Comments - फिर भी फागुन तुम्हें मैं दिखा जाऊँगा - Open Books Online2024-03-28T09:55:12Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A338319&xn_auth=noगीत रूठे हुए मीत छूटे हुएफिर…tag:openbooks.ning.com,2013-03-29:5170231:Comment:3388192013-03-29T12:42:00.021Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>गीत रूठे हुए मीत छूटे हुए</span><br/><span>फिर भी रस्में ये सारी निभा जाऊँगा</span><br/><span>ये अलग बात है रंग मुझमें नहीं</span><br/><span>फिर भी फागुन तुम्हें मैं दिखा जाऊँगा----पुश्यमित्र जी इन पंक्तियों ने दिल मोह लिया बहुत-बहुत बधाई आपको </span></p>
<p><span>गीत रूठे हुए मीत छूटे हुए</span><br/><span>फिर भी रस्में ये सारी निभा जाऊँगा</span><br/><span>ये अलग बात है रंग मुझमें नहीं</span><br/><span>फिर भी फागुन तुम्हें मैं दिखा जाऊँगा----पुश्यमित्र जी इन पंक्तियों ने दिल मोह लिया बहुत-बहुत बधाई आपको </span></p> अंतरगेयता से समृद्ध पंक्तियाँ…tag:openbooks.ning.com,2013-03-29:5170231:Comment:3387112013-03-29T08:44:27.906ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>अंतरगेयता से समृद्ध पंक्तियाँ वहीवहीपन लदे बिम्बों पर आश्रित हों, यह रुचिकर नहीं लगा है. संप्रेषणीयता सहज है. आपके रचनाकर्म की संभावनाओं के कारण आपसे बेहतर और समृद्ध की अपेक्षा है, भाईजी.</p>
<p>शुभेच्छाएँ</p>
<p></p>
<p>अंतरगेयता से समृद्ध पंक्तियाँ वहीवहीपन लदे बिम्बों पर आश्रित हों, यह रुचिकर नहीं लगा है. संप्रेषणीयता सहज है. आपके रचनाकर्म की संभावनाओं के कारण आपसे बेहतर और समृद्ध की अपेक्षा है, भाईजी.</p>
<p>शुभेच्छाएँ</p>
<p></p> saadar abhar sir ji....holi k…tag:openbooks.ning.com,2013-03-28:5170231:Comment:3382692013-03-28T14:17:05.685ZPushyamitra Upadhyayhttps://openbooks.ning.com/profile/PushyamitraUpadhyay
saadar abhar sir ji....holi ki anant shubhkaamnaayein
saadar abhar sir ji....holi ki anant shubhkaamnaayein रंग यौवन के जब सब उतरने लगें,…tag:openbooks.ning.com,2013-03-28:5170231:Comment:3383582013-03-28T03:13:24.319Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttps://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p><span>रंग यौवन के जब सब उतरने लगें,</span><span>फूल जब नेह के सारे झरने लगें</span><br/><span>मुझको अंजाँ समझ कर बुला लेना तुम,</span><span>दोस्त जब दोस्ती से मुकरने लगें,</span><br/><span>ये है मुझको पता लक्ष्य मैं तो नहीं,</span><span>फिर भी रस्ते तुम्हें सब बता जाऊँगा</span><br/><span>ये अलग बात है रंग मुझमें नहीं,</span><span>फिर भी फागुन तुम्हें मैं दिखा जाऊँगा| - सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए होली की शुभ कामनाओं सहित हार्दिक आभार श्री उपाध्याय जी </span></p>
<p><span>रंग यौवन के जब सब उतरने लगें,</span><span>फूल जब नेह के सारे झरने लगें</span><br/><span>मुझको अंजाँ समझ कर बुला लेना तुम,</span><span>दोस्त जब दोस्ती से मुकरने लगें,</span><br/><span>ये है मुझको पता लक्ष्य मैं तो नहीं,</span><span>फिर भी रस्ते तुम्हें सब बता जाऊँगा</span><br/><span>ये अलग बात है रंग मुझमें नहीं,</span><span>फिर भी फागुन तुम्हें मैं दिखा जाऊँगा| - सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए होली की शुभ कामनाओं सहित हार्दिक आभार श्री उपाध्याय जी </span></p>