Comments - चरित्रहीन (लघु कथा) - Open Books Online2024-03-29T00:10:18Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A427239&xn_auth=noभाव दिल को सम्बेद्नाओं से भर…tag:openbooks.ning.com,2013-09-04:5170231:Comment:4282722013-09-04T11:36:23.209ZDr Ashutosh Mishrahttps://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
भाव दिल को सम्बेद्नाओं से भर गए ..शिल्प के मामले में राज जी से इत्तेफाक रखता हूँ ..रचना अपने मकसद में कामयाब है ..सादर बधाई के साथ
भाव दिल को सम्बेद्नाओं से भर गए ..शिल्प के मामले में राज जी से इत्तेफाक रखता हूँ ..रचना अपने मकसद में कामयाब है ..सादर बधाई के साथ यह तो आये दिन की घटना है , आध…tag:openbooks.ning.com,2013-09-04:5170231:Comment:4283162013-09-04T08:00:34.765Zविजय मिश्रhttps://openbooks.ning.com/profile/37jicf27kggmy
यह तो आये दिन की घटना है , आधुनिक रहन-सहन के प्रभाव का प्रकोप है और ऐसे बच्चे के माता-पिता का जीवन और चिंतन स्तर तो यही होनी ही चाहिए .इसप्रकार का चारित्रिक निर्माण कोई अचानक या अप्रत्याशित नहीं होता ,यह पारिवारिक परिवेश में ही उपजता है ,पलता है और समय आने पर फूलता-फलता है .ज्वलन्त विषय और समाजिक पीड़ा को लेखनी दियी आपने .साधुवाद रौशनीजी .
यह तो आये दिन की घटना है , आधुनिक रहन-सहन के प्रभाव का प्रकोप है और ऐसे बच्चे के माता-पिता का जीवन और चिंतन स्तर तो यही होनी ही चाहिए .इसप्रकार का चारित्रिक निर्माण कोई अचानक या अप्रत्याशित नहीं होता ,यह पारिवारिक परिवेश में ही उपजता है ,पलता है और समय आने पर फूलता-फलता है .ज्वलन्त विषय और समाजिक पीड़ा को लेखनी दियी आपने .साधुवाद रौशनीजी . सच्चाई से रंगी इस लघु कथा के…tag:openbooks.ning.com,2013-09-04:5170231:Comment:4282472013-09-04T07:48:24.131Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>सच्चाई से रंगी इस लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।</p>
<p>समाज में परिवर्तन लाना और उसे शीघ्र लाना</p>
<p>हम सभी का दायित्व है, ....मेरा, मेरे पड़ोसी का, हर किसी का।</p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p>
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<p>सच्चाई से रंगी इस लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।</p>
<p>समाज में परिवर्तन लाना और उसे शीघ्र लाना</p>
<p>हम सभी का दायित्व है, ....मेरा, मेरे पड़ोसी का, हर किसी का।</p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p> सम सामयिक और विचारपूर्ण रचना …tag:openbooks.ning.com,2013-09-04:5170231:Comment:4278412013-09-04T01:13:38.315Zvandanahttps://openbooks.ning.com/profile/vandana956
<p>सम सामयिक और विचारपूर्ण रचना <span>आदरणीया रोशनी जी,</span></p>
<p>सम सामयिक और विचारपूर्ण रचना <span>आदरणीया रोशनी जी,</span></p> आदरणीया रोशनी जी, मैं इतना ही…tag:openbooks.ning.com,2013-09-03:5170231:Comment:4275872013-09-03T17:05:50.559Zराज़ नवादवीhttps://openbooks.ning.com/profile/RazNawadwi
<p>आदरणीया रोशनी जी, मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि आजकल की रेप की घटनाओं की वास्तविकता से कथानक का तालमेल बिठाना ज़रूरी है. आजकल के रेप में जो हिंसा और राक्षसत्व है वो लडकी और लड़के के अभिभावकों के बीच दर्शाए गए संवाद में व्यक्त नहीं होते; ये किशोर वय में की गई अबोध भूल के लिए ज़्यादा समीचीन लगते हैं. फिर भी, आपके प्रयास के लिए बधाई! </p>
<p>आदरणीया रोशनी जी, मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि आजकल की रेप की घटनाओं की वास्तविकता से कथानक का तालमेल बिठाना ज़रूरी है. आजकल के रेप में जो हिंसा और राक्षसत्व है वो लडकी और लड़के के अभिभावकों के बीच दर्शाए गए संवाद में व्यक्त नहीं होते; ये किशोर वय में की गई अबोध भूल के लिए ज़्यादा समीचीन लगते हैं. फिर भी, आपके प्रयास के लिए बधाई! </p> आज की सच्चाई को बयान करती हुई…tag:openbooks.ning.com,2013-09-03:5170231:Comment:4276532013-09-03T16:55:21.253ZMeena Pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>आज की सच्चाई को बयान करती हुई बहुत मर्मस्पर्शी लघुकथा ...हार्दिक बधाई</p>
<p>आज की सच्चाई को बयान करती हुई बहुत मर्मस्पर्शी लघुकथा ...हार्दिक बधाई</p> आपकी रचना यह दर्शाती है कहीं…tag:openbooks.ning.com,2013-09-03:5170231:Comment:4274932013-09-03T16:24:33.860Zram shiromani pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p><br/>आपकी रचना यह दर्शाती है कहीं न कहीं वो सब ज़िम्मेदार है जो अपने बच्चों की परवरिश को लेकर गंभीर नहीं रहते या ध्यान नहीं देते //बहुत सही कहा अपने हार्दिक बधाई आपको //सादर</p>
<p><br/>आपकी रचना यह दर्शाती है कहीं न कहीं वो सब ज़िम्मेदार है जो अपने बच्चों की परवरिश को लेकर गंभीर नहीं रहते या ध्यान नहीं देते //बहुत सही कहा अपने हार्दिक बधाई आपको //सादर</p>
जिस पर भी…tag:openbooks.ning.com,2013-09-03:5170231:Comment:4275512013-09-03T15:22:02.057Zmrs manjari pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/mrsmanjaripandey
<p> </p>
<p> जिस पर भी पाशविक प्रवृत्ति हावी हो जा रही है वो ऐसी घटनाओं को अन्जाम दे रहा है. कोई वय, समय नही. इसीलिये आज</p>
<p> समाज की हर गतिविधियोन मे नतिकता की आवश्यकता है ! सामयिक रचना के लिये साधुवाद !</p>
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<p> जिस पर भी पाशविक प्रवृत्ति हावी हो जा रही है वो ऐसी घटनाओं को अन्जाम दे रहा है. कोई वय, समय नही. इसीलिये आज</p>
<p> समाज की हर गतिविधियोन मे नतिकता की आवश्यकता है ! सामयिक रचना के लिये साधुवाद !</p> आज की जलती चुभती सच्चाई को प्…tag:openbooks.ning.com,2013-09-03:5170231:Comment:4277092013-09-03T14:48:35.400ZAVINASH S BAGDEhttps://openbooks.ning.com/profile/AVINASHSBAGDE
<p><br/><span>आज की जलती चुभती सच्चाई को प्रस्तुत करती मर्मस्पर्शी लघुकथा .</span></p>
<p><span>sach me <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376" class="fn url">Dr.Prachi Singh</a><span> mam.</span></span></p>
<p><br/><span>आज की जलती चुभती सच्चाई को प्रस्तुत करती मर्मस्पर्शी लघुकथा .</span></p>
<p><span>sach me <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376" class="fn url">Dr.Prachi Singh</a><span> mam.</span></span></p> waaaaaaaaaaaaaaa!
har ma-bap…tag:openbooks.ning.com,2013-09-03:5170231:Comment:4277072013-09-03T14:47:45.129ZAVINASH S BAGDEhttps://openbooks.ning.com/profile/AVINASHSBAGDE
<p>waaaaaaaaaaaaaaa!</p>
<p>har ma-bap ko apani santan hamesha hi nirdosh nazar aati hai</p>
<p>satik</p>
<p>jhakjhor gai laghu katha <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/RoshniDhir">Roshni Dhir</a><a class="nolink"> mam...</a></p>
<p></p>
<p>waaaaaaaaaaaaaaa!</p>
<p>har ma-bap ko apani santan hamesha hi nirdosh nazar aati hai</p>
<p>satik</p>
<p>jhakjhor gai laghu katha <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/RoshniDhir">Roshni Dhir</a><a class="nolink"> mam...</a></p>
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