Comments - मेरे वतन पे आते हैं सारे जहाँ से लोग - सलीम रज़ा रीवा - Open Books Online2024-03-28T14:38:17Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A315028&xn_auth=noआली जनाब समर साहिब ,आपकी नज़रो…tag:openbooks.ning.com,2017-10-07:5170231:Comment:8875642017-10-07T15:06:36.786ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
<p>आली जनाब समर साहिब ,आपकी नज़रों से ग़ज़ल गुज़रने के बाद और भी हसीन हो गई है ,<br/> महब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>आली जनाब समर साहिब ,आपकी नज़रों से ग़ज़ल गुज़रने के बाद और भी हसीन हो गई है ,<br/> महब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।</p> जनाब सुशील शर्मा साहिब , महब्…tag:openbooks.ning.com,2017-10-07:5170231:Comment:8873712017-10-07T15:04:38.359ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
<p>जनाब सुशील शर्मा साहिब ,<br/> महब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>जनाब सुशील शर्मा साहिब ,<br/> महब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।</p> मेरे कहे को मान देने के लिये…tag:openbooks.ning.com,2017-10-07:5170231:Comment:8873542017-10-07T11:37:49.275ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
मेरे कहे को मान देने के लिये धन्यवाद ।
मेरे कहे को मान देने के लिये धन्यवाद । मेरे वतन में आते हैं सारे जहा…tag:openbooks.ning.com,2017-10-07:5170231:Comment:8874382017-10-07T11:04:17.412ZSushil Sarnahttps://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>मेरे वतन में आते हैं सारे जहाँ से लोग.<br/>रहते हैं इस ज़मीन पे अम्न-ओ-अमाँ से लोग.<br/>..<br/>लगता है कुछ खुलुसो महब्बत मे है कमी.<br/>क्यूं उठ के जा रहे हैं बता दरमियाँ से लोग.</p>
<p>वाह आदरणीय जी बहुत ही दिलकश अशआर कहे हैं आपने। इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सर।</p>
<p>मेरे वतन में आते हैं सारे जहाँ से लोग.<br/>रहते हैं इस ज़मीन पे अम्न-ओ-अमाँ से लोग.<br/>..<br/>लगता है कुछ खुलुसो महब्बत मे है कमी.<br/>क्यूं उठ के जा रहे हैं बता दरमियाँ से लोग.</p>
<p>वाह आदरणीय जी बहुत ही दिलकश अशआर कहे हैं आपने। इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सर।</p> आ. दीदी राजेश कुमारी जी,
आपकी…tag:openbooks.ning.com,2017-10-07:5170231:Comment:8875422017-10-07T04:25:04.152ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
आ. दीदी राजेश कुमारी जी,<br />
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, इस नाचीज़ पर करम बनाए रखे,
आ. दीदी राजेश कुमारी जी,<br />
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, इस नाचीज़ पर करम बनाए रखे, जनाब तस्दीक़ साहब,
आपकी मुहब्…tag:openbooks.ning.com,2017-10-06:5170231:Comment:8873072017-10-06T13:40:54.178ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
जनाब तस्दीक़ साहब,<br />
आपकी मुहब्बत का तलबगार<br />
...
जनाब तस्दीक़ साहब,<br />
आपकी मुहब्बत का तलबगार<br />
... जनाब अफरोज साहब,
आपकी नज़रे इ…tag:openbooks.ning.com,2017-10-05:5170231:Comment:8872212017-10-05T12:07:54.855ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
जनाब अफरोज साहब,<br />
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया आपके मशविरे का इंतज़ार था,
जनाब अफरोज साहब,<br />
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया आपके मशविरे का इंतज़ार था, जनाब सलीम रज़ा साहिब ख़ूबसूरत…tag:openbooks.ning.com,2017-10-05:5170231:Comment:8869442017-10-05T10:27:33.617ZAfroz 'sahr'https://openbooks.ning.com/profile/Afrozsahr
जनाब सलीम रज़ा साहिब ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए आपको बहुत बधाई,,,,,,
जनाब सलीम रज़ा साहिब ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए आपको बहुत बधाई,,,,,, शुक्रिया मशविरे के मुताबिक बद…tag:openbooks.ning.com,2017-10-05:5170231:Comment:8869012017-10-05T07:01:44.753ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
शुक्रिया मशविरे के मुताबिक बदलाव कर दिया जाएगा.
शुक्रिया मशविरे के मुताबिक बदलाव कर दिया जाएगा. नहीं किया जा सकता ।tag:openbooks.ning.com,2017-10-05:5170231:Comment:8869282017-10-05T06:02:35.401ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
नहीं किया जा सकता ।
नहीं किया जा सकता ।