Comments - 'है पहचानना' - Open Books Online2024-03-28T09:25:14Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A347982&xn_auth=noआदरणीय कुशवाहा महोदय आपको मेर…tag:openbooks.ning.com,2013-04-28:5170231:Comment:3542852013-04-28T10:19:46.911ZVindu Babuhttps://openbooks.ning.com/profile/vandanatiwari
आदरणीय कुशवाहा महोदय आपको मेरा हृदयातल से सादर आभार।
आदरणीय कुशवाहा महोदय आपको मेरा हृदयातल से सादर आभार। चिरानन्द है'स्वयं' मेंबस है प…tag:openbooks.ning.com,2013-04-26:5170231:Comment:3534282013-04-26T09:01:02.583ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttps://openbooks.ning.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p><span>चिरानन्द है</span><br/><span>'स्वयं' में</span><br/><span>बस है पहचानना।</span></p>
<p>यही वास्तविक ज्ञान है. </p>
<p>सुन्दर अभिव्यक्ति हेतु सादर बधाई स्वीकारें, आदरणीया वन्दना जी , सादर </p>
<p><span>चिरानन्द है</span><br/><span>'स्वयं' में</span><br/><span>बस है पहचानना।</span></p>
<p>यही वास्तविक ज्ञान है. </p>
<p>सुन्दर अभिव्यक्ति हेतु सादर बधाई स्वीकारें, आदरणीया वन्दना जी , सादर </p> आदरणीय रक्ताले महोदय आपने रचन…tag:openbooks.ning.com,2013-04-18:5170231:Comment:3488292013-04-18T05:25:56.058ZVindu Babuhttps://openbooks.ning.com/profile/vandanatiwari
आदरणीय रक्ताले महोदय आपने रचना पर अपनी प्रतिक्रिया देकर रचना का महत्व बढाया है।<br />
आपका बहुत आभार<br />
सादर
आदरणीय रक्ताले महोदय आपने रचना पर अपनी प्रतिक्रिया देकर रचना का महत्व बढाया है।<br />
आपका बहुत आभार<br />
सादर आदरणीया वन्दना तिवारी जी सादर…tag:openbooks.ning.com,2013-04-18:5170231:Comment:3488122013-04-18T02:41:05.259ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीया वन्दना तिवारी जी सादर, सही है आनंद की अनुभूति हमारे अंतर्मन से ही आती है. फिर कहीं ओर खोजने की क्या आवश्यकता. सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.</p>
<p>आदरणीया वन्दना तिवारी जी सादर, सही है आनंद की अनुभूति हमारे अंतर्मन से ही आती है. फिर कहीं ओर खोजने की क्या आवश्यकता. सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.</p> आदरणीय केवल प्रसाद जी आप की ट…tag:openbooks.ning.com,2013-04-18:5170231:Comment:3486022013-04-18T02:16:56.904ZVindu Babuhttps://openbooks.ning.com/profile/vandanatiwari
आदरणीय केवल प्रसाद जी आप की टिप्पणी हमारा उत्साहवर्धन करती है।<br />
सादर आभार।
आदरणीय केवल प्रसाद जी आप की टिप्पणी हमारा उत्साहवर्धन करती है।<br />
सादर आभार। सन्दीप पटेल जी रचना की सराहना…tag:openbooks.ning.com,2013-04-18:5170231:Comment:3486012013-04-18T02:14:14.453ZVindu Babuhttps://openbooks.ning.com/profile/vandanatiwari
सन्दीप पटेल जी रचना की सराहना कर प्रतिक्रिया देने के लिए आपका बहुत आभार।
सन्दीप पटेल जी रचना की सराहना कर प्रतिक्रिया देने के लिए आपका बहुत आभार। आदरणीय रामशिरोमणि जी आपने रचन…tag:openbooks.ning.com,2013-04-18:5170231:Comment:3486572013-04-18T02:11:27.338ZVindu Babuhttps://openbooks.ning.com/profile/vandanatiwari
आदरणीय रामशिरोमणि जी आपने रचना का अवलोकन किया इसके लिए आपका सादर धन्यवाद।
आदरणीय रामशिरोमणि जी आपने रचना का अवलोकन किया इसके लिए आपका सादर धन्यवाद। आदरणीया वंदना तिवारी जी, 'चिर…tag:openbooks.ning.com,2013-04-17:5170231:Comment:3486162013-04-17T12:56:47.207Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'https://openbooks.ning.com/profile/kewalprasad
<p>आदरणीया वंदना तिवारी जी, <br/>'चिरानन्द है<br/>’स्वयं’ में<br/>बस है पहचानना।’ अतिसुन्दर रचना । बधाई स्वीकारें। सादर,</p>
<p>आदरणीया वंदना तिवारी जी, <br/>'चिरानन्द है<br/>’स्वयं’ में<br/>बस है पहचानना।’ अतिसुन्दर रचना । बधाई स्वीकारें। सादर,</p> आनन्द की चाबी
औरों के हाथ
क्य…tag:openbooks.ning.com,2013-04-17:5170231:Comment:3482972013-04-17T11:46:11.303ZSANDEEP KUMAR PATELhttps://openbooks.ning.com/profile/SANDEEPKUMARPATEL
आनन्द की चाबी<br />
औरों के हाथ<br />
क्या देना।<br />
चिरानन्द है<br />
'स्वयं' में<br />
बस है पहचानना।<br />
<br />
बहुत सुन्दर बात बताई आपने इस रचना के माध्यम से आदरणीया सादर बधाई स्वीकारें
आनन्द की चाबी<br />
औरों के हाथ<br />
क्या देना।<br />
चिरानन्द है<br />
'स्वयं' में<br />
बस है पहचानना।<br />
<br />
बहुत सुन्दर बात बताई आपने इस रचना के माध्यम से आदरणीया सादर बधाई स्वीकारें निज मान,अपमानआनन्द की चाबीऔरो…tag:openbooks.ning.com,2013-04-17:5170231:Comment:3482562013-04-17T06:41:28.465Zram shiromani pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p><span>निज मान,अपमान</span><br/><span>आनन्द की चाबी</span><br/><span>औरों के हाथ</span><br/><span>क्या देना।</span><br/><span>चिरानन्द है</span><br/><span>'स्वयं' में</span><br/><span>बस है पहचानना।////////आदरणीया वन्दना जी सही कहा आपने सुन्दर कथ्य !हार्दिक बधाई </span></p>
<p><span>निज मान,अपमान</span><br/><span>आनन्द की चाबी</span><br/><span>औरों के हाथ</span><br/><span>क्या देना।</span><br/><span>चिरानन्द है</span><br/><span>'स्वयं' में</span><br/><span>बस है पहचानना।////////आदरणीया वन्दना जी सही कहा आपने सुन्दर कथ्य !हार्दिक बधाई </span></p>