Comments - दोहे वसंत के - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर" - Open Books Online2024-03-28T10:51:27Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1098498&xn_auth=noप्रिय धामीजी जी,
सादर वन्दे,…tag:openbooks.ning.com,2023-02-10:5170231:Comment:10988372023-02-10T05:32:28.428Zडा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्माhttps://openbooks.ning.com/profile/3jyzkevjttpzy
<p>प्रिय धामीजी जी,</p>
<p>सादर वन्दे, सुन्दर रचना, वसंत को "वाचाल" अनूठी उपमा दी है, अभी पूरा आनन्द ले नहीं पाया हूँ पर छंद ४ पर मुहर लगा कर अच्छा किया. लगता है रचना अभी शेष है.</p>
<p>प्रिय धामीजी जी,</p>
<p>सादर वन्दे, सुन्दर रचना, वसंत को "वाचाल" अनूठी उपमा दी है, अभी पूरा आनन्द ले नहीं पाया हूँ पर छंद ४ पर मुहर लगा कर अच्छा किया. लगता है रचना अभी शेष है.</p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2023-02-09:5170231:Comment:10988352023-02-09T14:15:44.775Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं त्रुतटियों की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार। </p>
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं त्रुतटियों की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार। </p> जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, अच…tag:openbooks.ning.com,2023-02-09:5170231:Comment:10988332023-02-09T12:26:33.876ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, अच्छे दोहे रचे आपने, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'आगन में जिस के बसा, बालक रूप वसन्त''</span></p>
<p><span>आगन--"आँगन"</span></p>
<p></p>
<p><span>'आस बधा कर पेड़ को, हवा रही झकझोर'</span></p>
<p><span>बधा--'बँधा'</span></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, अच्छे दोहे रचे आपने, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'आगन में जिस के बसा, बालक रूप वसन्त''</span></p>
<p><span>आगन--"आँगन"</span></p>
<p></p>
<p><span>'आस बधा कर पेड़ को, हवा रही झकझोर'</span></p>
<p><span>बधा--'बँधा'</span></p>