Comments - राम रम में घोलकर वो /लिख रहे चौपाईयां - Open Books Online2024-03-28T21:25:26Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A423737&xn_auth=noआदरणीय वीनस जी, आपको बिम्ब स…tag:openbooks.ning.com,2013-09-02:5170231:Comment:4265982013-09-02T13:22:50.653Zराजेश 'मृदु'https://openbooks.ning.com/profile/RajeshKumarJha
<p>आदरणीय वीनस जी, आपको बिम्ब संयोजन भाया यह एक आश्वस्ति दे गई, डर था कि इसे स्वीकृति ना मिले तो पूरी रचना निष्प्राण हो जाएगी । बहुत आभार आपका, सादर</p>
<p>आदरणीय वीनस जी, आपको बिम्ब संयोजन भाया यह एक आश्वस्ति दे गई, डर था कि इसे स्वीकृति ना मिले तो पूरी रचना निष्प्राण हो जाएगी । बहुत आभार आपका, सादर</p> आदरणीय सौरभ जी, आपकी प्रतिक्र…tag:openbooks.ning.com,2013-09-02:5170231:Comment:4268252013-09-02T13:21:10.072Zराजेश 'मृदु'https://openbooks.ning.com/profile/RajeshKumarJha
<p>आदरणीय सौरभ जी, आपकी प्रतिक्रिया से आश्वस्ति मिली । अभिनव बिम्बों की स्वीकृति को लेकर संशय में था पर आपकी स्वीकृति से अब राहत महसूस कर रहा हूं, सादर</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी, आपकी प्रतिक्रिया से आश्वस्ति मिली । अभिनव बिम्बों की स्वीकृति को लेकर संशय में था पर आपकी स्वीकृति से अब राहत महसूस कर रहा हूं, सादर</p> आदरणीय अन्नपूर्णा जी, राम भा…tag:openbooks.ning.com,2013-09-02:5170231:Comment:4267362013-09-02T13:19:55.141Zराजेश 'मृदु'https://openbooks.ning.com/profile/RajeshKumarJha
<p>आदरणीय अन्नपूर्णा जी, राम भाईजी,महिमा जी, विजयश्री जी आप सबका हार्दिक आभार, सादर</p>
<p>आदरणीय अन्नपूर्णा जी, राम भाईजी,महिमा जी, विजयश्री जी आप सबका हार्दिक आभार, सादर</p> वाह वा मजा आ गया ... क्या खूब…tag:openbooks.ning.com,2013-09-01:5170231:Comment:4263702013-09-01T22:51:08.336Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>वाह वा मजा आ गया ... क्या खूबसूरत बिम्ब संयोजन है .... भव्यता नव्यता के साथ रम गई</p>
<p>वाह वा मजा आ गया ... क्या खूबसूरत बिम्ब संयोजन है .... भव्यता नव्यता के साथ रम गई</p> बात तो सही ही कहा है .. .
इस…tag:openbooks.ning.com,2013-09-01:5170231:Comment:4262762013-09-01T17:20:58.688ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>बात तो सही ही कहा है .. .</p>
<p>इस गीत और अभिनव बिम्ब के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ, आदरणीय राजेश भाई</p>
<p></p>
<p></p>
<p>बात तो सही ही कहा है .. .</p>
<p>इस गीत और अभिनव बिम्ब के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ, आदरणीय राजेश भाई</p>
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<p></p> नरमेध के इस अश्व को
यह रेशमी…tag:openbooks.ning.com,2013-08-31:5170231:Comment:4252942013-08-31T17:13:34.676Zvijayashreehttps://openbooks.ning.com/profile/vijayashree
<p>नरमेध के इस अश्व को</p>
<p>यह रेशमी विश्वास है</p>
<p>नर हैं सभी पंगु मगर</p>
<p>मादा सहज, गौ ग्रास है</p>
<p></p>
<p>फर्क है पड़ता किसे अब</p>
<p>कितनी कटी कलाईयाँ</p>
<p></p>
<p>गीत का हर शब्द बहुत ही सुंदरता से पिरोया है आपने </p>
<p>बधाई स्वीकारें </p>
<p>नरमेध के इस अश्व को</p>
<p>यह रेशमी विश्वास है</p>
<p>नर हैं सभी पंगु मगर</p>
<p>मादा सहज, गौ ग्रास है</p>
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<p>फर्क है पड़ता किसे अब</p>
<p>कितनी कटी कलाईयाँ</p>
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<p>गीत का हर शब्द बहुत ही सुंदरता से पिरोया है आपने </p>
<p>बधाई स्वीकारें </p> नरमेध के इस अश्व को
यह रेशमी…tag:openbooks.ning.com,2013-08-30:5170231:Comment:4247542013-08-30T17:07:23.960ZMAHIMA SHREEhttps://openbooks.ning.com/profile/MAHIMASHREE
<p>नरमेध के इस अश्व को</p>
<p>यह रेशमी विश्वास है</p>
<p>नर हैं सभी पंगु मगर</p>
<p>मादा सहज, गौ ग्रास है</p>
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<p>फर्क है पड़ता किसे अब</p>
<p>कितनी कटी कलाईयाँ</p>
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<p>वाह बहुत सुंदर आदरणीय ..आपके गीत , नवगीत .मंत्रमुग्ध कर देते हैं .. कहाँ से चुन चुन कर शब्दों को पिरोतें है और कितने कम शब्दों में क्या न क्या कह जाते हैं ... ह्रदय तल से बधाई आपको</p>
<p>नरमेध के इस अश्व को</p>
<p>यह रेशमी विश्वास है</p>
<p>नर हैं सभी पंगु मगर</p>
<p>मादा सहज, गौ ग्रास है</p>
<p></p>
<p>फर्क है पड़ता किसे अब</p>
<p>कितनी कटी कलाईयाँ</p>
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<p>वाह बहुत सुंदर आदरणीय ..आपके गीत , नवगीत .मंत्रमुग्ध कर देते हैं .. कहाँ से चुन चुन कर शब्दों को पिरोतें है और कितने कम शब्दों में क्या न क्या कह जाते हैं ... ह्रदय तल से बधाई आपको</p> आदरणीय राजेश जी,आपकी रचना कुछ…tag:openbooks.ning.com,2013-08-30:5170231:Comment:4247412013-08-30T16:39:55.390Zram shiromani pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p><span>आदरणीय राजेश जी,</span><span style="font-size: 13px;">आपकी रचना कुछ अलग ही होती है बहुत सुन्दर///हार्दिक बधाई आपको //सादर </span></p>
<p><span>आदरणीय राजेश जी,</span><span style="font-size: 13px;">आपकी रचना कुछ अलग ही होती है बहुत सुन्दर///हार्दिक बधाई आपको //सादर </span></p> फर्क है पड़ता किसे अब
कितनी क…tag:openbooks.ning.com,2013-08-30:5170231:Comment:4244962013-08-30T15:54:24.060Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>फर्क है पड़ता किसे अब</p>
<p>कितनी कटी कलाईयाँ</p>
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<p>आदरणीय राजेश झा जी सुंदर पंक्तियाँ आपको बधाई ।</p>
<p>फर्क है पड़ता किसे अब</p>
<p>कितनी कटी कलाईयाँ</p>
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<p>आदरणीय राजेश झा जी सुंदर पंक्तियाँ आपको बधाई ।</p> आदरणीय रविकर जी, मेरी रचना पर…tag:openbooks.ning.com,2013-08-30:5170231:Comment:4244582013-08-30T09:45:58.888Zराजेश 'मृदु'https://openbooks.ning.com/profile/RajeshKumarJha
<p>आदरणीय रविकर जी, मेरी रचना पर सुंदर प्रतिक्रिया देकर आपने मेरा मनोबल बढ़ाया, सादर आभारी हूं</p>
<p>आदरणीय रविकर जी, मेरी रचना पर सुंदर प्रतिक्रिया देकर आपने मेरा मनोबल बढ़ाया, सादर आभारी हूं</p>