Comments - लघु कथा - लिहाज (शुभ्रा शर्मा 'शुभ ') - Open Books Online2024-03-29T14:23:53Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A428797&xn_auth=noआदरणीय शुभ्रा जी
जब गुरु जी…tag:openbooks.ning.com,2013-09-16:5170231:Comment:4364202013-09-16T12:51:31.589ZShubhranshu Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/ShubhranshuPandey
<p>आदरणीय शुभ्रा जी </p>
<p>जब गुरु जी ही ऎसी दूकानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं..... तो चेला तो चीनी होता ही है...गुरु जी की झिझक मिटा कर चला गया.</p>
<p>गुरु को शिक्षा के साथ साथ आचार, विचार, व्यवहार,संस्कार सभी का संप्रेषण उचित ढंग से करना चाहिये..</p>
<p>सादर.</p>
<p></p>
<p>आदरणीय शुभ्रा जी </p>
<p>जब गुरु जी ही ऎसी दूकानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं..... तो चेला तो चीनी होता ही है...गुरु जी की झिझक मिटा कर चला गया.</p>
<p>गुरु को शिक्षा के साथ साथ आचार, विचार, व्यवहार,संस्कार सभी का संप्रेषण उचित ढंग से करना चाहिये..</p>
<p>सादर.</p>
<p></p> यही यथार्थ है कलियुग का यह सब…tag:openbooks.ning.com,2013-09-06:5170231:Comment:4297312013-09-06T08:24:15.401Zअरुन 'अनन्त'https://openbooks.ning.com/profile/ArunSharma
<p>यही यथार्थ है कलियुग का यह सबसे बड़ा प्रमाण है आदरणीया बिलकुल सटीक लघुकथा है बहुत बहुत बधाई</p>
<p>यही यथार्थ है कलियुग का यह सबसे बड़ा प्रमाण है आदरणीया बिलकुल सटीक लघुकथा है बहुत बहुत बधाई</p> बहुत सुन्दर लघुकथा .. हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2013-09-05:5170231:Comment:4295592013-09-05T18:04:06.475ZMeena Pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>बहुत सुन्दर लघुकथा .. हार्दिक बधाई</p>
<p>बहुत सुन्दर लघुकथा .. हार्दिक बधाई</p> ऐसा ही होता है। अच्छी कथा! आप…tag:openbooks.ning.com,2013-09-05:5170231:Comment:4294222013-09-05T15:02:33.773Zबृजेश नीरजhttps://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>ऐसा ही होता है। अच्छी कथा! आपको हार्दिक बधाई!</p>
<p>ऐसा ही होता है। अच्छी कथा! आपको हार्दिक बधाई!</p> लिहाज, एक ऐसा संस्कार है, जिस…tag:openbooks.ning.com,2013-09-05:5170231:Comment:4295162013-09-05T14:58:18.818Zजितेन्द्र पस्टारियाhttps://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<div class="xg_user_generated"><p>लिहाज, एक ऐसा संस्कार है, जिसका अनुकरण हर उम्र ,चाहे बच्चे, युवा या बुजुर्ग हो अपने अंदर जीवित रखना चाहिए,</p>
<p>बहुत बढ़िया लघुकथा, बधाई आदरणीया शुभ्रा जी</p>
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<div class="xg_user_generated"><p>लिहाज, एक ऐसा संस्कार है, जिसका अनुकरण हर उम्र ,चाहे बच्चे, युवा या बुजुर्ग हो अपने अंदर जीवित रखना चाहिए,</p>
<p>बहुत बढ़िया लघुकथा, बधाई आदरणीया शुभ्रा जी</p>
</div> बहुत ही सटीक समस्या से अवगत क…tag:openbooks.ning.com,2013-09-05:5170231:Comment:4293082013-09-05T14:43:06.095Zram shiromani pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p>बहुत ही सटीक समस्या से अवगत कराया है आपने आदरणीया सुभ्रा जी ,साधुवाद</p>
<p>बहुत ही सटीक समस्या से अवगत कराया है आपने आदरणीया सुभ्रा जी ,साधुवाद</p> अच्छी लघु कथा , बधाई आपको आ0…tag:openbooks.ning.com,2013-09-05:5170231:Comment:4290822013-09-05T13:59:05.969Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>अच्छी लघु कथा , बधाई आपको आ0 शुभ्रा जी । </p>
<p>अच्छी लघु कथा , बधाई आपको आ0 शुभ्रा जी । </p> आदरणीया शुभ्रा जी , बहुत अच्छ…tag:openbooks.ning.com,2013-09-05:5170231:Comment:4290222013-09-05T08:09:16.820Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीया शुभ्रा जी , बहुत अच्छी लघुकथा , एक ऐसी समस्या को उजागर करती जिसे टी व्ही से संस्कार पाने वाले समस्या मानते ही नही , आधुनिकता की निशानी समझते है !! आपको बधाई !!</p>
<p>आदरणीया शुभ्रा जी , बहुत अच्छी लघुकथा , एक ऐसी समस्या को उजागर करती जिसे टी व्ही से संस्कार पाने वाले समस्या मानते ही नही , आधुनिकता की निशानी समझते है !! आपको बधाई !!</p>