137ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>ये आपसे एक ऐसी ग़ज़ल हुई है जो आपकी शैली की ट्रेण्ड सेटर बन सकती है.</p>
<p>हार्दिक शुभकामनाएँ</p>
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<p>ये आपसे एक ऐसी ग़ज़ल हुई है जो आपकी शैली की ट्रेण्ड सेटर बन सकती है.</p>
<p>हार्दिक शुभकामनाएँ</p>
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