Comments - कविता : - केवल तूने ही नहीं खाईं गोलियाँ .. - Open Books Online2024-03-28T19:42:16Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A49019&xn_auth=noअक्षय ठाकुर जी आपके शब्दों के…tag:openbooks.ning.com,2011-02-06:5170231:Comment:522192011-02-06T05:20:55.487ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
अक्षय ठाकुर जी आपके शब्दों के लिये आभारी हूँ |स्नेह बनाए रखिये |
अक्षय ठाकुर जी आपके शब्दों के लिये आभारी हूँ |स्नेह बनाए रखिये | कविता के माध्यम से भारत की वर…tag:openbooks.ning.com,2011-02-06:5170231:Comment:520102011-02-06T04:24:18.182ZAkshay Thakur " परब्रह्म "https://openbooks.ning.com/profile/AkshayThakur
कविता के माध्यम से भारत की वर्तमान दशा का प्रत्यक्ष वर्णन किया है आपने.. बधाई स्वीकार करें :)
कविता के माध्यम से भारत की वर्तमान दशा का प्रत्यक्ष वर्णन किया है आपने.. बधाई स्वीकार करें :) शुक्रिया राकेश जी !!tag:openbooks.ning.com,2011-01-30:5170231:Comment:497162011-01-30T16:08:57.689ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
शुक्रिया राकेश जी !!
शुक्रिया राकेश जी !! आदरणीया वंदना जी , सर्वश्री व…tag:openbooks.ning.com,2011-01-28:5170231:Comment:493182011-01-28T08:25:10.630ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
आदरणीया वंदना जी , सर्वश्री वीरेंद्र जी ,वीनस जी ,नवीन जी ,शेष जी ,आशीष जी ,गणेश जी ,विवेक जी आप सब ने मेरा हौसला बढ़ाया आभारी हूँ | जब अपनी बात औरों तक पहुंचकर उनकी प्रशंसा पाती है तो अच्छा लगता है और दायित्व बोध भी होता है| और भी अच्छा करने का निरंतर प्रयास रहेगा |
आदरणीया वंदना जी , सर्वश्री वीरेंद्र जी ,वीनस जी ,नवीन जी ,शेष जी ,आशीष जी ,गणेश जी ,विवेक जी आप सब ने मेरा हौसला बढ़ाया आभारी हूँ | जब अपनी बात औरों तक पहुंचकर उनकी प्रशंसा पाती है तो अच्छा लगता है और दायित्व बोध भी होता है| और भी अच्छा करने का निरंतर प्रयास रहेगा | अरुणजी ...आज की दशा का बिलकुल…tag:openbooks.ning.com,2011-01-28:5170231:Comment:492512011-01-28T05:41:25.258ZVeerendra Jainhttps://openbooks.ning.com/profile/VeerendraJain
अरुणजी ...आज की दशा का बिलकुल सटीक वर्णन किया है आपने , दिल को छू लेने वाली रचना के लिए हार्दिक बधाई..
अरुणजी ...आज की दशा का बिलकुल सटीक वर्णन किया है आपने , दिल को छू लेने वाली रचना के लिए हार्दिक बधाई.. विचारोत्तेजक कविता
नाथूराम…tag:openbooks.ning.com,2011-01-27:5170231:Comment:492022011-01-27T20:17:21.148Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
विचारोत्तेजक कविता<br />
<br />
<br />
नाथूराम आज भी चलाते जा रहा है<br />
चौथी - पांचवी - छठी...<br />
निरंतर गोलियाँ<br />
उनके सीने पर<br />
जिन्हें तुम्हारे आदर्श<br />
लुभाते ही नहीं रास्ता दिखाते हैं<br />
बापू इसी लिये कहता हूँ<br />
सिर्फ तुमने ही नहीं खाईं गोलियाँ<br />
सिर्फ तुमने ही नहीं कहा<br />
हे राम !!!<br />
<br />
खूब पसंद आई
विचारोत्तेजक कविता<br />
<br />
<br />
नाथूराम आज भी चलाते जा रहा है<br />
चौथी - पांचवी - छठी...<br />
निरंतर गोलियाँ<br />
उनके सीने पर<br />
जिन्हें तुम्हारे आदर्श<br />
लुभाते ही नहीं रास्ता दिखाते हैं<br />
बापू इसी लिये कहता हूँ<br />
सिर्फ तुमने ही नहीं खाईं गोलियाँ<br />
सिर्फ तुमने ही नहीं कहा<br />
हे राम !!!<br />
<br />
खूब पसंद आई अरुण सर एक मर्म स्पर्शी रचना…tag:openbooks.ning.com,2011-01-27:5170231:Comment:491402011-01-27T09:16:19.976Zआशीष यादवhttps://openbooks.ning.com/profile/Ashishyadav
अरुण सर एक मर्म स्पर्शी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई| सच आपने एक खुबसूरत सच लिखा है| आज भी नाथू ख़त्म नहीं हुए| आज भी लुटने वाले काले गोरे अभी ख़त्म नहीं हुए| राम राज धरा रह गया|<br/>
अरुण सर एक मर्म स्पर्शी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई| सच आपने एक खुबसूरत सच लिखा है| आज भी नाथू ख़त्म नहीं हुए| आज भी लुटने वाले काले गोरे अभी ख़त्म नहीं हुए| राम राज धरा रह गया|<br/> बेहद खुबसूरत रचना , ह्रदय को…tag:openbooks.ning.com,2011-01-26:5170231:Comment:490662011-01-26T18:02:53.069ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
बेहद खुबसूरत रचना , ह्रदय को छू लेने वाली काव्य कृत प्रस्तुत किया है आपने, आपने सही कहा है गाँधी जी को तो एक नाथू राम ने मारा यहाँ तो पग पग पर कितने नाथू राम भरे पडे है | गणतंत्र और खुबसूरत कविता पर बधाई अरुण जी |
बेहद खुबसूरत रचना , ह्रदय को छू लेने वाली काव्य कृत प्रस्तुत किया है आपने, आपने सही कहा है गाँधी जी को तो एक नाथू राम ने मारा यहाँ तो पग पग पर कितने नाथू राम भरे पडे है | गणतंत्र और खुबसूरत कविता पर बधाई अरुण जी | एक मर्मस्पर्शी रचना और साथ ही…tag:openbooks.ning.com,2011-01-26:5170231:Comment:490572011-01-26T17:05:05.456Zविवेक मिश्रhttps://openbooks.ning.com/profile/VivekMishra
एक मर्मस्पर्शी रचना और साथ ही सटीक छायाचित्र संयोजन. शुभकामनायें स्वीकार करें.<br/>
एक मर्मस्पर्शी रचना और साथ ही सटीक छायाचित्र संयोजन. शुभकामनायें स्वीकार करें.<br/> मुझे अभी अभी इसे सजीव ओ.बी.ओ.…tag:openbooks.ning.com,2011-01-26:5170231:Comment:490402011-01-26T14:47:44.492ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>मुझे अभी अभी इसे सजीव ओ.बी.ओ. पर लिख कर बहुत संतोष हुआ ! और मन से एक बोझ उतरने का एहसास भी | अपनी बात कह लेने का एक मंच देने के लिये ओ.बी.ओ. को हार्दिक धन्यवाद | जीवन की एक कमी पूरी हुई इस साईट से जुडकर |पूरी टीम को शुभकामनाएं !!!!</p>
<p>सृजन रथ चलता बढ़ता रहे खूब नाम कमाए अपना ओ.बी.ओ. |</p>
<p>मुझे अभी अभी इसे सजीव ओ.बी.ओ. पर लिख कर बहुत संतोष हुआ ! और मन से एक बोझ उतरने का एहसास भी | अपनी बात कह लेने का एक मंच देने के लिये ओ.बी.ओ. को हार्दिक धन्यवाद | जीवन की एक कमी पूरी हुई इस साईट से जुडकर |पूरी टीम को शुभकामनाएं !!!!</p>
<p>सृजन रथ चलता बढ़ता रहे खूब नाम कमाए अपना ओ.बी.ओ. |</p>