Comments - लघु कथा - मजदूर - Open Books Online2024-03-19T10:30:49Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A453902&xn_auth=noमंच पे खड़े हो कर एकता के नारे…tag:openbooks.ning.com,2013-10-17:5170231:Comment:4568092013-10-17T15:24:29.030ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>मंच पे खड़े हो कर एकता के नारे लगाना , लुभावने भाषण देना एक बात है और कथ्य को मन से महसूस कर कथ्यानुरूप आचरण भी होना बिलकुल ही अलहदी बात!</p>
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<p>बहुत ही सुगठित और कम शब्दों में स्पष्ट सन्देश देती सार्थक लघुकथा </p>
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<p>सादर बधाई आ० वीनस जी </p>
<p>मंच पे खड़े हो कर एकता के नारे लगाना , लुभावने भाषण देना एक बात है और कथ्य को मन से महसूस कर कथ्यानुरूप आचरण भी होना बिलकुल ही अलहदी बात!</p>
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<p>बहुत ही सुगठित और कम शब्दों में स्पष्ट सन्देश देती सार्थक लघुकथा </p>
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<p>सादर बधाई आ० वीनस जी </p> वीनस भाई, इस लघुकथा के माध्यम…tag:openbooks.ning.com,2013-10-17:5170231:Comment:4566112013-10-17T12:47:30.826ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>वीनस भाई, इस लघुकथा के माध्यम से अत्यंत शाब्दिक और परले दर्ज़े के स्वार्थी दलालों की पूरी कलई खोली गयी है जो ’<em>हम मज़दूर हैं..</em>’ की मुट्ठी-भींचीं चीखों की ओट में असली खेल खेलते हुए राजनीति कर रहे हैं. उन्हें अपनी संज्ञा में <strong>मज़दूर </strong>शब्द तो मांगता है, लेकिन <strong>मज़दूर का कर्म</strong> और <strong>मज़दूर का जीवन</strong> नहीं. <br></br><br></br>बहुत ही सार्थक प्रस्तुति हुई है. आपकी कम ही लघुकथाएँ हमने देखी हैं. लेकिन जितनी देखी हैं वे सामान्य स्तर से बहुत ऊँची हैं. और उनके लिहाज़…</p>
<p>वीनस भाई, इस लघुकथा के माध्यम से अत्यंत शाब्दिक और परले दर्ज़े के स्वार्थी दलालों की पूरी कलई खोली गयी है जो ’<em>हम मज़दूर हैं..</em>’ की मुट्ठी-भींचीं चीखों की ओट में असली खेल खेलते हुए राजनीति कर रहे हैं. उन्हें अपनी संज्ञा में <strong>मज़दूर </strong>शब्द तो मांगता है, लेकिन <strong>मज़दूर का कर्म</strong> और <strong>मज़दूर का जीवन</strong> नहीं. <br/><br/>बहुत ही सार्थक प्रस्तुति हुई है. आपकी कम ही लघुकथाएँ हमने देखी हैं. लेकिन जितनी देखी हैं वे सामान्य स्तर से बहुत ऊँची हैं. और उनके लिहाज़ और नज़रिये का विस्तार अवश्य ही बड़ा है. <br/>दिल से बधाई स्वीकारें <br/><br/></p> हा हा हा ......औपचारिकता में…tag:openbooks.ning.com,2013-10-15:5170231:Comment:4551992013-10-15T08:39:16.365Zबृजेश नीरजhttps://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>हा हा हा ......औपचारिकता में कह दी गयी बातें कहाँ याद रहती हैं!</p>
<p>बहुत सुन्दर कटाक्ष! आपको हार्दिक बधाई!</p>
<p>सादर!</p>
<p>हा हा हा ......औपचारिकता में कह दी गयी बातें कहाँ याद रहती हैं!</p>
<p>बहुत सुन्दर कटाक्ष! आपको हार्दिक बधाई!</p>
<p>सादर!</p> वाह वाह वीनस भाई.... सचमुच इस…tag:openbooks.ning.com,2013-10-14:5170231:Comment:4551322013-10-14T23:28:40.025ZSushil.Joshihttps://openbooks.ning.com/profile/SushilJoshi
<p>वाह वाह वीनस भाई.... सचमुच इस लघु कथा ने बता दिया कि ज़्यादा लिखना मायने नहीं रखता..... वरन् मायने रखता है तो केवल वह बात, भाव या प्रहार जो कम शब्दों के बावजूद पूर्णत: पाठक या श्रोता के मन तक पहुँच जाए एवं उसे झकझोर कर रख दे..... इस सुंदर लघु कथा के लिए बधाई स्वीकारें.....</p>
<p>वाह वाह वीनस भाई.... सचमुच इस लघु कथा ने बता दिया कि ज़्यादा लिखना मायने नहीं रखता..... वरन् मायने रखता है तो केवल वह बात, भाव या प्रहार जो कम शब्दों के बावजूद पूर्णत: पाठक या श्रोता के मन तक पहुँच जाए एवं उसे झकझोर कर रख दे..... इस सुंदर लघु कथा के लिए बधाई स्वीकारें.....</p> मालिक गाली का प्रयोगकर रौब ज…tag:openbooks.ning.com,2013-10-14:5170231:Comment:4551192013-10-14T16:58:06.392Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
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<p>मालिक गाली का प्रयोगकर रौब जमा रहा था, मजदूर ने सुंदर शब्द से उसकी औकात बता दी । बधाई वीनस भाई । </p>
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<p>मालिक गाली का प्रयोगकर रौब जमा रहा था, मजदूर ने सुंदर शब्द से उसकी औकात बता दी । बधाई वीनस भाई । </p> वाह बहुत ही बढ़िया ... हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2013-10-14:5170231:Comment:4551112013-10-14T16:34:09.627ZMAHIMA SHREEhttps://openbooks.ning.com/profile/MAHIMASHREE
<p>वाह बहुत ही बढ़िया ... हार्दिक बधाई आपको</p>
<p>वाह बहुत ही बढ़िया ... हार्दिक बधाई आपको</p> बहुत संक्षेप में कटाक्ष कह गए…tag:openbooks.ning.com,2013-10-14:5170231:Comment:4545252013-10-14T02:45:41.114ZSarita Bhatiahttps://openbooks.ning.com/profile/SaritaBhatia
<p>बहुत संक्षेप में कटाक्ष कह गए ,बधाई </p>
<p>बहुत संक्षेप में कटाक्ष कह गए ,बधाई </p> बहुत बढ़िया तरीके से आपने दोगल…tag:openbooks.ning.com,2013-10-14:5170231:Comment:4545202013-10-14T01:28:55.685Zvandanahttps://openbooks.ning.com/profile/vandana956
<p>बहुत बढ़िया तरीके से आपने दोगलेपन पर कटाक्ष किया है आदरणीय सर </p>
<p>बहुत बढ़िया तरीके से आपने दोगलेपन पर कटाक्ष किया है आदरणीय सर </p> आप सभी का हार्दिक आभारी हूँ म…tag:openbooks.ning.com,2013-10-13:5170231:Comment:4546092013-10-13T19:32:11.558Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>आप सभी का हार्दिक आभारी हूँ <br/><br/>मित्रों<br/>कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने पहली बार मेरी कोई लघुकथा पढ़ी है सभी से निवेदन है कि मैंने कुछ लघुकथाएं पहले भी ओबीओ पर पोस्ट की है, समय मिले तो मेरी पुरानी पोस्ट पर आईयेगा ...<br/>सादर</p>
<p>आप सभी का हार्दिक आभारी हूँ <br/><br/>मित्रों<br/>कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने पहली बार मेरी कोई लघुकथा पढ़ी है सभी से निवेदन है कि मैंने कुछ लघुकथाएं पहले भी ओबीओ पर पोस्ट की है, समय मिले तो मेरी पुरानी पोस्ट पर आईयेगा ...<br/>सादर</p> बहुत कम शब्दों में अर्थपूर्ण…tag:openbooks.ning.com,2013-10-13:5170231:Comment:4540062013-10-13T16:58:58.330Zकल्पना रामानीhttps://openbooks.ning.com/profile/0qbqxqnenfmpi
<p>बहुत कम शब्दों में अर्थपूर्ण कथन...अति सुंदर! लघुकथाएँ वैसे भी बहुत भाती हैं, पर कसी हुई शैली की बात ही और होती है।</p>
<p>बहुत बहुत बधाई आपको वीनस जी</p>
<p>बहुत कम शब्दों में अर्थपूर्ण कथन...अति सुंदर! लघुकथाएँ वैसे भी बहुत भाती हैं, पर कसी हुई शैली की बात ही और होती है।</p>
<p>बहुत बहुत बधाई आपको वीनस जी</p>