Comments - ग़ज़ल-भावनाओं से खाली हृदय हो गये। - Open Books Online2024-03-29T10:25:57Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A273814&xn_auth=noभावनाओं से खाली हृदय हो गये।ल…tag:openbooks.ning.com,2012-09-21:5170231:Comment:2742392012-09-21T13:43:35.130ZRekha Joshihttps://openbooks.ning.com/profile/RekhaJoshi
<p><span>भावनाओं से खाली हृदय हो गये।</span><br/><span>लोग हारे हैं पत्थर विजय हो गये।।,अति सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय सूबे सिंह जी ,हार्दिक बधाई </span></p>
<p><span>भावनाओं से खाली हृदय हो गये।</span><br/><span>लोग हारे हैं पत्थर विजय हो गये।।,अति सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय सूबे सिंह जी ,हार्दिक बधाई </span></p> भावनाओं से खाली हृदय हो गये।ल…tag:openbooks.ning.com,2012-09-21:5170231:Comment:2739612012-09-21T07:06:52.320ZUMASHANKER MISHRAhttps://openbooks.ning.com/profile/UMASHANKERMISHRA
<p><span>भावनाओं से खाली हृदय हो गये।</span><br/><span>लोग हारे हैं पत्थर विजय हो गये।। पत्थर दिल की जीत </span></p>
<p>बहुत खूबी से बयाँ किया है </p>
<p><span>न्याय की आस में बैठा है आमजन</span><br/><span>अन्त आरोप उस पर ही तय हो गये। बहुत खूब है </span></p>
<p>प्रिय सुबे सिंग जी हार्दिक बधाई सुन्दर गज़ल है </p>
<p><span>भावनाओं से खाली हृदय हो गये।</span><br/><span>लोग हारे हैं पत्थर विजय हो गये।। पत्थर दिल की जीत </span></p>
<p>बहुत खूबी से बयाँ किया है </p>
<p><span>न्याय की आस में बैठा है आमजन</span><br/><span>अन्त आरोप उस पर ही तय हो गये। बहुत खूब है </span></p>
<p>प्रिय सुबे सिंग जी हार्दिक बधाई सुन्दर गज़ल है </p> vinus ji,वीनस केसरी..........…tag:openbooks.ning.com,2012-09-21:5170231:Comment:2738622012-09-21T04:32:19.280Zसूबे सिंह सुजानhttps://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
<p>vinus ji,<a href="http://www.openbooksonline.com/profile/venuskesari" class="fn url">वीनस केसरी</a>..........shukriya</p>
<p>vinus ji,<a href="http://www.openbooksonline.com/profile/venuskesari" class="fn url">वीनस केसरी</a>..........shukriya</p> वाह,ग़ज़ल का तेवर बेहद पसंद आया…tag:openbooks.ning.com,2012-09-20:5170231:Comment:2739322012-09-20T19:19:55.885Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>वाह,<br/>ग़ज़ल का तेवर बेहद पसंद आया <br/><br/>//न्याय की आस में बैठा है आमजन<br/>अन्त आरोप उस पर ही तय हो गये।//<br/><br/>मुझे भी यह शेर बेहद पसंद आया ....</p>
<p>वाह,<br/>ग़ज़ल का तेवर बेहद पसंद आया <br/><br/>//न्याय की आस में बैठा है आमजन<br/>अन्त आरोप उस पर ही तय हो गये।//<br/><br/>मुझे भी यह शेर बेहद पसंद आया ....</p> Er. Ganesh jee "Bagi"........…tag:openbooks.ning.com,2012-09-20:5170231:Comment:2738242012-09-20T17:08:11.753Zसूबे सिंह सुजानhttps://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
<p>Er. Ganesh jee "Bagi"..........आपकी बात सही है.......यह काफिया ग़ज़ल से बाहर हो गया है।।।</p>
<p>आपकी सटीक प्रतिक्रिया पर मुझे बहुत अच्छा लगा ।.</p>
<p>Er. Ganesh jee "Bagi"..........आपकी बात सही है.......यह काफिया ग़ज़ल से बाहर हो गया है।।।</p>
<p>आपकी सटीक प्रतिक्रिया पर मुझे बहुत अच्छा लगा ।.</p> योगराज जी शुक्रिया......यह एक…tag:openbooks.ning.com,2012-09-20:5170231:Comment:2739112012-09-20T17:04:05.960Zसूबे सिंह सुजानhttps://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
<p>योगराज जी शुक्रिया......यह एक चार साल पुरानी ग़ज़ल आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ..........पढ कर उस्ताद लोग बतायें कि कितना सहीह कह पाया हूँ।</p>
<p>योगराज जी शुक्रिया......यह एक चार साल पुरानी ग़ज़ल आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ..........पढ कर उस्ताद लोग बतायें कि कितना सहीह कह पाया हूँ।</p> //न्याय की आस में बैठा है आमज…tag:openbooks.ning.com,2012-09-20:5170231:Comment:2739092012-09-20T17:02:35.371ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>//न्याय की आस में बैठा है आमजन<br/>अन्त आरोप उस पर ही तय हो गये।//</p>
<p>बहुत ही सुन्दर कहन, प्यारा शेर, अच्छी ग़ज़ल |</p>
<p>//आज ऐसे भयानक दृश्य हो गये।//</p>
<p>इस मिसरे पर गौर करें, मुझे लगता है कि ह्रदय और विजय के साथ दृश्य काफिया यहाँ सही नहीं है |</p>
<p>इस प्रस्तुति पर दाद कुबूल करें सुजान साहब | आगे भी आपकी और रचनाओं का और अन्य साथियों की रचनाओं पर आपके विचारों का इन्तजार रहेगा |</p>
<p>//न्याय की आस में बैठा है आमजन<br/>अन्त आरोप उस पर ही तय हो गये।//</p>
<p>बहुत ही सुन्दर कहन, प्यारा शेर, अच्छी ग़ज़ल |</p>
<p>//आज ऐसे भयानक दृश्य हो गये।//</p>
<p>इस मिसरे पर गौर करें, मुझे लगता है कि ह्रदय और विजय के साथ दृश्य काफिया यहाँ सही नहीं है |</p>
<p>इस प्रस्तुति पर दाद कुबूल करें सुजान साहब | आगे भी आपकी और रचनाओं का और अन्य साथियों की रचनाओं पर आपके विचारों का इन्तजार रहेगा |</p>