Comments - कहानी - नशा - वीनस केसरी - Open Books Online2024-03-29T14:41:34Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A286340&xn_auth=noवीनस डियर, कहानी बढ़िया लगी। स…tag:openbooks.ning.com,2012-12-13:5170231:Comment:2997222012-12-13T18:30:12.934ZDipak Mashalhttps://openbooks.ning.com/profile/DipakMashal
<p><span>वीनस डियर, कहानी बढ़िया लगी। सा</span><span>री टिप्पणियाँ भी पढ़ीं। </span><span>वैसे तुम्हारी यह </span><span>पहली कहानी है उस </span><span>हिसाब से तुम निश्चित रूप से पीठ थपथपाए जाने के काबिल हो, क्योंकि जिस तरह का </span><span>तुमने लिखा है वह सऊर </span><span>कईयों को 20-20 कहानियाँ लिखने के बाद भी नहीं आता।</span><span> तुम एक बार फिर से इस </span><span>कहानी को ठीक करने के मूड से बैठोगे तो निश्चित रूप से यह और भी निखर कर आयेगी। कई साल पहले एक कहानी पढी थी जिसके नायक को अपने…</span></p>
<p><span>वीनस डियर, कहानी बढ़िया लगी। सा</span><span>री टिप्पणियाँ भी पढ़ीं। </span><span>वैसे तुम्हारी यह </span><span>पहली कहानी है उस </span><span>हिसाब से तुम निश्चित रूप से पीठ थपथपाए जाने के काबिल हो, क्योंकि जिस तरह का </span><span>तुमने लिखा है वह सऊर </span><span>कईयों को 20-20 कहानियाँ लिखने के बाद भी नहीं आता।</span><span> तुम एक बार फिर से इस </span><span>कहानी को ठीक करने के मूड से बैठोगे तो निश्चित रूप से यह और भी निखर कर आयेगी। कई साल पहले एक कहानी पढी थी जिसके नायक को अपने उपन्यास</span><span> को पूरा करने के लिए दर्द की तलाश थी और इसी के चलते वह अपनी प्रेमिका(पत्नी नहीं)</span><span> को जानबूझकर </span><span>इतनी तकलीफ पहुंचाता</span><span> है कि वह</span><span> दुनिया तक छोड़ने की कोशिश करती है। उस कहानी में कई उतार-चढ़ाव थे जो दर्द की पटरियों पर से ही गुजरते थे, कहानी लम्बी थी </span><span>लेकिन उसके अंत तक नायक को आइना नहीं दिखाया गया था।</span></p>
<div>तुम्हारी कहानी में नायक के किये गए कृत्यों का उसके सामने पटाक्षेप करके, एक नया मक़ाम दिया गया है, हालांकि यह कहीं से नहीं लगता कि पत्र पढ़कर वह सम्हल गया है। यह पात्र की मर्जी है, उसपर किसका जोर चलता है।</div>
<div>शिल्प में अभी भी तुम्हे अपनी ग़ज़लों वाली बात लाने की जरूरत है और कथानक में मोड़ जोड़ने की भी (लेकिन तभी जब कहानी को और बड़ा बनाना हो). आखिर में ग़ज़ल जिसकी भी हो कमाल की है।</div>
<div>कुलमिलाकर पहली कहानी के हिसाब से यह तुम्हे और पाठक दोनों को संतुष्ट करती है। आगे के लिए शुभकामनाएं।</div> // कभी कभी ऐसे रहस्य पर कहानी…tag:openbooks.ning.com,2012-11-03:5170231:Comment:2872962012-11-03T20:32:08.962Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p><strong>// कभी कभी ऐसे रहस्य पर कहानी छूट जाए तो भी अच्छी बन पड़ती है ....</strong>//<br/>आभार भाई जी <br/><br/><br/>भ्रमर साहेब यह तो इत्तेफाक भर है कि ऐसा हुआ, असलियत यह है कि इसके आगे लिखने को मुझे कुछ सूझा ही नहीं</p>
<p><strong>// कभी कभी ऐसे रहस्य पर कहानी छूट जाए तो भी अच्छी बन पड़ती है ....</strong>//<br/>आभार भाई जी <br/><br/><br/>भ्रमर साहेब यह तो इत्तेफाक भर है कि ऐसा हुआ, असलियत यह है कि इसके आगे लिखने को मुझे कुछ सूझा ही नहीं</p> प्रिय वीनस भाई कहानी मन को छू…tag:openbooks.ning.com,2012-11-03:5170231:Comment:2875482012-11-03T19:32:54.215ZSURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMARhttps://openbooks.ning.com/profile/SURENDRAKUMARSHUKLABHRAMAR
<div>प्रिय वीनस भाई कहानी मन को छू गयी अजीब नशा होता है सचमुच यह लेखन ..रचना भी ...दर्द और विरह तो इसके खाद और बीज हैं ....और चाहत भी गजब की ....भाव प्रधान ..कभी कभी ऐसे रहस्य पर कहानी छूट जाए तो भी अच्छी बन पड़ती है ....सोचने का अवसर देती हुयी ....त्याग भी दिखा ....महीने के सक्रीय सदस्य चुने जाने पर आप को बहुत बहुत बधाई </div>
<div><span>आप सब को दशहरा ,दीवाली की शुभ कामनाएं तथा करवा चौथ की भी जय श्री राधे </span></div>
<div>भ्रमर 5 </div>
<div>प्रिय वीनस भाई कहानी मन को छू गयी अजीब नशा होता है सचमुच यह लेखन ..रचना भी ...दर्द और विरह तो इसके खाद और बीज हैं ....और चाहत भी गजब की ....भाव प्रधान ..कभी कभी ऐसे रहस्य पर कहानी छूट जाए तो भी अच्छी बन पड़ती है ....सोचने का अवसर देती हुयी ....त्याग भी दिखा ....महीने के सक्रीय सदस्य चुने जाने पर आप को बहुत बहुत बधाई </div>
<div><span>आप सब को दशहरा ,दीवाली की शुभ कामनाएं तथा करवा चौथ की भी जय श्री राधे </span></div>
<div>भ्रमर 5 </div> bahut bhavnatmak prastuti .tag:openbooks.ning.com,2012-11-01:5170231:Comment:2869382012-11-01T19:09:53.520Zshalini kaushikhttps://openbooks.ning.com/profile/shalinikaushik
<p>bahut bhavnatmak prastuti .</p>
<p>bahut bhavnatmak prastuti .</p> धन्यवाद गणेश भाई आपने कहे से…tag:openbooks.ning.com,2012-11-01:5170231:Comment:2868742012-11-01T18:40:09.264Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>धन्यवाद गणेश भाई आपने कहे से मेरे निर्णय पुख्ता हुआ है <br/>पसंद करने के लिए आभार<br/>कोशिश करूँगा इसमें और कसावट आ सके</p>
<p>धन्यवाद गणेश भाई आपने कहे से मेरे निर्णय पुख्ता हुआ है <br/>पसंद करने के लिए आभार<br/>कोशिश करूँगा इसमें और कसावट आ सके</p> अभी फेसबुक पर सुरेन्द्र चतुर्…tag:openbooks.ning.com,2012-11-01:5170231:Comment:2871252012-11-01T18:38:17.773Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<div class="fbPhotoContributorName" id="fbPhotoPageAuthorName">अभी फेसबुक पर सुरेन्द्र चतुर्वेदी साहिब की एक ग़ज़ल पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ<br></br> कैसे एक शेर में पूरी कहानी समाई होती है इसका इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि मुझे अपनी यह कहानी उनकी ग़ज़ल के दूसरे शेअर में पढ़ने को मिल गई <br></br>गौर फरमाएं -<br></br><br></br></div>
<div class="text_exposed_root text_exposed" id="id_5092c05d7b3762609187440">बदन से हो के गुज़रा रूह से रिश्ता बना डाला<br></br> किसी की प्यास ने आखि़र मुझे दरिया बना डाला।<br></br> <br></br> उसे…</div>
<div class="fbPhotoContributorName" id="fbPhotoPageAuthorName">अभी फेसबुक पर सुरेन्द्र चतुर्वेदी साहिब की एक ग़ज़ल पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ<br/> कैसे एक शेर में पूरी कहानी समाई होती है इसका इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि मुझे अपनी यह कहानी उनकी ग़ज़ल के दूसरे शेअर में पढ़ने को मिल गई <br/>गौर फरमाएं -<br/><br/></div>
<div id="id_5092c05d7b3762609187440" class="text_exposed_root text_exposed">बदन से हो के गुज़रा रूह से रिश्ता बना डाला<br/> किसी की प्यास ने आखि़र मुझे दरिया बना डाला।<br/> <br/> उसे सोचूँ, उसे ढूँढू, उसे लिक्खुँ मुक़द्दर में<br/> फ़क़त इसके लिए उसने मुझे तन्हा बना डाला।</div> आश्चर्यचकित हूँ वीनस भाई, ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2012-11-01:5170231:Comment:2868292012-11-01T03:41:45.854ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>आश्चर्यचकित हूँ वीनस भाई, ग़ज़लगो के हाथों जिस खूबसूरती से कहानी को सवारा गया है, वो मुझे कई कई बार इस कहानी को पढने हेतु मजबूर किया है, यह कहानी अपने आप में परिपूर्ण है, कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है, कहानी सदैव सुखांत ही नहीं होती, पात्र पाठकों के अनुसार ही नहीं चला करते, घटना घटित होती है उसके बाद उसपे चर्चा होना आम है, जिस मोड़ पर आप कहानी को समाप्त किये हैं वाही इसकी खूबसूरती है और गुनी पाठकों द्वारा लम्बी लम्बी प्रतिक्रिया दिया जाना कहानी की सफलता है, कहानी की तो श्रेष्टता ही यही है कि…</p>
<p>आश्चर्यचकित हूँ वीनस भाई, ग़ज़लगो के हाथों जिस खूबसूरती से कहानी को सवारा गया है, वो मुझे कई कई बार इस कहानी को पढने हेतु मजबूर किया है, यह कहानी अपने आप में परिपूर्ण है, कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है, कहानी सदैव सुखांत ही नहीं होती, पात्र पाठकों के अनुसार ही नहीं चला करते, घटना घटित होती है उसके बाद उसपे चर्चा होना आम है, जिस मोड़ पर आप कहानी को समाप्त किये हैं वाही इसकी खूबसूरती है और गुनी पाठकों द्वारा लम्बी लम्बी प्रतिक्रिया दिया जाना कहानी की सफलता है, कहानी की तो श्रेष्टता ही यही है कि वो पाठकों को कई कई आयामों पर सोचने हेतु मजबूर करे , और इस कहानी में वह गुण है, हां मैं मानता हूँ कि कहानी को कुछ कॉम्पैक्ट किया जा सकता था, फिर भी बहुत बढ़िया, आप तो बस बधाई स्वीकार करें महोदय |</p> मुझे लगता है अभी मुझे कुछ नही…tag:openbooks.ning.com,2012-10-31:5170231:Comment:2864882012-10-31T18:47:34.115Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>मुझे लगता है अभी मुझे कुछ नहीं करना चाहिए क्योकि एक राय तक न मैं पहुँच पा रहा हूँ न् आप लोग ,,,,,<br/>भविष्य में कोई राय बन पाई तो आप सभी को अवगत करवाऊंगा <br/>सादर</p>
<p>मुझे लगता है अभी मुझे कुछ नहीं करना चाहिए क्योकि एक राय तक न मैं पहुँच पा रहा हूँ न् आप लोग ,,,,,<br/>भविष्य में कोई राय बन पाई तो आप सभी को अवगत करवाऊंगा <br/>सादर</p> वीनस भाई एक बात सोंचने पर विव…tag:openbooks.ning.com,2012-10-31:5170231:Comment:2864492012-10-31T05:05:26.005Zseema agrawalhttps://openbooks.ning.com/profile/seemaagrawal8
<p>वीनस भाई एक बात सोंचने पर विवश हूँ क्या सिर्फ दर्द ही साहित्य , कविता या गीत का असली परिचय है अगर ऐसा होता तो काव्य विधा में शेष रसों का उल्लेख क्यों किया गया है ...</p>
<p>आपका पात्र सिर्फ एक पहलू का परिचय है सम्पूर्ण साहित्य जगत का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है ...मानती हूँ ऐसे भी लोग हो सकते हैं पर सिर्फ अपवाद स्वरुप ....असामान्यता हमेशा नुकसानदायक होती है अतः उस पात्र के जीवन ने लिए भी नुकसानदायक साबित हुयी </p>
<p>आप ने स्वयं उसका सही निष्कर्ष प्रस्तुत किया है .......एक बात और ध्यान…</p>
<p>वीनस भाई एक बात सोंचने पर विवश हूँ क्या सिर्फ दर्द ही साहित्य , कविता या गीत का असली परिचय है अगर ऐसा होता तो काव्य विधा में शेष रसों का उल्लेख क्यों किया गया है ...</p>
<p>आपका पात्र सिर्फ एक पहलू का परिचय है सम्पूर्ण साहित्य जगत का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है ...मानती हूँ ऐसे भी लोग हो सकते हैं पर सिर्फ अपवाद स्वरुप ....असामान्यता हमेशा नुकसानदायक होती है अतः उस पात्र के जीवन ने लिए भी नुकसानदायक साबित हुयी </p>
<p>आप ने स्वयं उसका सही निष्कर्ष प्रस्तुत किया है .......एक बात और ध्यान देने योग्य है इस प्रकार के निर्णय एक दिन में नहीं उगते ...कई घटनाएँ और वाक़यात उसे लगातार लम्बे समय तक सींचते हैं जैसा कि तर्क सहित आपने भी मानसी के पत्र की इन पंक्तियों के माध्यम से भी स्पष्ट किया है </p>
<p>"<strong>तुम गलतियाँ करते और तुम्हारे पास इसका कोई कारण न होता, गलतियों को दोहराना और माफी मांगना तुम्हारी आदत बन गई, तुम सोचते हर बार, तुम्हें हर कोई माफ कर दे, मगर कोई क्यों माफ करे तुमको बार बार| क्यों तुम्हारी बेवकूफियों को झेलते हुए तुम्हारे साथ रहे, क्यों तुम्हारे साथ निभाए|</strong><br/><strong>तुम्हारे इस नशे की वजह से ही लोगों ने तुमको छोड़ना शुरू कर दिया, तुमसे दूर होने लगे, कटाने लगे और तुम ! तुम्हारी तो मन माँगी मुराद पूरी हो रही थी तुम्हारे दुःख का नशा पूरा हो रहा था तुम कविताएं लिख रहे थे,,,अच्छी कवितायेँ |"</strong></p>
<p>जब आपने स्वयं रवि कि इस आदत को बेवकूफी ,गलती, नशा करार दिया है तो फिर किस बात की बेचैनी </p>
<p>ऐसा भी होता है पर, हमेशा ऐसा ही होता है ये सच नहीं है </p>
<p>कहानी का ताना बाना आपने बहुत सफलता से बुना है पर जिस प्रकार घर छोड़ने के तर्क का एक पत्र मानसी के द्वारा लिखवाया उसी भाँती न छोड़ने के आग्रह का पत्र यदि तर्क सहित रवि द्वारा भी लिखवाते तो बात संतुलित हो जाती ....आपके मन में ऐसे तर्क अवश्य होंगे </p>
<p>कहानी पूरी करिए .........</p> आदरणीय, मेरी राय इसपे अलग है.…tag:openbooks.ning.com,2012-10-31:5170231:Comment:2865232012-10-31T04:49:48.990Zराज़ नवादवीhttps://openbooks.ning.com/profile/RazNawadwi
<p><span>आदरणीय, मेरी राय इसपे अलग है. कहानी का अंत चाहे जो भी हो, मगर ज़िंदगी कहानी नहीं होती, गो ज़िंदगी की भी कहानी होती है. आपने बड़ी संजीदगी से निष्कर्ष माँगा था, मैंने कहानी का नहीं, ज़िंदगी का निष्कर्ष दिया है क्यूंकि मुझे लगा ये कहानी जिंदगियों को भी कहीं न कहीं सच में मुतास्सिर कर रही है. कहानी को चाहे आप जो भी रूप दे दें, ये आपके अंदर के कहानीकार का अधिकार क्षेत्र होता है! ज़िंदगी में जीते जागते सांस लेते किरदार होते हैं जिन्हें हर हाल में ज़िंदा रहना होता है. मानसी सिर्फ मानसी नहीं है, वो…</span></p>
<p><span>आदरणीय, मेरी राय इसपे अलग है. कहानी का अंत चाहे जो भी हो, मगर ज़िंदगी कहानी नहीं होती, गो ज़िंदगी की भी कहानी होती है. आपने बड़ी संजीदगी से निष्कर्ष माँगा था, मैंने कहानी का नहीं, ज़िंदगी का निष्कर्ष दिया है क्यूंकि मुझे लगा ये कहानी जिंदगियों को भी कहीं न कहीं सच में मुतास्सिर कर रही है. कहानी को चाहे आप जो भी रूप दे दें, ये आपके अंदर के कहानीकार का अधिकार क्षेत्र होता है! ज़िंदगी में जीते जागते सांस लेते किरदार होते हैं जिन्हें हर हाल में ज़िंदा रहना होता है. मानसी सिर्फ मानसी नहीं है, वो किसी की पत्नी के अलावा किसी की माँ, बेटी, और बहन भी है. उसी तरह रवि भी सिर्फ रवि नहीं. रिश्तों के एक ही सच के कितने ज़ाविए होते हैं, पारिवारिक जिंदगी सिर्फ इज्द्वाजी मुहब्बत पे नहीं, पूरे कुनबाई तानेबाने के इर्द-गिर्द रची बसी होती है और हमारी खुशियों का तुख्म (बीज) सबकी खुशियों से सिंचित होता है. </span></p>
<p><span>सादर!</span></p>