Comments - त्योहारों पर कुछ कहना है - Open Books Online2024-03-29T10:11:07Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A430684&xn_auth=noआदरणीय अखिलेश जी सभी त्योहारो…tag:openbooks.ning.com,2013-09-10:5170231:Comment:4328972013-09-10T16:16:53.777Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>आदरणीय अखिलेश जी सभी त्योहारो पर बढ़िया भावभिव्यक्ति , आपको बहुत बधाई ।</p>
<p>आदरणीय अखिलेश जी सभी त्योहारो पर बढ़िया भावभिव्यक्ति , आपको बहुत बधाई ।</p> विघ्न डालें उनके कार्य में, ज…tag:openbooks.ning.com,2013-09-10:5170231:Comment:4321762013-09-10T07:15:55.422Zvijayashreehttps://openbooks.ning.com/profile/vijayashree
<p>विघ्न डालें उनके कार्य में, जो हैं देश के भ्रष्टाचारी ।</p>
<p>लेकिन उन्हें निराश न करना, द्वार जो आए सदाचारी॥.......बहुत खूब </p>
<p></p>
<p>खेल नहीं है माँ की पूजा, विधि विधान का ध्यान रखें।</p>
<p>माँ की कृपा मिल जाएगी, मन हो पवित्र त्योहारों में॥ ......पवित्र भावनाओं से की गई पूजा में ही सार्थकता है </p>
<p></p>
<p>धनवान बनाने का मैया , अंदाज बड़ा ही निराला है।</p>
<p>देश में जितना धन सफेद है, उससे ज्यादा काला है॥ ......सत्य कहा </p>
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<p>अति सुंदर…</p>
<p>विघ्न डालें उनके कार्य में, जो हैं देश के भ्रष्टाचारी ।</p>
<p>लेकिन उन्हें निराश न करना, द्वार जो आए सदाचारी॥.......बहुत खूब </p>
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<p>खेल नहीं है माँ की पूजा, विधि विधान का ध्यान रखें।</p>
<p>माँ की कृपा मिल जाएगी, मन हो पवित्र त्योहारों में॥ ......पवित्र भावनाओं से की गई पूजा में ही सार्थकता है </p>
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<p>धनवान बनाने का मैया , अंदाज बड़ा ही निराला है।</p>
<p>देश में जितना धन सफेद है, उससे ज्यादा काला है॥ ......सत्य कहा </p>
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<p>अति सुंदर प्रार्थनाएँ </p>
<p>बधाई स्वीकारें अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी </p> बिन्दू सभी सजग करने वाले ,विच…tag:openbooks.ning.com,2013-09-10:5170231:Comment:4323072013-09-10T06:23:50.365Zविजय मिश्रhttps://openbooks.ning.com/profile/37jicf27kggmy
बिन्दू सभी सजग करने वाले ,विचारनीय और उत्सवों पर सुधरने का आह्वान भी . बहुत सुंदर रचना .बधाई अखिलेशजी .
बिन्दू सभी सजग करने वाले ,विचारनीय और उत्सवों पर सुधरने का आह्वान भी . बहुत सुंदर रचना .बधाई अखिलेशजी . आदरणीय बड़े भाई , बहुत सार्थक…tag:openbooks.ning.com,2013-09-09:5170231:Comment:4309822013-09-09T04:16:51.472Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
आदरणीय बड़े भाई , बहुत सार्थक और सुन्दर प्रार्थना !!! शायद यह मुक्तक है !!बहुत बहुत बधाई !!
आदरणीय बड़े भाई , बहुत सार्थक और सुन्दर प्रार्थना !!! शायद यह मुक्तक है !!बहुत बहुत बधाई !!