Comments - बिन तेरे//आबिद अली मंसूरी - Open Books Online2024-03-29T06:06:36Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A372394&xn_auth=noआदरणीया प्रियंका जी हार्दिक आ…tag:openbooks.ning.com,2013-06-09:5170231:Comment:3750482013-06-09T08:46:23.644ZAbid ali mansoorihttps://openbooks.ning.com/profile/Abidalimansoori
आदरणीया प्रियंका जी हार्दिक आभार आपका!
आदरणीया प्रियंका जी हार्दिक आभार आपका! दिल पे चोट खाने का,कोई मौसम न…tag:openbooks.ning.com,2013-06-08:5170231:Comment:3748742013-06-08T18:52:51.783ZPriyanka singhhttps://openbooks.ning.com/profile/Priyankasingh
<p><span>दिल पे चोट खाने का,कोई मौसम नहीँ होता!.........<span>सुन्दर .....बधाई </span></span></p>
<p><span>दिल पे चोट खाने का,कोई मौसम नहीँ होता!.........<span>सुन्दर .....बधाई </span></span></p> बहुत खूब आदरणीया राजेश कुमारी…tag:openbooks.ning.com,2013-06-06:5170231:Comment:3731962013-06-06T06:34:29.186ZAbid ali mansoorihttps://openbooks.ning.com/profile/Abidalimansoori
बहुत खूब आदरणीया राजेश कुमारी जी,हार्दिक आभार आपका स्नेहपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए!
बहुत खूब आदरणीया राजेश कुमारी जी,हार्दिक आभार आपका स्नेहपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए! कितने तल्ख हैँ लम्हेतेरे प्या…tag:openbooks.ning.com,2013-06-06:5170231:Comment:3731912013-06-06T05:36:17.377Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>कितने तल्ख हैँ लम्हे</span><br/><span>तेरे प्यार के वगैर</span><br/><span>यह ग़म की आंधियां</span><br/><span>यह तीरगी के साये----<span>कोमल एहसास को जीती पंक्तियाँ ये प्रस्तुति सच में तारीफ की हक़दार है इनको पढ़कर अपनी बहुत पुरानी एक ग़ज़ल का मुखड़ा </span><span> याद आया ---इन फूलों में अब नमी न रही तेरे जाने के बाद </span></span></p>
<div> गुलशन में तब कमी न रही तेरे आने के बाद </div>
<p><span>कितने तल्ख हैँ लम्हे</span><br/><span>तेरे प्यार के वगैर</span><br/><span>यह ग़म की आंधियां</span><br/><span>यह तीरगी के साये----<span>कोमल एहसास को जीती पंक्तियाँ ये प्रस्तुति सच में तारीफ की हक़दार है इनको पढ़कर अपनी बहुत पुरानी एक ग़ज़ल का मुखड़ा </span><span> याद आया ---इन फूलों में अब नमी न रही तेरे जाने के बाद </span></span></p>
<div> गुलशन में तब कमी न रही तेरे आने के बाद </div> आदरणीय विजय मिश्र जी हृदय से…tag:openbooks.ning.com,2013-06-06:5170231:Comment:3732762013-06-06T04:23:45.741ZAbid ali mansoorihttps://openbooks.ning.com/profile/Abidalimansoori
आदरणीय विजय मिश्र जी हृदय से आभार आपको,नमन!
आदरणीय विजय मिश्र जी हृदय से आभार आपको,नमन! कविता छोटी मगर वजूद का विस्ता…tag:openbooks.ning.com,2013-06-06:5170231:Comment:3729982013-06-06T04:14:33.012Zविजय मिश्रhttps://openbooks.ning.com/profile/37jicf27kggmy
कविता छोटी मगर वजूद का विस्तार इतना बृहद की ..... आनंद आ गया आबिद भाई,<br />
बधाई आपको .
कविता छोटी मगर वजूद का विस्तार इतना बृहद की ..... आनंद आ गया आबिद भाई,<br />
बधाई आपको . आदरणीय सौरभ जी हार्दिक आभार आ…tag:openbooks.ning.com,2013-06-06:5170231:Comment:3730492013-06-06T03:44:21.495ZAbid ali mansoorihttps://openbooks.ning.com/profile/Abidalimansoori
आदरणीय सौरभ जी हार्दिक आभार आपका!
आदरणीय सौरभ जी हार्दिक आभार आपका! बढिया है..
tag:openbooks.ning.com,2013-06-06:5170231:Comment:3731342013-06-06T02:13:59.878ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>बढिया है..</p>
<p></p>
<p>बढिया है..</p>
<p></p> आदरणीय संदीप जी हृदय से आभार…tag:openbooks.ning.com,2013-06-05:5170231:Comment:3729422013-06-05T16:06:19.006ZAbid ali mansoorihttps://openbooks.ning.com/profile/Abidalimansoori
आदरणीय संदीप जी हृदय से आभार आपको!
आदरणीय संदीप जी हृदय से आभार आपको! क्या बात है कम शब्दों में सुन…tag:openbooks.ning.com,2013-06-05:5170231:Comment:3728832013-06-05T15:51:55.527ZSANDEEP KUMAR PATELhttps://openbooks.ning.com/profile/SANDEEPKUMARPATEL
<p>क्या बात है कम शब्दों में सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति के लिए बधाई हो आपको </p>
<p>क्या बात है कम शब्दों में सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति के लिए बधाई हो आपको </p>