Comments - जीवन-सार --- (छंद - घनाक्षरी) --- सौरभ - Open Books Online2024-03-28T16:35:03Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A159372&xn_auth=noहार्दिक धन्यवाद, सीमाजी.
tag:openbooks.ning.com,2012-02-17:5170231:Comment:1899882012-02-17T18:07:30.422ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>हार्दिक धन्यवाद, सीमाजी.</p>
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<p>हार्दिक धन्यवाद, सीमाजी.</p>
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<p></p> भाई बृजभूषणजी, आपने रचनाओं पर…tag:openbooks.ning.com,2011-10-24:5170231:Comment:1616612011-10-24T08:13:44.272ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई बृजभूषणजी, आपने रचनाओं पर टिप्पणियाँ देकर मुझे मान दिया है. इस मंच पर मुझे सीखने-जानने को बहुत कुछ मिला है. छंद विधान को समझने के क्रम में आदरणीय अम्बरीषजी का सानिध्य मेरे लिये वरदान सदृश है.</p>
<p>सांगोपांग सिंहावलोकन हरिगीतिका छंद में मेरी प्रथम प्रस्तुति आप सभी पाठकों को रुची यह मेरे लिये भी अत्यंत संतोष की बात है.</p>
<p>हार्दिक धन्यवाद.</p>
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<p>भाई बृजभूषणजी, आपने रचनाओं पर टिप्पणियाँ देकर मुझे मान दिया है. इस मंच पर मुझे सीखने-जानने को बहुत कुछ मिला है. छंद विधान को समझने के क्रम में आदरणीय अम्बरीषजी का सानिध्य मेरे लिये वरदान सदृश है.</p>
<p>सांगोपांग सिंहावलोकन हरिगीतिका छंद में मेरी प्रथम प्रस्तुति आप सभी पाठकों को रुची यह मेरे लिये भी अत्यंत संतोष की बात है.</p>
<p>हार्दिक धन्यवाद.</p>
<p> </p> आदरणीय अम्बरीषजी, भारतीय छंदो…tag:openbooks.ning.com,2011-10-24:5170231:Comment:1616602011-10-24T08:08:48.401ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय अम्बरीषजी, भारतीय छंदों पर कुछ रचने पर मिला आपका अनुमोदन एक सनद सदृश होता है. आभार.</p>
<p>आपकी मनोरंजक प्रतिक्रिया और <strong>आपकी भाभीजी</strong> को ’भड़काने’ की आपकी कोशिश मेरे लिये खतरे की घण्टी है ! मैं तो भाईजी यही कहूँगा कि <strong>दीखे वही जो बीते </strong> हा हा हा हा हा .......…</p>
<p><a href="http://www.freesmileys.org/free-big-smiley.php"><img alt="Big Smileys" border="0" height="60" src="http://www.freesmileys.org/smileys/big/big-smiley-001.gif" width="60"></img></a></p>
<p>आदरणीय अम्बरीषजी, भारतीय छंदों पर कुछ रचने पर मिला आपका अनुमोदन एक सनद सदृश होता है. आभार.</p>
<p>आपकी मनोरंजक प्रतिक्रिया और <strong>आपकी भाभीजी</strong> को ’भड़काने’ की आपकी कोशिश मेरे लिये खतरे की घण्टी है ! मैं तो भाईजी यही कहूँगा कि <strong>दीखे वही जो बीते </strong> हा हा हा हा हा .......</p>
<p><a href="http://www.freesmileys.org/free-big-smiley.php"><img src="http://www.freesmileys.org/smileys/big/big-smiley-001.gif" alt="Big Smileys" border="0" height="60" width="60"/></a></p>
<p> </p> बहुत ही प्रेरणादायी बाते छंदो…tag:openbooks.ning.com,2011-10-24:5170231:Comment:1617452011-10-24T07:48:03.880ZBrij bhushan choubeyhttps://openbooks.ning.com/profile/Brijbhushanchoubey
<p>बहुत ही प्रेरणादायी बाते छंदों द्वारा मिल रही है. जीवन के विविध सिद्धान्तों से परिचय कराती ये रचना बहुत खुबसूरत है. ऐसी रचनाओं को पढ़कर न सिर्फ हम आनंदित होते हैं बल्कि ये हमारे जीवन को एक सार्थक रूप देने में सहायक सिद्ध होती है |</p>
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<p>बहुत ही प्रेरणादायी बाते छंदों द्वारा मिल रही है. जीवन के विविध सिद्धान्तों से परिचय कराती ये रचना बहुत खुबसूरत है. ऐसी रचनाओं को पढ़कर न सिर्फ हम आनंदित होते हैं बल्कि ये हमारे जीवन को एक सार्थक रूप देने में सहायक सिद्ध होती है |</p>
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<p> </p> tag:openbooks.ning.com,2011-10-19:5170231:Comment:1608402011-10-19T09:17:25.863ZEr. Ambarish Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmbarishSrivastava
<p><a href="http://www.freesmileys.org/free-big-smiley.php"><img src="http://www.freesmileys.org/smileys/big/big-smiley-001.gif" alt="Big Smileys" border="0" height="86" width="86"/></a></p>
<p><a href="http://www.freesmileys.org/free-big-smiley.php"><img src="http://www.freesmileys.org/smileys/big/big-smiley-001.gif" alt="Big Smileys" border="0" height="86" width="86"/></a></p> आदरणीय सौरभ जी! आपे द्वारा रच…tag:openbooks.ning.com,2011-10-19:5170231:Comment:1606652011-10-19T08:25:30.957ZEr. Ambarish Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>आदरणीय सौरभ जी! आपे द्वारा रचित उपरोक्त चारों सार्थक संदेशपरक घनाक्षारियां उच्च कोटि के भावों से परिपूर्ण व उत्कृष्ट शिल्प से सुसज्जित होने के साथ-साथ अन्य रचनाधर्मियों के लिए मानक सदृश भी हैं | सीखने सिखाने के क्रम में आपकी मेहनत व लगन काबिले तारीफ है ! इस हेतु हम सभी की ओर से आपको कोटिशः बधाई व आपकी लेखनी को सादर नमन ! आपकी इन घनाक्षरियों के उत्तम प्रवाह से प्रेरित होकर इस दिशा में हमने भी एक छोटा सा प्रयास किया है जो कि आपको सादर समर्पित है ! <br></br> <br></br> कहिये ये घनाक्षरी, रस से जो हरी…</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी! आपे द्वारा रचित उपरोक्त चारों सार्थक संदेशपरक घनाक्षारियां उच्च कोटि के भावों से परिपूर्ण व उत्कृष्ट शिल्प से सुसज्जित होने के साथ-साथ अन्य रचनाधर्मियों के लिए मानक सदृश भी हैं | सीखने सिखाने के क्रम में आपकी मेहनत व लगन काबिले तारीफ है ! इस हेतु हम सभी की ओर से आपको कोटिशः बधाई व आपकी लेखनी को सादर नमन ! आपकी इन घनाक्षरियों के उत्तम प्रवाह से प्रेरित होकर इस दिशा में हमने भी एक छोटा सा प्रयास किया है जो कि आपको सादर समर्पित है ! <br/> <br/>
कहिये ये घनाक्षरी, रस से जो हरी भरी, <br/>
सांगोपांग शब्द-शब्द , कहते ही रहिये.<br/>
रहिये सदा प्रसन्न, भाभी जी जो तन्न भन्न,<br/>
देतीं रहें दन्न दन्न, सिर-माथे गहिये.<br/>
गहिये ये नेह ज्ञान अपना उन्हें ही जान,<br/>
सासू जी का ये विधान, जो भी कहें सहिये.<br/>
सहिये उन्हीं की आज, पूरा तभी होगा काज,<br/>
भूल जाएँ निज लाज, उनकी ही कहिये.. :-)))))))</p> हार्दिक धन्यवाद अरुण अभिनवजी.…tag:openbooks.ning.com,2011-10-15:5170231:Comment:1597012011-10-15T03:19:57.010ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>हार्दिक धन्यवाद अरुण अभिनवजी. रचना के कथ्य को मान देने के लिये विशेष धन्यवाद.</p>
<p>इस प्रस्तुति का पहला बंद सद्यः समाप्त महा-उत्सव (अंक - १२) में सम्मिलित हो चुका है. अन्य दो बंद उसी क्रम में पूर्व भाव को निभाते हुए शृंखलाबद्ध किये गये हैं.</p>
<p>हार्दिक धन्यवाद अरुण अभिनवजी. रचना के कथ्य को मान देने के लिये विशेष धन्यवाद.</p>
<p>इस प्रस्तुति का पहला बंद सद्यः समाप्त महा-उत्सव (अंक - १२) में सम्मिलित हो चुका है. अन्य दो बंद उसी क्रम में पूर्व भाव को निभाते हुए शृंखलाबद्ध किये गये हैं.</p> वाह जी वाह, साध लिया छंद घना…tag:openbooks.ning.com,2011-10-15:5170231:Comment:1599102011-10-15T02:33:54.861ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>वाह जी वाह, <span id="6_TRN_4u">साध</span> लिया छंद घनाक्षरी को और रच डाले कमाल <span id="6_TRN_4m"><span id="6_TRN_4p"><span id="6_TRN_4r"><span id="6_TRN_4s"><span id="6_TRN_4t"><span id="6_TRN_4v">के ! इनमें</span></span></span></span></span> <span id="6_TRN_4o"><span id="6_TRN_4x">प्रदर्शित जीवन संदेश बहुत प्रभावी तरीके <span id="6_TRN_4z"><span id="6_TRN_50"><span id="6_TRN_51"><span id="6_TRN_52"><span id="6_TRN_53">से सामने <span id="6_TRN_55"><span id="6_TRN_56">आया है !…</span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></p>
<p>वाह जी वाह, <span id="6_TRN_4u">साध</span> लिया छंद घनाक्षरी को और रच डाले कमाल <span id="6_TRN_4m"><span id="6_TRN_4p"><span id="6_TRN_4r"><span id="6_TRN_4s"><span id="6_TRN_4t"><span id="6_TRN_4v">के ! इनमें</span></span></span></span></span> <span id="6_TRN_4o"><span id="6_TRN_4x">प्रदर्शित जीवन संदेश बहुत प्रभावी तरीके <span id="6_TRN_4z"><span id="6_TRN_50"><span id="6_TRN_51"><span id="6_TRN_52"><span id="6_TRN_53">से सामने <span id="6_TRN_55"><span id="6_TRN_56">आया है ! <span id="6_TRN_58">एक कसी हुई सशक्त उत्कृष्ट रचना <span id="6_TRN_59"><span id="6_TRN_5a"><span id="6_TRN_5b"><span id="6_TRN_5c"><span id="6_TRN_5d">!! हार्दिक बधाई सौरभ <span id="6_TRN_5f"><span id="6_TRN_5g">श्री !!</span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></p> रचनाओं का होना बुना जाना ही त…tag:openbooks.ning.com,2011-10-14:5170231:Comment:1597072011-10-14T15:56:19.171ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>रचनाओं का होना बुना जाना ही तो है, आराधनाजी... tapestry की तरह !! .. कहते हैं न "चदरिया झीनी रे झीनी..." <strong>:-)))</strong></p>
<p>नज़रेसानी के लिये हार्दिक बधाई.</p>
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<p>रचनाओं का होना बुना जाना ही तो है, आराधनाजी... tapestry की तरह !! .. कहते हैं न "चदरिया झीनी रे झीनी..." <strong>:-)))</strong></p>
<p>नज़रेसानी के लिये हार्दिक बधाई.</p>
<p> </p> एक खूबसूरत tapestry की तरह ह…tag:openbooks.ning.com,2011-10-14:5170231:Comment:1596822011-10-14T12:50:00.834ZAradhanahttps://openbooks.ning.com/profile/Aradhana
<p>एक खूबसूरत tapestry की तरह है एक-एक घानाक्षरी सौरभ जी,अद्भुत...</p>
<p>सादर,</p>
<p>आराधना</p>
<p>एक खूबसूरत tapestry की तरह है एक-एक घानाक्षरी सौरभ जी,अद्भुत...</p>
<p>सादर,</p>
<p>आराधना</p>