Comments - ग़ज़ल - वो मेरी शख्सियत पर छा गया तो - Open Books Online2024-03-29T11:14:44Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A284338&xn_auth=noचन्द्रेश जी शेअर को पसंद करने…tag:openbooks.ning.com,2012-11-26:5170231:Comment:2931262012-11-26T08:30:42.914Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>चन्द्रेश जी शेअर को पसंद करने और प्रोत्साहित करने के लिए शुक्रगुजार हूँ</p>
<p>चन्द्रेश जी शेअर को पसंद करने और प्रोत्साहित करने के लिए शुक्रगुजार हूँ</p> राज साहब आभारtag:openbooks.ning.com,2012-11-26:5170231:Comment:2929752012-11-26T08:29:44.209Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>राज साहब आभार</p>
<p>राज साहब आभार</p> आदरणीया राजेश कुमारी जी ह्रदय…tag:openbooks.ning.com,2012-11-26:5170231:Comment:2929742012-11-26T08:29:00.936Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी ह्रदय से आभारी हूँ</p>
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी ह्रदय से आभारी हूँ</p> बने हो यूँ तो आतिशदान 'वीनस',…tag:openbooks.ning.com,2012-11-25:5170231:Comment:2928392012-11-25T18:00:20.388ZDr. Chandresh Kumar Chhatlanihttps://openbooks.ning.com/profile/ChandreshKumarChhatlani
<p><span>बने हो यूँ तो आतिशदान 'वीनस', </span><br/><span>डरे भी हो धुँआ उठने लगा तो |</span></p>
<p>वाह बहुत खूब !!</p>
<p><span>बने हो यूँ तो आतिशदान 'वीनस', </span><br/><span>डरे भी हो धुँआ उठने लगा तो |</span></p>
<p>वाह बहुत खूब !!</p> धनवाद भाई वीनस जी जो आपने अपन…tag:openbooks.ning.com,2012-10-26:5170231:Comment:2852202012-10-26T09:36:50.580Zराज़ नवादवीhttps://openbooks.ning.com/profile/RazNawadwi
धनवाद भाई वीनस जी जो आपने अपने इल्मओइस्लाह से हमें नवाज़ा. बात सच कही आपने, किसी चीज़ की आशिकी ही उसे मकम्मिल तौर पे दस्तयाब कराती है, जुनूं ओ दीवानगी के बगैर मजनूँ नहीं पैदा हुआ करते! सो आजकल बह्र की लैला का मजनूं बना फिरता हूँ. हा हा हा हा ! सादर
धनवाद भाई वीनस जी जो आपने अपने इल्मओइस्लाह से हमें नवाज़ा. बात सच कही आपने, किसी चीज़ की आशिकी ही उसे मकम्मिल तौर पे दस्तयाब कराती है, जुनूं ओ दीवानगी के बगैर मजनूँ नहीं पैदा हुआ करते! सो आजकल बह्र की लैला का मजनूं बना फिरता हूँ. हा हा हा हा ! सादर रकीबों में वो गिनता है मुझे औ…tag:openbooks.ning.com,2012-10-26:5170231:Comment:2850232012-10-26T04:07:23.596Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>रकीबों में वो गिनता है मुझे और, </span><br/><span> गले भी लग गया मुझसे मिला तो | </span></p>
<div class="xg_user_generated"><p><span class="font-size-3">बने हो यूँ तो आतिशदान 'वीनस', <br/>डरे भी हो धुँआ उठने लगा तो |------<span>बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी वीनस जी मजा आ गया पढ़ </span><span id="6_TRN_a">कर हर शेर जानदार है और ये तो बहुत बहुत पसंद आये ढेरों दाद कबूल करें </span><br/></span></p>
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<p><span>रकीबों में वो गिनता है मुझे और, </span><br/><span> गले भी लग गया मुझसे मिला तो | </span></p>
<div class="xg_user_generated"><p><span class="font-size-3">बने हो यूँ तो आतिशदान 'वीनस', <br/>डरे भी हो धुँआ उठने लगा तो |------<span>बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी वीनस जी मजा आ गया पढ़ </span><span id="6_TRN_a">कर हर शेर जानदार है और ये तो बहुत बहुत पसंद आये ढेरों दाद कबूल करें </span><br/></span></p>
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<p><span> </span></p> सौरभ जी, अनिल जी, डॉ. प्राची…tag:openbooks.ning.com,2012-10-25:5170231:Comment:2847832012-10-25T18:42:30.354Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>सौरभ जी, अनिल जी, डॉ. प्राची जी, संदीप जी, और गणेश जी<br/> <br/> आप सभी को हृदल तल से धन्यवाद<br/> <br/> ग़ज़ल को पसंद किया इससे निश्चित ही मेरा हौसला बढ़ा है उत्साहित हुआ हूँ कुछ और कह सकने को ...<br/> सादर</p>
<p>सौरभ जी, अनिल जी, डॉ. प्राची जी, संदीप जी, और गणेश जी<br/> <br/> आप सभी को हृदल तल से धन्यवाद<br/> <br/> ग़ज़ल को पसंद किया इससे निश्चित ही मेरा हौसला बढ़ा है उत्साहित हुआ हूँ कुछ और कह सकने को ...<br/> सादर</p> बने हो यूँ तो आतिशदान 'वीनस',…tag:openbooks.ning.com,2012-10-25:5170231:Comment:2849442012-10-25T15:43:24.395Zshalini kaushikhttps://openbooks.ning.com/profile/shalinikaushik
<p><span>बने हो यूँ तो आतिशदान 'वीनस', </span><br/><span>डरे भी हो धुँआ उठने लगा तो |</span></p>
<p><span>nice expression </span></p>
<p><span>बने हो यूँ तो आतिशदान 'वीनस', </span><br/><span>डरे भी हो धुँआ उठने लगा तो |</span></p>
<p><span>nice expression </span></p> वाह भाई वीनस वाह, क्या बात है…tag:openbooks.ning.com,2012-10-24:5170231:Comment:2846422012-10-24T14:25:12.305ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>वाह भाई वीनस वाह, क्या बात है, मतला , हुस्ने मतला और दो मक्ता, एक को हुस्ने मक्ता कहूँ तो ....</p>
<p>//रहीम इस बार तो 'कुट्टी' न होना,<br/>अगर मैं राम से 'मिल्ली' हुआ तो |//</p>
<p>इस शेर पर लख लख बधाई, खुबसूरत ग़ज़ल है भाई, इस अभिव्यक्ति पर बहुत बहुत बधाई और दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार हो |</p>
<p>वाह भाई वीनस वाह, क्या बात है, मतला , हुस्ने मतला और दो मक्ता, एक को हुस्ने मक्ता कहूँ तो ....</p>
<p>//रहीम इस बार तो 'कुट्टी' न होना,<br/>अगर मैं राम से 'मिल्ली' हुआ तो |//</p>
<p>इस शेर पर लख लख बधाई, खुबसूरत ग़ज़ल है भाई, इस अभिव्यक्ति पर बहुत बहुत बधाई और दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार हो |</p> राज साहब, बहर तो आपने खूब पहच…tag:openbooks.ning.com,2012-10-23:5170231:Comment:2845302012-10-23T16:48:13.850Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>राज साहब,<br></br> बहर तो आपने खूब पहचानी और जो हाले दिल आपने बयान किया है यह तो सभी के साथ हो कर गुज़रता है <br></br>बिलकुल वैसे ही जैसे ताज़ा ताज़ा इश्क का मुआमला हो तो आशिक को हर तरफ माशूक ही दिखता है :))))<br></br><br></br>बैसे बहर के नाम में मुसम्मन नहीं लगेगा क्योकि यह तब लगता है जब अरकान में ४ रुक्न हों यहाँ तीन हैं इसलिए मुसद्दस लिखेंगे और एक जिहाफ भी है जो "मुफाईलुन" को "फ़ऊलुन" करता है जिसका नाम "महजूफ़" है <br></br> तो बहर का नाम हुआ = "हजज मुसद्दस महजूफ़"<br></br><br></br>ग़ज़ल को अपने पसंद किया इसके लिए…</p>
<p>राज साहब,<br/> बहर तो आपने खूब पहचानी और जो हाले दिल आपने बयान किया है यह तो सभी के साथ हो कर गुज़रता है <br/>बिलकुल वैसे ही जैसे ताज़ा ताज़ा इश्क का मुआमला हो तो आशिक को हर तरफ माशूक ही दिखता है :))))<br/><br/>बैसे बहर के नाम में मुसम्मन नहीं लगेगा क्योकि यह तब लगता है जब अरकान में ४ रुक्न हों यहाँ तीन हैं इसलिए मुसद्दस लिखेंगे और एक जिहाफ भी है जो "मुफाईलुन" को "फ़ऊलुन" करता है जिसका नाम "महजूफ़" है <br/> तो बहर का नाम हुआ = "हजज मुसद्दस महजूफ़"<br/><br/>ग़ज़ल को अपने पसंद किया इसके लिए शुक्रगुजार हूँ</p>