Comments - तब होके रहेगा गोल...! - Open Books Online2024-03-28T11:14:24Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A369556&xn_auth=nodhanywad vishalji, sandeepji,…tag:openbooks.ning.com,2013-06-02:5170231:Comment:3709672013-06-02T00:56:23.791Zdinesh solankihttps://openbooks.ning.com/profile/dineshsolanki
<p>dhanywad vishalji, sandeepji, amanji, poojaji</p>
<p>dhanywad vishalji, sandeepji, amanji, poojaji</p> पूछा मैंने नन्ही शहरी चिड़िया…tag:openbooks.ning.com,2013-06-01:5170231:Comment:3707382013-06-01T16:13:14.893ZVISHAAL CHARCHCHIThttps://openbooks.ning.com/profile/VISHAALCHARCHCHIT
<p><span>पूछा मैंने नन्ही शहरी चिड़िया से </span><br/><span>तपती धरती पर तुम क्यों </span><br/><span>इस तरह उतर आई .....!</span><br/><br/>वाह - वाह.....अत्यन्त सुन्दर एवं सार्थक रचना हेतु हार्दिक बधाई !!!!</p>
<p><span>पूछा मैंने नन्ही शहरी चिड़िया से </span><br/><span>तपती धरती पर तुम क्यों </span><br/><span>इस तरह उतर आई .....!</span><br/><br/>वाह - वाह.....अत्यन्त सुन्दर एवं सार्थक रचना हेतु हार्दिक बधाई !!!!</p> coontiji कितना सुन्दर वर्णन ह…tag:openbooks.ning.com,2013-05-31:5170231:Comment:3704312013-05-31T16:46:33.213Zdinesh solankihttps://openbooks.ning.com/profile/dineshsolanki
<p>coontiji कितना सुन्दर वर्णन है आपकी अनुभूति का, काश सभी इन नन्हों की देखभाल में आगे आ जाये.</p>
<p>coontiji कितना सुन्दर वर्णन है आपकी अनुभूति का, काश सभी इन नन्हों की देखभाल में आगे आ जाये.</p> कितना सुन्दर वर्णन है आपकी अन…tag:openbooks.ning.com,2013-05-31:5170231:Comment:3702682013-05-31T16:46:06.004Zdinesh solankihttps://openbooks.ning.com/profile/dineshsolanki
<p>कितना सुन्दर वर्णन है आपकी अनुभूति का, काश सभी इन नन्हों की देखभाल में आगे आ जाये. </p>
<p>कितना सुन्दर वर्णन है आपकी अनुभूति का, काश सभी इन नन्हों की देखभाल में आगे आ जाये. </p> आपने नन्हीं सी जान की आवाज़ अव…tag:openbooks.ning.com,2013-05-31:5170231:Comment:3700712013-05-31T07:41:18.709Zcoontee mukerjihttps://openbooks.ning.com/profile/coonteemukerji
<p>आपने नन्हीं सी जान की आवाज़ अवाम तक पहूँचा दी, बहुत ही नेक कार्य है . मैं तो रोज़ अपने आँगन में इन के लिये दाना पानी देती हूँ और इन के लिये झाड़ियों भी लगा दी है , अब रोज़ सुबह ये मुझे गाना गा कर जगाते है .ये स्वतंत्र हो कर उड़ते हैं और शाम को इन कुंजों में सो जाते हैं. उस में एक जोड़े बुलबुल भी है./सादर / कुंती.</p>
<p>आपने नन्हीं सी जान की आवाज़ अवाम तक पहूँचा दी, बहुत ही नेक कार्य है . मैं तो रोज़ अपने आँगन में इन के लिये दाना पानी देती हूँ और इन के लिये झाड़ियों भी लगा दी है , अब रोज़ सुबह ये मुझे गाना गा कर जगाते है .ये स्वतंत्र हो कर उड़ते हैं और शाम को इन कुंजों में सो जाते हैं. उस में एक जोड़े बुलबुल भी है./सादर / कुंती.</p> बहुत सुंदर संदेश देने का प्रय…tag:openbooks.ning.com,2013-05-31:5170231:Comment:3698682013-05-31T06:04:51.210ZSANDEEP KUMAR PATELhttps://openbooks.ning.com/profile/SANDEEPKUMARPATEL
<p>बहुत सुंदर संदेश देने का प्रयास किया है आदरणीय इस रचना में आपने सादर बधाई हो आपको </p>
<p>बहुत सुंदर संदेश देने का प्रयास किया है आदरणीय इस रचना में आपने सादर बधाई हो आपको </p> सुंदर भावों की अभ्व्यक्ति के…tag:openbooks.ning.com,2013-05-31:5170231:Comment:3700452013-05-31T05:42:00.743Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttps://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>सुंदर भावों की अभ्व्यक्ति के लिए बधाई श्री दिनेश सोलंकी जी, यह कटु सत्य है कि इन्सान के कृत्यों से </p>
<p>जो पर्यावरण असंतुलि हो रहा है, उससे निरीह पशु पक्षी तक आहत है | हम उपलब्धि के नाम पर जीत </p>
<p>की ख़ुशी में विनाश के ही बीज बो रहे है | इस पर जितना लिखा जाय, जन जन को आगाह और जागरूक </p>
<p>किया जाय, कम ही है | बधाई </p>
<p>सुंदर भावों की अभ्व्यक्ति के लिए बधाई श्री दिनेश सोलंकी जी, यह कटु सत्य है कि इन्सान के कृत्यों से </p>
<p>जो पर्यावरण असंतुलि हो रहा है, उससे निरीह पशु पक्षी तक आहत है | हम उपलब्धि के नाम पर जीत </p>
<p>की ख़ुशी में विनाश के ही बीज बो रहे है | इस पर जितना लिखा जाय, जन जन को आगाह और जागरूक </p>
<p>किया जाय, कम ही है | बधाई </p> मेरी रचना को पसंद करने वाले आ…tag:openbooks.ning.com,2013-05-31:5170231:Comment:3698482013-05-31T02:00:10.366Zdinesh solankihttps://openbooks.ning.com/profile/dineshsolanki
<p>मेरी रचना को पसंद करने वाले आप सभी मित्रों, स्नेहियों का आभारी हूँ.</p>
<p>मेरी रचना को पसंद करने वाले आप सभी मित्रों, स्नेहियों का आभारी हूँ.</p> बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार क…tag:openbooks.ning.com,2013-05-30:5170231:Comment:3696652013-05-30T11:35:19.910ZShyam Narain Vermahttps://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<table cellspacing="0" width="462" border="0">
<colgroup><col width="462"></col></colgroup><tbody><tr><td align="left" width="462" height="20">बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………</td>
</tr>
</tbody>
</table>
<table cellspacing="0" width="462" border="0">
<colgroup><col width="462"></col></colgroup><tbody><tr><td align="left" width="462" height="20">बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………</td>
</tr>
</tbody>
</table> अच्छी रचना के लिए बधाई |tag:openbooks.ning.com,2013-05-30:5170231:Comment:3695842013-05-30T09:42:00.517Zaman kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/amankumar
<p><span>अच्छी रचना के लिए बधाई |</span></p>
<p><span>अच्छी रचना के लिए बधाई |</span></p>