Comments - लघुकथा : बहन जी (गणेश जी बागी) - Open Books Online2024-03-28T12:08:25Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A445034&xn_auth=noएक सच को दर्शाती है आपकी लघुक…tag:openbooks.ning.com,2013-10-04:5170231:Comment:4486402013-10-04T07:01:37.114ZKiran Aryahttps://openbooks.ning.com/profile/KiranArya
<p>एक सच को दर्शाती है आपकी लघुकथा सर ........हमेशा की तरह ही मन को छू गई ......आज के समय में आधुनिक बनने के चक्कर में आज का युवा जिस तरह से पथ भ्रष्ट हो रहा है उसे बखूबी दर्शाया आपने एक सुंदर सन्देश देती लघु कथा ..........शुभं</p>
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<p>एक सच को दर्शाती है आपकी लघुकथा सर ........हमेशा की तरह ही मन को छू गई ......आज के समय में आधुनिक बनने के चक्कर में आज का युवा जिस तरह से पथ भ्रष्ट हो रहा है उसे बखूबी दर्शाया आपने एक सुंदर सन्देश देती लघु कथा ..........शुभं</p>
<p></p> कुछ दिन पूर्व मुख पृष्ठ पर शी…tag:openbooks.ning.com,2013-10-03:5170231:Comment:4474822013-10-03T14:57:14.733ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>कुछ दिन पूर्व मुख पृष्ठ पर शीर्षक देखा था पर मानस में एक ' बहन जी ' की इमेज थी ..सोचा उनपर ही होगी ..पर आज जब पढ़ा अचंभित हुआ श्री बागी जी ..हाल के समय में पढ़ी सबसे सशक्त लघु कथा है यह | ऐसी रचनाएँ इस लिए भी ज़रूरी हैं की इनको पढ़कर यदि एक भी दुरागतों से बच सके ..एक भी अपने को परिमार्जित कर सके तो रचना सफल है .. कल ही एक पत्रिका में चाणक्य नीति पढ़ी '' बिना स्वार्थ मित्रता नहीं होती '' बिलकुल सटीक बैठती बात है | आज शहरों की चकाचौंध इसकी कीमत वसूल रही है ..हम भरोसा और विश्वास खो रहे हैं…</p>
<p>कुछ दिन पूर्व मुख पृष्ठ पर शीर्षक देखा था पर मानस में एक ' बहन जी ' की इमेज थी ..सोचा उनपर ही होगी ..पर आज जब पढ़ा अचंभित हुआ श्री बागी जी ..हाल के समय में पढ़ी सबसे सशक्त लघु कथा है यह | ऐसी रचनाएँ इस लिए भी ज़रूरी हैं की इनको पढ़कर यदि एक भी दुरागतों से बच सके ..एक भी अपने को परिमार्जित कर सके तो रचना सफल है .. कल ही एक पत्रिका में चाणक्य नीति पढ़ी '' बिना स्वार्थ मित्रता नहीं होती '' बिलकुल सटीक बैठती बात है | आज शहरों की चकाचौंध इसकी कीमत वसूल रही है ..हम भरोसा और विश्वास खो रहे हैं ...प्रेम ''हार की जीत '' के अंत सा होता जा रहा है ! विचारों को प्रकाशित करती इस रचना के बहुत बहुत बधाई श्री बागी जी आपको !!</p>
<p></p> एक ऐसे समय की कहानी जब अनैतिक…tag:openbooks.ning.com,2013-10-03:5170231:Comment:4468712013-10-03T08:13:38.178ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>एक ऐसे समय की कहानी जब अनैतिकता की आँधियाँ चल रही हैं और हर अगले शख़्स की तर्जनी सामने की ओर तनी है. <br/><br/>शीर्षक का तंज़ छन् से लगा है. बधाई भाई गणेश जी.. <br/><br/></p>
<p>एक ऐसे समय की कहानी जब अनैतिकता की आँधियाँ चल रही हैं और हर अगले शख़्स की तर्जनी सामने की ओर तनी है. <br/><br/>शीर्षक का तंज़ छन् से लगा है. बधाई भाई गणेश जी.. <br/><br/></p> आदरणीय बागी जी सम सामयिक दशा…tag:openbooks.ning.com,2013-10-02:5170231:Comment:4464752013-10-02T19:02:47.441Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>आदरणीय बागी जी सम सामयिक दशा का चित्रण करती सटीक लघु कथा हेतु बधाई स्वीकारें । </p>
<p>आदरणीय बागी जी सम सामयिक दशा का चित्रण करती सटीक लघु कथा हेतु बधाई स्वीकारें । </p> समसामयिक चित्रण करती हुई यथार…tag:openbooks.ning.com,2013-10-02:5170231:Comment:4463382013-10-02T17:36:31.533ZVindu Babuhttps://openbooks.ning.com/profile/vandanatiwari
समसामयिक चित्रण करती हुई यथार्थ कहानी।<br />
पर आज के युवा न...चकाचौंध में उनका विवेक भी मरता जा रहा है।<br />
सादर
समसामयिक चित्रण करती हुई यथार्थ कहानी।<br />
पर आज के युवा न...चकाचौंध में उनका विवेक भी मरता जा रहा है।<br />
सादर बहुत बहुत आभार आदरणीय संजय भा…tag:openbooks.ning.com,2013-10-02:5170231:Comment:4462742013-10-02T15:35:11.165ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय संजय भाई जी, आपसे सराहना पाना मन मुग्ध करता है | </p>
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय संजय भाई जी, आपसे सराहना पाना मन मुग्ध करता है | </p> सराहना हेतु आभार आदरणीया महिम…tag:openbooks.ning.com,2013-10-02:5170231:Comment:4462732013-10-02T15:32:54.977ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>सराहना हेतु आभार आदरणीया महिमा श्री, दरअसल लेखक जो देखता है वो लिखता है |</p>
<p>सराहना हेतु आभार आदरणीया महिमा श्री, दरअसल लेखक जो देखता है वो लिखता है |</p> आदरणीय माथुर साहब, आपकी उत्सा…tag:openbooks.ning.com,2013-10-02:5170231:Comment:4460932013-10-02T15:03:01.256ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय माथुर साहब, आपकी उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु मैं आभारी हूँ, स्नेह यूँ ही बना रहे सादर |</p>
<p>आदरणीय माथुर साहब, आपकी उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु मैं आभारी हूँ, स्नेह यूँ ही बना रहे सादर |</p> वीनस भाई, आपकी दूरदर्शिता कमा…tag:openbooks.ning.com,2013-10-02:5170231:Comment:4461732013-10-02T15:01:14.951ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>वीनस भाई, आपकी दूरदर्शिता कमाल की है, नामकरण मे मैने उल्लेखित बातों का ध्यान रखा था, आपकी सराहना उत्साहवर्धन मे सहायक है, बहुत बहुत आभार | </p>
<p>वीनस भाई, आपकी दूरदर्शिता कमाल की है, नामकरण मे मैने उल्लेखित बातों का ध्यान रखा था, आपकी सराहना उत्साहवर्धन मे सहायक है, बहुत बहुत आभार | </p> सराहना हेतु बहुत बहुत आभार प्…tag:openbooks.ning.com,2013-10-02:5170231:Comment:4460022013-10-02T14:58:11.798ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>सराहना हेतु बहुत बहुत आभार प्रिय राम भाई | </p>
<p>सराहना हेतु बहुत बहुत आभार प्रिय राम भाई | </p>