Comments - जल से भरा सरोवर | - Open Books Online2024-03-28T22:55:32Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A373314&xn_auth=noआदरणीय प्रयास हेतु हार्दिक बध…tag:openbooks.ning.com,2013-06-08:5170231:Comment:3743972013-06-08T08:13:32.467Zअरुन 'अनन्त'https://openbooks.ning.com/profile/ArunSharma
<p>आदरणीय प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें किन्तु शिल्प और कसावट पर अधिक ध्यान दें आप ओ बी ओ परिवार में काफी समय से सक्रिय हैं आपसे उम्मीद अधिक है थोडा और श्रम बस फिर देखिये आनंद आने लगागा आपको भी और पाठकों भी. सादर</p>
<p>आदरणीय प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें किन्तु शिल्प और कसावट पर अधिक ध्यान दें आप ओ बी ओ परिवार में काफी समय से सक्रिय हैं आपसे उम्मीद अधिक है थोडा और श्रम बस फिर देखिये आनंद आने लगागा आपको भी और पाठकों भी. सादर</p> सुंदर कथा कविता रूप मेंtag:openbooks.ning.com,2013-06-07:5170231:Comment:3744382013-06-07T20:59:43.793Zशुभांगना सिद्धिhttps://openbooks.ning.com/profile/ShubhangnaBaghel
<p><span>सुंदर कथा <span>कविता रूप में</span></span></p>
<p><span>सुंदर कथा <span>कविता रूप में</span></span></p> सुंदर सन्देश देती हुई कथा. हा…tag:openbooks.ning.com,2013-06-07:5170231:Comment:3741342013-06-07T13:34:22.725ZVinita Shuklahttps://openbooks.ning.com/profile/VinitaShukla
<p>सुंदर सन्देश देती हुई कथा. हार्दिक साधुवाद.</p>
<p>सुंदर सन्देश देती हुई कथा. हार्दिक साधुवाद.</p> जी ,
आपका बहुत बहुत आभार |
सा…tag:openbooks.ning.com,2013-06-07:5170231:Comment:3738022013-06-07T11:00:41.500ZShyam Narain Vermahttps://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<p>जी ,</p>
<p>आपका बहुत बहुत आभार |</p>
<p>सादर ,</p>
<p> </p>
<p>जी ,</p>
<p>आपका बहुत बहुत आभार |</p>
<p>सादर ,</p>
<p> </p> कहीं कही गेयता बाधित है ...आल…tag:openbooks.ning.com,2013-06-07:5170231:Comment:3740502013-06-07T10:12:11.327Zवेदिकाhttps://openbooks.ning.com/profile/vedikagitika
<div>कहीं कही गेयता बाधित है ...आल्हा की धुन पे गीत नही गाया जा प् रहा </div>
<div><span>सब ने डाला जल की धार // जल की धार स्त्रीलिंग है 'डाली जल की धार </span></div>
<div><span> सन्देश भेजा बेकरार // बेकरार का इस पंक्ति में योग समझ नही आया </span><span><br></br></span></div>
<div><span>हमने किया सब पर भरोसा // हमने सब पर किया भरोसा ....गेयता के हिसाब से शब्दों का स्थान बदला है देख लीजिये </span><span><br></br></span></div>
<div><span> </span></div>
<div><span>सुंदर कथा ...लेखन कर्म पर…</span></div>
<div>कहीं कही गेयता बाधित है ...आल्हा की धुन पे गीत नही गाया जा प् रहा </div>
<div><span>सब ने डाला जल की धार // जल की धार स्त्रीलिंग है 'डाली जल की धार </span></div>
<div><span> सन्देश भेजा बेकरार // बेकरार का इस पंक्ति में योग समझ नही आया </span><span><br/></span></div>
<div><span>हमने किया सब पर भरोसा // हमने सब पर किया भरोसा ....गेयता के हिसाब से शब्दों का स्थान बदला है देख लीजिये </span><span><br/></span></div>
<div><span> </span></div>
<div><span>सुंदर कथा ...लेखन कर्म पर बधाई </span></div> आदरणीय गेयता प्रभावित है। इसे…tag:openbooks.ning.com,2013-06-07:5170231:Comment:3739422013-06-07T09:53:19.925Zबृजेश नीरजhttps://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीय गेयता प्रभावित है। इसे फिर देख लें। सादर!</p>
<p>आदरणीय गेयता प्रभावित है। इसे फिर देख लें। सादर!</p> आदरणीय ,
हमने आल्हा या वीर छं…tag:openbooks.ning.com,2013-06-07:5170231:Comment:3738522013-06-07T09:07:07.689ZShyam Narain Vermahttps://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<p>आदरणीय ,</p>
<p>हमने आल्हा या वीर छंद में लिखा है , जिसमे ३१ मात्रा , १६ , १५ पर यति और अंत में एक गुरु एक लघु होता है |</p>
<p>सादर ,</p>
<p>आदरणीय ,</p>
<p>हमने आल्हा या वीर छंद में लिखा है , जिसमे ३१ मात्रा , १६ , १५ पर यति और अंत में एक गुरु एक लघु होता है |</p>
<p>सादर ,</p> आदरणीय आपकी पूर्व रचना भी इसी…tag:openbooks.ning.com,2013-06-07:5170231:Comment:3740242013-06-07T08:57:52.817Zबृजेश नीरजhttps://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीय आपकी पूर्व रचना भी इसी स्वरूप में थी। आपसे अनुरोध है कि यह स्पष्ट करें कि यह किस विधा में लिखा है आपने। यह निवेदन मैंने आपसे आपकी पूर्व रचना मेहनत पर भी किया था। आप रचना पर प्राप्त टिप्पणियों को या तो महत्व नहीं देते या फिर उनका प्रत्युत्तर देना उचित नहीं समझते। आशा है कि आप रचना पर प्राप्त टिप्पणियों को गम्भीरता से लेंगे।<br/>सादर!</p>
<p>आदरणीय आपकी पूर्व रचना भी इसी स्वरूप में थी। आपसे अनुरोध है कि यह स्पष्ट करें कि यह किस विधा में लिखा है आपने। यह निवेदन मैंने आपसे आपकी पूर्व रचना मेहनत पर भी किया था। आप रचना पर प्राप्त टिप्पणियों को या तो महत्व नहीं देते या फिर उनका प्रत्युत्तर देना उचित नहीं समझते। आशा है कि आप रचना पर प्राप्त टिप्पणियों को गम्भीरता से लेंगे।<br/>सादर!</p> आदरणीय, इसी कथ्य को किसी शिल्…tag:openbooks.ning.com,2013-06-07:5170231:Comment:3735012013-06-07T04:05:14.792ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय, इसी कथ्य को किसी शिल्प में बाँधे तो उसे कहते, तो कविता होती. शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>आदरणीय, इसी कथ्य को किसी शिल्प में बाँधे तो उसे कहते, तो कविता होती. शुभ-शुभ</p>
<p></p> सीख देते किस्से के आधार पर रच…tag:openbooks.ning.com,2013-06-07:5170231:Comment:3737212013-06-07T03:32:00.486Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttps://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>सीख देते किस्से के आधार पर रची सुन्दर रचना के लौए हार्दिक बधाई श्री स्याम नारायण वर्मा जी </p>
<p>सीख देते किस्से के आधार पर रची सुन्दर रचना के लौए हार्दिक बधाई श्री स्याम नारायण वर्मा जी </p>