Comments - "हिम्मत" - Open Books Online2024-03-29T07:48:58Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A36111&xn_auth=noअक्षय भाई, आपकी कविता पढ़ी - प…tag:openbooks.ning.com,2010-11-29:5170231:Comment:365182010-11-29T05:26:55.400Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
अक्षय भाई, आपकी कविता पढ़ी - पढ़कर बहुत सुकून मिला ! आपके लहजे में जो जोश है, वह यकीनन काबिल-ए-तारीफ है ! यूँ ही लिखते रहें, और स्तरीय साहित्य भी पढ़ते रहें तो लेखनी में और प्रौढ़ता आयेगी ! मेरी बधाई स्वीकार करें इस सुन्दर कृति पर !
अक्षय भाई, आपकी कविता पढ़ी - पढ़कर बहुत सुकून मिला ! आपके लहजे में जो जोश है, वह यकीनन काबिल-ए-तारीफ है ! यूँ ही लिखते रहें, और स्तरीय साहित्य भी पढ़ते रहें तो लेखनी में और प्रौढ़ता आयेगी ! मेरी बधाई स्वीकार करें इस सुन्दर कृति पर !