Comments - माँ जैसी प्यारी है मौत (गीत) अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव - Open Books Online2024-03-29T06:40:29Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A481130&xn_auth=noआदरणीय जितेन्द्र भाई
आपकी टिप…tag:openbooks.ning.com,2014-03-22:5170231:Comment:5228622014-03-22T07:32:22.099Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय जितेन्द्र भाई</p>
<p>आपकी टिप्पणी पर मैं ध्यान नहीं दे पाया था, देर से ही सही रचना की हृदय से प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।</p>
<p>आदरणीय जितेन्द्र भाई</p>
<p>आपकी टिप्पणी पर मैं ध्यान नहीं दे पाया था, देर से ही सही रचना की हृदय से प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।</p> आदरणीय शिज्जु भाई
आपकी टिप्पण…tag:openbooks.ning.com,2014-03-22:5170231:Comment:5230352014-03-22T07:31:06.354Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p><span>आदरणीय शिज्जु भाई</span></p>
<p>आपकी टिप्पणी पर मैं ध्यान नहीं दे पाया था, देर से ही सही रचना की हृदय से प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।</p>
<p><span>आदरणीय शिज्जु भाई</span></p>
<p>आपकी टिप्पणी पर मैं ध्यान नहीं दे पाया था, देर से ही सही रचना की हृदय से प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।</p> विजिश भाई, हार्दिक धन्यवाद …tag:openbooks.ning.com,2014-01-03:5170231:Comment:4958592014-01-03T16:13:11.729Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>विजिश <span> भाई, </span><span>हार्दिक धन्यवाद </span><span>इस रचना को दिल से पसंद करने के लिए</span><span>॥</span></p>
<p>विजिश <span> भाई, </span><span>हार्दिक धन्यवाद </span><span>इस रचना को दिल से पसंद करने के लिए</span><span>॥</span></p> बहुत खूब आदरणीय अखिलेश जी। tag:openbooks.ning.com,2014-01-02:5170231:Comment:4956122014-01-02T09:22:32.507ZM Vijish kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/MVijishkumar
<p>बहुत खूब आदरणीय अखिलेश जी। </p>
<p>बहुत खूब आदरणीय अखिलेश जी। </p> सौरभ भाई, मृत्यु के प्रति हर…tag:openbooks.ning.com,2013-12-19:5170231:Comment:4890602013-12-19T08:16:35.782Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>सौरभ भाई, मृत्यु के प्रति हर किसी के मन में एक अज्ञात भय रहता है इसे ही दूर करने और कुछ अलग लिखने का प्रयास किया है। आपकी और सभी पाठकों की प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक है। हार्दिक धन्यवाद सौरभ भाई, आपकी बेबाक टिप्पणी और सुझावों का इंतजार हर समय हर किसी को रहता है ताकि आगे कुछ अच्छा लिखा जा सके॥</p>
<p>सौरभ भाई, मृत्यु के प्रति हर किसी के मन में एक अज्ञात भय रहता है इसे ही दूर करने और कुछ अलग लिखने का प्रयास किया है। आपकी और सभी पाठकों की प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक है। हार्दिक धन्यवाद सौरभ भाई, आपकी बेबाक टिप्पणी और सुझावों का इंतजार हर समय हर किसी को रहता है ताकि आगे कुछ अच्छा लिखा जा सके॥</p> एक सनातन सत्य को आपने अपने ढं…tag:openbooks.ning.com,2013-12-07:5170231:Comment:4842342013-12-07T20:21:25.757ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>एक सनातन सत्य को आपने अपने ढंग से गुनगुनाने का प्रयास किया है. आदरणीय अखिलेशजी. आपने माँ का स्वरूप दे कर अंतिम सत्य को सरस बना डाला है. रचना के कथ्य के प्रति बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>एक सनातन सत्य को आपने अपने ढंग से गुनगुनाने का प्रयास किया है. आदरणीय अखिलेशजी. आपने माँ का स्वरूप दे कर अंतिम सत्य को सरस बना डाला है. रचना के कथ्य के प्रति बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> आपकी रचना पूर्णत: नकारात्मक व…tag:openbooks.ning.com,2013-12-06:5170231:Comment:4832692013-12-06T04:18:08.431Zजितेन्द्र पस्टारियाhttps://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>आपकी रचना पूर्णत: नकारात्मक विचार को सकारात्मकता की ओर प्रवाहित करती है,एक अटूट सत्य ली हुयी सुंदर भाव समाहित पंक्तियों पर बधाई स्वीकारें आदरणीय अखिलेश जी</p>
<p>आपकी रचना पूर्णत: नकारात्मक विचार को सकारात्मकता की ओर प्रवाहित करती है,एक अटूट सत्य ली हुयी सुंदर भाव समाहित पंक्तियों पर बधाई स्वीकारें आदरणीय अखिलेश जी</p> ऐसा नहीं है अखिलेशजी ,इसका पै…tag:openbooks.ning.com,2013-12-04:5170231:Comment:4821662013-12-04T05:07:30.339Zविजय मिश्रhttps://openbooks.ning.com/profile/37jicf27kggmy
ऐसा नहीं है अखिलेशजी ,इसका पैटर्न / बुनावट किसी संत -सूफी के फलसफे जैसी है . कहाँ ज्यादा कहा हमने ?
ऐसा नहीं है अखिलेशजी ,इसका पैटर्न / बुनावट किसी संत -सूफी के फलसफे जैसी है . कहाँ ज्यादा कहा हमने ? वाह आदरणीय अखिलेश सर मैं निशब…tag:openbooks.ning.com,2013-12-03:5170231:Comment:4824252013-12-03T18:24:56.029Zशिज्जु "शकूर"https://openbooks.ning.com/profile/ShijjuS
<p>वाह आदरणीय अखिलेश सर मैं निशब्द हो गया हूँ, हम चाहें तो नकारात्मक चीज़ों से भी सकारात्मक कुछ सीख सकते हैं बधाई आपको</p>
<p>वाह आदरणीय अखिलेश सर मैं निशब्द हो गया हूँ, हम चाहें तो नकारात्मक चीज़ों से भी सकारात्मक कुछ सीख सकते हैं बधाई आपको</p> इस रचना को पसंद करने के लिए…tag:openbooks.ning.com,2013-12-03:5170231:Comment:4824072013-12-03T16:56:31.697Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p><span> </span><span>इस रचना को पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आ. गीतिकाजी </span><span>॥</span></p>
<p><span> </span><span>इस रचना को पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आ. गीतिकाजी </span><span>॥</span></p>