Comments - जान जाओगे ... - Open Books Online2024-03-29T08:46:31Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A474001&xn_auth=noसही अर्थ और भाव से भरी इस रच…tag:openbooks.ning.com,2013-11-21:5170231:Comment:4753262013-11-21T16:10:45.656Zडॉ. अनुराग सैनीhttps://openbooks.ning.com/profile/dranuragsaini
<p>सही अर्थ और भाव से भरी इस रचना पर आपको सादर बधाई </p>
<p>सही अर्थ और भाव से भरी इस रचना पर आपको सादर बधाई </p> आ0 गोपाल नारायण सर.... उत्साह…tag:openbooks.ning.com,2013-11-21:5170231:Comment:4751532013-11-21T14:41:30.662ZAmod Kumar Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmodKumarSrivastava
<p>आ0 गोपाल नारायण सर.... उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद अपना आशीर्वचन ऐसे ही बनाए रखें... मैंने गौर करा आप जो कह रहे हैं वो बिलकुल सत्य है .... मे कोशिश करूंगा... धन्यवाद ... सादर </p>
<p>आ0 गोपाल नारायण सर.... उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद अपना आशीर्वचन ऐसे ही बनाए रखें... मैंने गौर करा आप जो कह रहे हैं वो बिलकुल सत्य है .... मे कोशिश करूंगा... धन्यवाद ... सादर </p> आ0 अरुण शर्मा जी आपका धन्यवाद…tag:openbooks.ning.com,2013-11-21:5170231:Comment:4751522013-11-21T14:39:06.232ZAmod Kumar Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmodKumarSrivastava
<p>आ0 अरुण शर्मा जी आपका धन्यवाद ... मे आगे कोशिश करूंगा की आपको मेरी टूटी फूटी रचना पसंद आए .... बहुत बहुत आभार ... </p>
<p>आ0 अरुण शर्मा जी आपका धन्यवाद ... मे आगे कोशिश करूंगा की आपको मेरी टूटी फूटी रचना पसंद आए .... बहुत बहुत आभार ... </p> आ0 रमेश जी .... कम से कम मैं…tag:openbooks.ning.com,2013-11-21:5170231:Comment:4750542013-11-21T14:37:59.685ZAmod Kumar Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmodKumarSrivastava
<p>आ0 रमेश जी .... कम से कम मैं तो बहुत सीखता हूँ आप सभी की बातों को अवश्य ध्यान मे रखता हूँ... क्यूंकी लिखना मुझे अच्छा लगता है मगर कैसे लिखूँ ये नहीं जानता क्या विधा हो ये नहीं जानता .... जैसा भी लिखता हूँ बस लिख देता हूँ.... आप सभी की बातों और सीख को ध्यान मे रखते हुये अगर कुछ लिख पाउ तो आप सभी का आशीर्वाद ही होगा... <br/><br/>आपको बहुत बहुत धन्यवाद ... </p>
<p>आ0 रमेश जी .... कम से कम मैं तो बहुत सीखता हूँ आप सभी की बातों को अवश्य ध्यान मे रखता हूँ... क्यूंकी लिखना मुझे अच्छा लगता है मगर कैसे लिखूँ ये नहीं जानता क्या विधा हो ये नहीं जानता .... जैसा भी लिखता हूँ बस लिख देता हूँ.... आप सभी की बातों और सीख को ध्यान मे रखते हुये अगर कुछ लिख पाउ तो आप सभी का आशीर्वाद ही होगा... <br/><br/>आपको बहुत बहुत धन्यवाद ... </p> आ0 अन्नपूर्णा जी, आ0 शिजू जी,…tag:openbooks.ning.com,2013-11-21:5170231:Comment:4750522013-11-21T14:32:03.959ZAmod Kumar Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmodKumarSrivastava
<p>आ0 अन्नपूर्णा जी, आ0 शिजू जी, आ0 जितेंद्र जी, आ0 विजय जी आप सभी का बहुत बहुत आभार उत्साह बढ़ाने के लिए... </p>
<p>आ0 अन्नपूर्णा जी, आ0 शिजू जी, आ0 जितेंद्र जी, आ0 विजय जी आप सभी का बहुत बहुत आभार उत्साह बढ़ाने के लिए... </p> आदरणीय इस प्रस्तुति के लिये ब…tag:openbooks.ning.com,2013-11-21:5170231:Comment:4750502013-11-21T14:25:46.722Zरमेश कुमार चौहानhttps://openbooks.ning.com/profile/Rameshkumarchauhan
<p>आदरणीय इस प्रस्तुति के लिये बधाई । इस मंच के सम्मानीय गुरूजनो के सुझाव के अनुरूप अनवरत प्रयास हमे करते रहना चाहिये ।</p>
<p>आदरणीय इस प्रस्तुति के लिये बधाई । इस मंच के सम्मानीय गुरूजनो के सुझाव के अनुरूप अनवरत प्रयास हमे करते रहना चाहिये ।</p> बहुत जागृत रचना ,बधाई अमोदजीtag:openbooks.ning.com,2013-11-21:5170231:Comment:4752242013-11-21T12:53:16.144Zविजय मिश्रhttps://openbooks.ning.com/profile/37jicf27kggmy
बहुत जागृत रचना ,बधाई अमोदजी
बहुत जागृत रचना ,बधाई अमोदजी आदरणीय प्रयास अच्छा है मेरे म…tag:openbooks.ning.com,2013-11-21:5170231:Comment:4749772013-11-21T06:17:18.828Zअरुन 'अनन्त'https://openbooks.ning.com/profile/ArunSharma
<p>आदरणीय प्रयास अच्छा है मेरे मन का पाठक संतुष्ट नहीं हो सका</p>
<p>आदरणीय प्रयास अच्छा है मेरे मन का पाठक संतुष्ट नहीं हो सका</p> गरीबी में जीवन की वास्तविकता…tag:openbooks.ning.com,2013-11-21:5170231:Comment:4749642013-11-21T04:24:59.830Zजितेन्द्र पस्टारियाhttps://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>गरीबी में जीवन की वास्तविकता को स्पष्ट करती हुयी रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय आमोद जी</p>
<p>गरीबी में जीवन की वास्तविकता को स्पष्ट करती हुयी रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय आमोद जी</p> भूख दुख दर्द और गरीबी का अच्…tag:openbooks.ning.com,2013-11-20:5170231:Comment:4747612013-11-20T15:25:08.593Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>भूख दुख दर्द और गरीबी का अच्छा चित्रण है i आमोद जी थोडा लय बेहतर होती तो मजा आ जाता i</p>
<p>फिर भी आपकी कोशिश अच्छी है i हमें आपसे और अच्छे की उम्मीद है i आप कर सकते है i</p>
<p>भूख दुख दर्द और गरीबी का अच्छा चित्रण है i आमोद जी थोडा लय बेहतर होती तो मजा आ जाता i</p>
<p>फिर भी आपकी कोशिश अच्छी है i हमें आपसे और अच्छे की उम्मीद है i आप कर सकते है i</p>