Comments - बंजरों के लोग भी अब कस्तियाँ लेने लगे - Open Books Online2024-03-28T18:19:59Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A296247&xn_auth=noछोड़ आये थे जिसे हम "दीप" बन क…tag:openbooks.ning.com,2012-12-16:5170231:Comment:3009662012-12-16T17:11:22.393ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p><span class="font-size-3">छोड़ आये थे जिसे हम "दीप" बन के बेबफा</span> <br/><span class="font-size-3">याद उसने जब किया हम हिचकियाँ लेने लगे</span><br/>इस शेर ने तो कमाल कर दिया है आदरणीय संदीप जी. सुन्दर गजल पर बधाई स्वीकारें.<br/></p>
<p><span class="font-size-3">छोड़ आये थे जिसे हम "दीप" बन के बेबफा</span> <br/><span class="font-size-3">याद उसने जब किया हम हिचकियाँ लेने लगे</span><br/>इस शेर ने तो कमाल कर दिया है आदरणीय संदीप जी. सुन्दर गजल पर बधाई स्वीकारें.<br/></p> जी आदरणीय वीनस जी मैंने गलती…tag:openbooks.ning.com,2012-12-07:5170231:Comment:2967022012-12-07T10:15:45.358ZSANDEEP KUMAR PATELhttps://openbooks.ning.com/profile/SANDEEPKUMARPATEL
<p>जी आदरणीय वीनस जी <br/>मैंने गलती की <br/>क्यूंकि में <br/>रोज- ए- महसर इन तीनों को प्रथक प्रथक पढ़ रहा था <br/>रोज फिर ए फिर महसर <br/>आपका एक बार पुनः ह्रदय से आभारी हूँ <br/>सुधार कर लिया है <br/>इस प्रकार से <br/>क्या अब सही है <br/><br/>रोजे महसर की खबर तो इस कदर छाने लगी <br/>बंजरों में लोग भी अब कस्तियाँ लेने लगे</p>
<p>जी आदरणीय वीनस जी <br/>मैंने गलती की <br/>क्यूंकि में <br/>रोज- ए- महसर इन तीनों को प्रथक प्रथक पढ़ रहा था <br/>रोज फिर ए फिर महसर <br/>आपका एक बार पुनः ह्रदय से आभारी हूँ <br/>सुधार कर लिया है <br/>इस प्रकार से <br/>क्या अब सही है <br/><br/>रोजे महसर की खबर तो इस कदर छाने लगी <br/>बंजरों में लोग भी अब कस्तियाँ लेने लगे</p> आदरणीया डॉ प्राची जी , आदरणीय…tag:openbooks.ning.com,2012-12-07:5170231:Comment:2968772012-12-07T10:14:49.655ZSANDEEP KUMAR PATELhttps://openbooks.ning.com/profile/SANDEEPKUMARPATEL
<p>आदरणीया डॉ प्राची जी , आदरणीय पियूष जी सादर प्रणाम <br/>आपने ग़ज़ल को पसंद किया और अपने बेशकीमती विचार रखे <br/>इसके लिए मैं आपका तहे दिल से आभारी हूँ <br/>स्नेह यूँ ही बनाये रखिये</p>
<p>आदरणीया डॉ प्राची जी , आदरणीय पियूष जी सादर प्रणाम <br/>आपने ग़ज़ल को पसंद किया और अपने बेशकीमती विचार रखे <br/>इसके लिए मैं आपका तहे दिल से आभारी हूँ <br/>स्नेह यूँ ही बनाये रखिये</p> रूठना आता नहीं है पर दिखावा क…tag:openbooks.ning.com,2012-12-07:5170231:Comment:2966692012-12-07T04:12:27.677ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p><span>रूठना आता नहीं है पर दिखावा कर लिया </span><br></br><span>रूठने के बाद हम ही सिसकियाँ लेने लगे... बहुत नाज़ुक भावों नें शब्द लिए है, वाह </span></p>
<p><span><span class="font-size-3">घूमने आये थे मंत्री जो निरिक्षण में अभी</span><span> </span><br></br><span class="font-size-3">चाय पीकर वो भी देखो झपकियाँ लेने लगे.....क्या खूब शब्द चित्र उकेरा है मंत्रियों द्वारा निरीक्षण की औपचारिकता का , बहुत खूब!</span></span></p>
<p><span><span class="font-size-3"><span class="font-size-3">छोड़ आये थे जिसे…</span></span></span></p>
<p><span>रूठना आता नहीं है पर दिखावा कर लिया </span><br/><span>रूठने के बाद हम ही सिसकियाँ लेने लगे... बहुत नाज़ुक भावों नें शब्द लिए है, वाह </span></p>
<p><span><span class="font-size-3">घूमने आये थे मंत्री जो निरिक्षण में अभी</span><span> </span><br/><span class="font-size-3">चाय पीकर वो भी देखो झपकियाँ लेने लगे.....क्या खूब शब्द चित्र उकेरा है मंत्रियों द्वारा निरीक्षण की औपचारिकता का , बहुत खूब!</span></span></p>
<p><span><span class="font-size-3"><span class="font-size-3">छोड़ आये थे जिसे हम "दीप" बन के बेबफा</span><span> </span><br/><span class="font-size-3">याद उसने जब किया हम हिचकियाँ लेने लगे....बहुत सुन्दर शेर.</span></span></span></p>
<p><font size="3">हार्दिक बधाई इस सुन्दर ग़ज़ल केलिए संदीप जी.</font></p> लाजवाब संदीप भाई जी, पूरी गज़ल…tag:openbooks.ning.com,2012-12-07:5170231:Comment:2968422012-12-07T02:50:35.647Zपीयूष द्विवेदी भारतhttps://openbooks.ning.com/profile/2ixxsuhjha9i0
<p>लाजवाब संदीप भाई जी, पूरी गज़ल के साथ-साथ इस शेर के लिए विशेष दाद कबूलें भाई...</p>
<p><span class="font-size-3">छोड़ आये थे जिसे हम "दीप" बन के बेबफा</span> <br/> <span class="font-size-3">याद उसने जब किया हम हिचकियाँ लेने लगे</span></p>
<p><span class="font-size-3">बेशक ये हासिले-गज़ल है !<br/></span></p>
<p>लाजवाब संदीप भाई जी, पूरी गज़ल के साथ-साथ इस शेर के लिए विशेष दाद कबूलें भाई...</p>
<p><span class="font-size-3">छोड़ आये थे जिसे हम "दीप" बन के बेबफा</span> <br/> <span class="font-size-3">याद उसने जब किया हम हिचकियाँ लेने लगे</span></p>
<p><span class="font-size-3">बेशक ये हासिले-गज़ल है !<br/></span></p> भाई इजाफत इस्तेमाल करने में क…tag:openbooks.ning.com,2012-12-06:5170231:Comment:2967392012-12-06T20:09:03.410Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>भाई इजाफत इस्तेमाल करने में कोई दिक्कत नहीं है मगर आपने इजाफत करते हुए मात्रा गलत ली है <br/>अर्थात गलत वज्न पर बाँध दिया है <br/><span class="font-size-3"><strong>रोज-ए-महसर</strong> </span> का सहीह वज्न के लिए लेख माला में सम्बन्धित लेख पढ़ें --</p>
<h3><a href="http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:290722">क्रम ७ - अलिफ़-वस्ल, इज़ाफत और वाव-ए-अत्फ़<br/></a></h3>
<p>भाई इजाफत इस्तेमाल करने में कोई दिक्कत नहीं है मगर आपने इजाफत करते हुए मात्रा गलत ली है <br/>अर्थात गलत वज्न पर बाँध दिया है <br/><span class="font-size-3"><strong>रोज-ए-महसर</strong> </span> का सहीह वज्न के लिए लेख माला में सम्बन्धित लेख पढ़ें --</p>
<h3><a href="http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:290722">क्रम ७ - अलिफ़-वस्ल, इज़ाफत और वाव-ए-अत्फ़<br/></a></h3> आदरणीय नादिर साहब , आदरणीय गु…tag:openbooks.ning.com,2012-12-06:5170231:Comment:2966282012-12-06T10:20:32.450ZSANDEEP KUMAR PATELhttps://openbooks.ning.com/profile/SANDEEPKUMARPATEL
<p><br clear="all"/>आदरणीय नादिर साहब , आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी , आदरणीय वीनस सर जी , आदरणीय लक्षमण सर जी, आदरणीय अरुण जी , आदरणीया महिमा जी <br/>सादर प्रणाम आप सभी को <br/>आपने मेरी ग़ज़ल को वक़्त दिया और हौसलाफजाई की इसके लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार <br/> स्नेह यूँ ही बनाये रखिये <br/><br/>तत आदरणीय वीनस जी <br/>क्या इस शेर में इजाफत का उपयोग नहीं कर सकते हैं <br/>रोज-"ए"-महसर <br/><br/>कृपया मार्गदर्शन करें ताकि मेरी तकनीक में कुछ और इजाफा हो <br/><br/></p>
<p><br clear="all"/>आदरणीय नादिर साहब , आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी , आदरणीय वीनस सर जी , आदरणीय लक्षमण सर जी, आदरणीय अरुण जी , आदरणीया महिमा जी <br/>सादर प्रणाम आप सभी को <br/>आपने मेरी ग़ज़ल को वक़्त दिया और हौसलाफजाई की इसके लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार <br/> स्नेह यूँ ही बनाये रखिये <br/><br/>तत आदरणीय वीनस जी <br/>क्या इस शेर में इजाफत का उपयोग नहीं कर सकते हैं <br/>रोज-"ए"-महसर <br/><br/>कृपया मार्गदर्शन करें ताकि मेरी तकनीक में कुछ और इजाफा हो <br/><br/></p> घूमने आये थे मंत्री जो निरिक्…tag:openbooks.ning.com,2012-12-06:5170231:Comment:2962992012-12-06T10:15:35.401ZMAHIMA SHREEhttps://openbooks.ning.com/profile/MAHIMASHREE
<p><span class="font-size-3">घूमने आये थे मंत्री जो निरिक्षण में अभी</span> <br/><span class="font-size-3">चाय पीकर वो भी देखो झपकियाँ लेने लगे... ::))</span></p>
<p>नमस्कार संदीप जी .. बहुत बढ़िया // बधाई आपको</p>
<p><span class="font-size-3">घूमने आये थे मंत्री जो निरिक्षण में अभी</span> <br/><span class="font-size-3">चाय पीकर वो भी देखो झपकियाँ लेने लगे... ::))</span></p>
<p>नमस्कार संदीप जी .. बहुत बढ़िया // बधाई आपको</p> वाह मित्र वाह उम्दा ग़ज़ल कुछ अ…tag:openbooks.ning.com,2012-12-06:5170231:Comment:2966082012-12-06T06:18:52.041Zअरुन 'अनन्त'https://openbooks.ning.com/profile/ArunSharma
<p>वाह मित्र वाह उम्दा ग़ज़ल कुछ अशआर तो माशाल्लाह लाजवाब हैं, बधाई स्वीकारें</p>
<p>वाह मित्र वाह उम्दा ग़ज़ल कुछ अशआर तो माशाल्लाह लाजवाब हैं, बधाई स्वीकारें</p> बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति की…tag:openbooks.ning.com,2012-12-06:5170231:Comment:2961992012-12-06T05:26:38.383Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttps://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<div><font color="#0000FF">बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति की लिए हार्दिक बधाई स्वीकारेश्री संदीप कुमार पटेल जी </font></div>
<div><font color="#0000FF">राज भी दे खूब दिलासा घर बसाने का चुनावों पर </font></div>
<div><font color="#0000FF">घुम्मकड़ बनजारा भी अपना आसरा यूँ बसाने लगे । </font></div>
<div><font color="#0000FF">बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति की लिए हार्दिक बधाई स्वीकारेश्री संदीप कुमार पटेल जी </font></div>
<div><font color="#0000FF">राज भी दे खूब दिलासा घर बसाने का चुनावों पर </font></div>
<div><font color="#0000FF">घुम्मकड़ बनजारा भी अपना आसरा यूँ बसाने लगे । </font></div>