Comments - सावन है अति पावन | वीर छंद | - Open Books Online2024-03-28T15:56:47Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A403478&xn_auth=noआदरणीय ,सही राय देने के लिए आ…tag:openbooks.ning.com,2013-08-05:5170231:Comment:4080422013-08-05T06:54:38.831ZShyam Narain Vermahttps://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<p>आदरणीय ,<br/>सही राय देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार |</p>
<p>सादर,</p>
<p>आदरणीय ,<br/>सही राय देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार |</p>
<p>सादर,</p> चाँद छुप छुपआये गगन में , जन…tag:openbooks.ning.com,2013-08-02:5170231:Comment:4066832013-08-02T10:17:42.559ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<table border="0" cellspacing="0" width="696">
<tbody><tr><td height="25">चाँद छुप छुपआये गगन में , जनु चाँदनी छुपे हर ओर .. प्रथम चरण का वाक्य विन्यास ही गलत है सो गयता को बधित होनी ही है</td>
</tr>
<tr><td height="25"> </td>
</tr>
<tr><td height="25">डाली झूम जनु गुनगुनायें , कोयल भी गाये दिल खोल .. मात्रा गिनकर पद रच देते हैं क्या भाई ?.. प्रथम चरण को क्या किया है ?</td>
</tr>
<tr><td height="25">मीन उछल नीर बीच डोले , उड़ खग बोलें मीठे बोल |.. उपरोक्त हाल इस पद के प्रथम चरण का भी…</td>
</tr>
</tbody>
</table>
<table border="0" cellspacing="0" width="696">
<tbody><tr><td height="25">चाँद छुप छुपआये गगन में , जनु चाँदनी छुपे हर ओर .. प्रथम चरण का वाक्य विन्यास ही गलत है सो गयता को बधित होनी ही है</td>
</tr>
<tr><td height="25"> </td>
</tr>
<tr><td height="25">डाली झूम जनु गुनगुनायें , कोयल भी गाये दिल खोल .. मात्रा गिनकर पद रच देते हैं क्या भाई ?.. प्रथम चरण को क्या किया है ?</td>
</tr>
<tr><td height="25">मीन उछल नीर बीच डोले , उड़ खग बोलें मीठे बोल |.. उपरोक्त हाल इस पद के प्रथम चरण का भी है.</td>
</tr>
<tr><td height="25">सागर गले लगाये नाला , उमड़ घुमड़ नदी करें मोल .. . दूसरे चरण को देखाभाईजी... . !!</td>
</tr>
<tr><td height="25">भानू का अब पता नहीं है , दिन लगे जनु रात अनमोल ... . दिन रात की तरह अनमोल ? यह् कुछ स्पष्ट नहीं हुआ</td>
</tr>
<tr><td height="25">आगे के पदों को इसी तरह देख लीजिए भाई जी.</td>
</tr>
<tr><td height="25"></td>
</tr>
<tr><td height="25"><p>एक बात आपके अवश्य जानने की है कि किसी मात्रिक पद के चरणों में द्विकल त्रिकल चौकल आदिशब्दों का सधा हुआ प्रयोग</p>
<p>होता है तब चरण और तनुरूप पद की कुल मात्रा गिनी जाती है. यही पद्य व्यवहार है. </p>
</td>
</tr>
<tr><td height="25">शुभच्छाएँ</td>
</tr>
<tr><td height="25"></td>
</tr>
<tr><td height="25"></td>
</tr>
<tr><td height="25"></td>
</tr>
<tr><td height="25"></td>
</tr>
</tbody>
</table> आदरणीय श्याम जी वीर छंद पर प्…tag:openbooks.ning.com,2013-07-30:5170231:Comment:4055402013-07-30T06:46:03.450Zअरुन 'अनन्त'https://openbooks.ning.com/profile/ArunSharma
<p>आदरणीय श्याम जी वीर छंद पर प्रयास हेतु बधाई स्वीकारें किन्तु रचना में अभी बहुत कसावट की कमी है प्रवाह भी बाधित हो रहा है.</p>
<p>आदरणीय श्याम जी वीर छंद पर प्रयास हेतु बधाई स्वीकारें किन्तु रचना में अभी बहुत कसावट की कमी है प्रवाह भी बाधित हो रहा है.</p> सावेन के मौसम पर रची सुन्दर र…tag:openbooks.ning.com,2013-07-28:5170231:Comment:4044442013-07-28T14:37:11.609Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttps://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>सावेन के मौसम पर रची सुन्दर रचना के लिए बधाई श्याम नारायण वर्मा जी </p>
<p>सावेन के मौसम पर रची सुन्दर रचना के लिए बधाई श्याम नारायण वर्मा जी </p> सुंदर रचना प्रस्तुति पर , हार…tag:openbooks.ning.com,2013-07-27:5170231:Comment:4036062013-07-27T20:20:15.753Zजितेन्द्र पस्टारियाhttps://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>सुंदर रचना प्रस्तुति पर , हार्दिक बधाई ,आदरणीय श्याम नारायण जी..</p>
<p>सुंदर रचना प्रस्तुति पर , हार्दिक बधाई ,आदरणीय श्याम नारायण जी..</p>