Comments - एक ग़ज़ल !! - Open Books Online2024-03-29T12:12:43Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A482422&xn_auth=noभला लगा कि आप इसशेर पर फिर से…tag:openbooks.ning.com,2013-12-11:5170231:Comment:4855692013-12-11T17:06:02.589ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>भला लगा कि आप इसशेर पर फिर से काम करेंगे.</p>
<p>वस्तुतः जो कुछ उला बयान कर गया, उसके कहे को सानी का मिसरा संतुष्ट /सपोर्ट नहीं कर रहा है. पता तो लिफ़ाफ़े <span style="text-decoration: underline;">पर</span> लिखा जाता है. जबकि रूह बदन <span style="text-decoration: underline;">में</span> रहती है. लिफ़ाफ़े का ख़त सही प्रतीक होता. ऐसा मुझे लगा.</p>
<p>शायद मैं क्लीयर कर पाया.</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>भला लगा कि आप इसशेर पर फिर से काम करेंगे.</p>
<p>वस्तुतः जो कुछ उला बयान कर गया, उसके कहे को सानी का मिसरा संतुष्ट /सपोर्ट नहीं कर रहा है. पता तो लिफ़ाफ़े <span style="text-decoration: underline;">पर</span> लिखा जाता है. जबकि रूह बदन <span style="text-decoration: underline;">में</span> रहती है. लिफ़ाफ़े का ख़त सही प्रतीक होता. ऐसा मुझे लगा.</p>
<p>शायद मैं क्लीयर कर पाया.</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सौर…tag:openbooks.ning.com,2013-12-11:5170231:Comment:4853912013-12-11T15:55:36.395Zआशीष नैथानी 'सलिल'https://openbooks.ning.com/profile/AshishNaithaniSalil
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ जी |<br/>लिफाफे वाले शेर में कुछ बदलाव करके पेश करूँगा | :))</p>
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ जी |<br/>लिफाफे वाले शेर में कुछ बदलाव करके पेश करूँगा | :))</p> शिल्प और कहन पर बहुत सुन्दर अ…tag:openbooks.ning.com,2013-12-10:5170231:Comment:4850432013-12-10T12:42:10.905ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>शिल्प और कहन पर बहुत सुन्दर अभ्यास हुआ है भाई सलिजी. बहुत-बहुत बधाई .. .</p>
<p>लिफ़ाफ़ा और उसके पते वाला शेर वो कुछ नहीं कह पाया जो आप चाह रहे थे. यों बात समझ में आ गयी.. :-))))</p>
<p></p>
<p>मनभर दाद लीजिये</p>
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<p>शिल्प और कहन पर बहुत सुन्दर अभ्यास हुआ है भाई सलिजी. बहुत-बहुत बधाई .. .</p>
<p>लिफ़ाफ़ा और उसके पते वाला शेर वो कुछ नहीं कह पाया जो आप चाह रहे थे. यों बात समझ में आ गयी.. :-))))</p>
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<p>मनभर दाद लीजिये</p>
<p></p> बहुत-बहुत शुक्रिया भाई राजेश…tag:openbooks.ning.com,2013-12-05:5170231:Comment:4829572013-12-05T14:54:22.348Zआशीष नैथानी 'सलिल'https://openbooks.ning.com/profile/AshishNaithaniSalil
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया भाई राजेश जी !</p>
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया भाई राजेश जी !</p> तहेदिल से शुक्रिया भाई राम शि…tag:openbooks.ning.com,2013-12-05:5170231:Comment:4829552013-12-05T14:53:47.556Zआशीष नैथानी 'सलिल'https://openbooks.ning.com/profile/AshishNaithaniSalil
<p>तहेदिल से शुक्रिया भाई राम शिरोमणि जी, नीलेश जी, डॉ. आशुतोष जी, सारथी साहब !</p>
<p>तहेदिल से शुक्रिया भाई राम शिरोमणि जी, नीलेश जी, डॉ. आशुतोष जी, सारथी साहब !</p> शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई tag:openbooks.ning.com,2013-12-05:5170231:Comment:4832112013-12-05T12:32:23.793ZNilesh Shevgaonkarhttps://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई </p>
<p>शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई </p> एक बीमार की दवा जैसे तुम मेरे…tag:openbooks.ning.com,2013-12-05:5170231:Comment:4831212013-12-05T11:40:19.564Zराजेश 'मृदु'https://openbooks.ning.com/profile/RajeshKumarJha
<p>एक बीमार की दवा जैसे<br/> तुम मेरे पास हो ख़ुदा जैसे |</p>
<p></p>
<p>बहुत अच्छी लगी ये प्रस्तुति, सादर</p>
<p>एक बीमार की दवा जैसे<br/> तुम मेरे पास हो ख़ुदा जैसे |</p>
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<p>बहुत अच्छी लगी ये प्रस्तुति, सादर</p> रूह ! बेकार है बदन तुझ बिनइक…tag:openbooks.ning.com,2013-12-05:5170231:Comment:4827022013-12-05T07:49:36.932ZSaarthi Baidyanathhttps://openbooks.ning.com/profile/saarthibaidyanath
<p><span>रूह ! बेकार है बदन तुझ बिन</span><br/><span>इक लिफ़ाफ़ा है बिन पता जैसे....इस शेर के लिए मुबारकबाद ....बढ़िया ग़ज़ल कही है !</span></p>
<p><span>रूह ! बेकार है बदन तुझ बिन</span><br/><span>इक लिफ़ाफ़ा है बिन पता जैसे....इस शेर के लिए मुबारकबाद ....बढ़िया ग़ज़ल कही है !</span></p> आशीष जी इस सुंदर ग़ज़ल पर आपको…tag:openbooks.ning.com,2013-12-05:5170231:Comment:4826822013-12-05T04:14:31.102ZDr Ashutosh Mishrahttps://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आशीष जी इस सुंदर ग़ज़ल पर आपको हार्दिक बधाई ..सादर </p>
<p>आशीष जी इस सुंदर ग़ज़ल पर आपको हार्दिक बधाई ..सादर </p> बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है आप ने .…tag:openbooks.ning.com,2013-12-05:5170231:Comment:4825882013-12-05T02:01:57.680ZNilesh Shevgaonkarhttps://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है आप ने .. बधाई </p>
<p>बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है आप ने .. बधाई </p>