Comments - लघुकथा - अनुष्ठान (शुभ्रा शर्मा 'शुभ ') - Open Books Online2024-03-29T08:47:44Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A426394&xn_auth=no आदरणीय अभिनव जी , कथा के…tag:openbooks.ning.com,2013-09-06:5170231:Comment:4296552013-09-06T04:07:08.737Zshubhra sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/shubhrasharma
<p> आदरणीय अभिनव जी , कथा के मर्म तक पहुँच उत्साह्वार्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद </p>
<p> आदरणीय अभिनव जी , कथा के मर्म तक पहुँच उत्साह्वार्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद </p> आदरणीया वंदना जी , कथा को…tag:openbooks.ning.com,2013-09-06:5170231:Comment:4296542013-09-06T04:05:16.230Zshubhra sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/shubhrasharma
<p> आदरणीया वंदना जी , कथा को मान हेतु हार्दिक धन्यवाद </p>
<p> आदरणीया वंदना जी , कथा को मान हेतु हार्दिक धन्यवाद </p> आदरणीय जितेन्द्र जी , टिपण्…tag:openbooks.ning.com,2013-09-06:5170231:Comment:4293862013-09-06T04:02:28.161Zshubhra sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/shubhrasharma
<p>आदरणीय जितेन्द्र जी , टिपण्णी हेतु हार्दिक धन्यवाद</p>
<p>आदरणीय जितेन्द्र जी , टिपण्णी हेतु हार्दिक धन्यवाद</p> आदरणीय बागी जी , टिपण्णी हेत…tag:openbooks.ning.com,2013-09-06:5170231:Comment:4296532013-09-06T04:00:40.452Zshubhra sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/shubhrasharma
<p>आदरणीय बागी जी , टिपण्णी हेतु आपको हार्दिक धन्यवाद </p>
<p>आदरणीय बागी जी , टिपण्णी हेतु आपको हार्दिक धन्यवाद </p> आदरणीय राजेश कुमार झा जी ,नि…tag:openbooks.ning.com,2013-09-06:5170231:Comment:4296522013-09-06T03:57:47.064Zshubhra sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/shubhrasharma
<p>आदरणीय राजेश कुमार झा जी ,निराश और हताश लोग ही ढोंगी बाबाओं के जाल में ज्यादा फसते है , टिपण्णी हेतु आपको हार्दिक धन्यवाद </p>
<p>आदरणीय राजेश कुमार झा जी ,निराश और हताश लोग ही ढोंगी बाबाओं के जाल में ज्यादा फसते है , टिपण्णी हेतु आपको हार्दिक धन्यवाद </p> आदरणीय राजेश कुमारी जी , अपने…tag:openbooks.ning.com,2013-09-04:5170231:Comment:4278932013-09-04T06:13:39.867Zshubhra sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/shubhrasharma
<p>आदरणीय राजेश कुमारी जी , अपने विचारों से उत्साहवर्धन हेतु धन्यवाद </p>
<p>आदरणीय राजेश कुमारी जी , अपने विचारों से उत्साहवर्धन हेतु धन्यवाद </p> आदरणीय अन्न्पूर्णा जी , टिपण…tag:openbooks.ning.com,2013-09-04:5170231:Comment:4280252013-09-04T06:10:24.042Zshubhra sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/shubhrasharma
<p>आदरणीय अन्न्पूर्णा जी , टिपण्णी हेतु धन्यवाद </p>
<p>आदरणीय अन्न्पूर्णा जी , टिपण्णी हेतु धन्यवाद </p> इस सामयिक लघु कथा के माध्यम स…tag:openbooks.ning.com,2013-09-03:5170231:Comment:4274732013-09-03T14:28:59.775Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttps://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>इस सामयिक लघु कथा के माध्यम से पाखण्ड को उजागर करने केलिय बधाई </p>
<p>इस सामयिक लघु कथा के माध्यम से पाखण्ड को उजागर करने केलिय बधाई </p> सुन्दर, सामयिक लघुकथा .. हार्…tag:openbooks.ning.com,2013-09-03:5170231:Comment:4272842013-09-03T13:19:53.836ZMeena Pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>सुन्दर, सामयिक लघुकथा .. हार्दिक बधाई</p>
<p>सुन्दर, सामयिक लघुकथा .. हार्दिक बधाई</p> आदरणीया शुभ्रा जी, ठहरते, रुक…tag:openbooks.ning.com,2013-09-03:5170231:Comment:4272772013-09-03T13:09:56.995ZShubhranshu Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/ShubhranshuPandey
<p>आदरणीया शुभ्रा जी, ठहरते, रुकने, सम्भलते आपने सभी कुछ कह दिया है. कथा एक पूर्व आभास के साथ समाप्त हो रही है. यहाँ एक बोल्ड स्टेप चित्रा और उसकी माँ को मिल के उठाना चाहिये था. </p>
<p>सादर. </p>
<p>आदरणीया शुभ्रा जी, ठहरते, रुकने, सम्भलते आपने सभी कुछ कह दिया है. कथा एक पूर्व आभास के साथ समाप्त हो रही है. यहाँ एक बोल्ड स्टेप चित्रा और उसकी माँ को मिल के उठाना चाहिये था. </p>
<p>सादर. </p>